पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४९

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रोम-राम्राज्य वना यासानेनियन यन्त्र और राजस्व संग्रहको व्यवस्था कर सकते थे। पृर्त्त । कार्यको उन्नति करने के लिये इनके हाथमे निर्दिष्ट संख्या किसी ज्ञानिक उत्थान-पतनके माध साथ जातीय ने रुपया जाता था। इसमे बडे बडे राजपथ या सडक चरितकी उन्नति-अवनतिके साथ माय जातीय देव चनती थी। । देवियोंको उन्नति और भवनति होती रहती है। दक्षिण मनेट। टलीसे कम नामक मदिग और मदनके अधिष्ठात सने पहले केवल एक मन्त्रिममा धी, निन्तु क्रमसे ' देवना गेममें स्थापित हुए। यह राज्यके शासनयन्तक एकमात्र परिचाला हो, विलासस्रोत अन्य प्रणाली में प्रयादित हुआ। बड़े उठी थी। मजिट वेचल मनंट यानानुसार कार्य व रङ्गालयोंकी अग्यो डाका आमोद मातवें आम किया करने थे। सनेट ३०० सदायाँस रंगठित होती मानमें चढ गया । नरहत्या कौतुकहाम्यकी चरम थी । जो सभ्य इममे निर्वाचित होते थे वे आजीवनके सावन कही जाती थी। धनगृहिके साथ-साथ पिकार्यकी अवननि । लिये होने थे, ऐसे ही कोई विशेष कारण उपस्थित होने पर सदस्य हटाये जा सकते थे। किन्तु यह पद खान्दानी' अर्थवान मनुष्य प्राण्यय कर (रिश्वत दे कर ) सरकारी नही होता था । प्रत्येक ५ वर्ग पर पालो पद पर नये' पद लेने लगे। इस कारण सबसे पहले ( १८०० सदस्य चुन लिये जाते थे। सरकारी मजिस्ट्रेटमि । पू०) "रिश्वत देना और लेना मना है" यह कानन से हो ये सदस्य अधिक लिये जाते थे । राजनीति विद्या- बना है! में प्रवीणता और विजता लाभ कर न सकने पर कोई अधिक दिनों तक बडी यदी लडाई और विटासके सैनेटका सभ्य हो न सकता था। आविर्भावसे कृषक समाजमी अवनति हुई। गुलामी प्रधाके परिवर्तनमें स्वाधीन श्रमजीवियोंको अन्नाभावसे सेनेटको सब तरहको क्षमता थी। सेनेटकी आमासे कष्ट होने लगा। कोई कोई कानूनमें जनसाधारणको सम्मति ली जाती रा ममय जो ममम्त प्रमिद्ध व्यक्ति रोमके थी। किन्तु अनेक विषयमें सनेट साधारणको सम्पतिके जातीय चरित्र और प्राचीन गुणावली पक्षण्ण रग मके विना कानून बना सकती थी। लड़ाई विग्रह विषयमे मी' थे, उनमें एम पमियम केटो सर्वावधान है। पहले इस- सेनेटके निर्देशानुसार कन्सल कार्य करते थे। पर राष्ट्र की बात कह चुके हैं, कि येटो प्राचीन रोमके एक आदर्श के साथ युद्ध और सन्धि स्थापन विषयमें भी सेने का । सार्वभौम प्रभाव था। सिवा इसके कमिनिया फ्यूरि- । घटी, कमिलिया सेंचुरियटा, कमिसिया रिविउटा, ' . इस रोममे अपूर्ण एक घटना हुई। ईमार २१५ वर्ण पूर्व प्रथम व्य निफ लड़ाई में समय द्रिष्य न ओपि. पपुली आदि कई साधारण समिति भी समय समय पर , यास द्वारा "लेक्सओपिया” नामका एक कानून वर्ना गठित हुई थी। था। इस कानून के अनुसार कोई रोमक रमणी आधे रामकी भाभ्यन्तरिक अवस्था। आउन्ससे अधिक सोने का व्यवहार नहीं कर सकती थी। माफिटनीय लडाईके बाद रोममें नाना विषयोंमें नाना कई तरह के रंगोंक र गे कपडोंका पहनना तथा नगरके परिवर्तन हुए थे। अर्थकी ऐसी महिमा है, कि एशिया बाहर घोडेगाडीका हांकना-ये सच ETH ftar खण्डमें जयप्राप्त कर धन सञ्चय होने पर रोमजातीय न सकती थी। इस समय हानिवलको जीत लेने और चरित्रमें महा परिवर्तनके लक्षण प्रकाशित हुए। जो लूट पाट करनेसे रामकोंके खजाने भरे हुए थे। अतः त्यागको ही धर्म समझते थे, वे अर्थ पा कर भोगको ही विलासिनी रमणियोंने उस समय उक्त कानूनको रद्द धर्म समझने लगे और इन्द्रियसुग्वको हो मनुष्य भोगवे | करतेका प्रस्ताव दोनो द्रियू नोंके पास भेजा । किरत चरमोत्कर्ण समझ उसके उपायमें लगे।। इनके दोनों सहयोगी उनके विरोधी हो उठे। किन्तु