पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वाला साहित्य ५०५ बाद और हिदु समाजमें पूजा पाती आ रही है । उनका, मं घे महाराज तेश्च द्र वहादुरके सभापण्डित हुए। माहात्म्य प्रचार करनेक लिये इस देशम मारदाका महला पर्द्धमान राजसरकारफ दायात रघुनाथ राय महा- गान प्रसारित हुमा था। दयाराम दास वा गणेश शय मो एक प्रसिद सगातज्ञ और सगोतरचा थे। मोहनका सारदामन पाया गया है। यह प्रयाउनना यह डा सभा सगीत देन देवी विषयक | धर्द्धमान नहीं है। उसमें ५०० रोक है और यह १७ अध्याय कारनाक समिकर चूपा ग्रामम ११५७ सालको रघुनाथ विमन है। काम हुआ। विद्योत्साही नरद्वीपाधिप महाराज रष्णचटकी गगा बहुत दिनांसे शिवको एक शनि समझो जाती म्मृति व गप्ताहित्यमें निरोज्ज्वल है। उनका जम है। इस कारण बहुत पहल हासे शाक्त समाजम ग गा १११६ मालमें और देहात ११७२ सालम हुआ। ये देवोकी पूजा प्रचलित है । गगा समा सम्प्रदायका उपागमाहित्यक अद्विताय उत्माददाता थे। 'नके बनाये सिता दोन पर भी भात समाजने ग गाको साकार मूर्ति। अने शनिमगीत मिलत है। इनको प्रधमा मदिपाके प्रचार पर तमाम उनका माहात्म्य पैरा दिया था। गर्भजात महाराज गिरवद भी एक प्रसिद्ध गाक्त पद ध गालमें ज्येष्ठ मासम दशहरा मारमक्रान्तिक दिन पत्ता और माधक थे। १९६५ मालम उनका देहात गगादेवीका पूजा होती और उनका माहात्म्य गाया | हुआ। जाता है। उस दिन व गालके अनेक स्थानोंमें 'गगा फिर महाराज कृष्णपद्रका द्वितीय महिपोके गर्भजात मगठ' गाया जाता था। किसी क्सिा स्थान मुम्पु कुमार शम्मुनन्द नया ननद्वाप रान-सम्भन कुमार पतिको गा तर रा र गगा मगल सुनाया जाता परचद्र और महाराज श्री शादि भी मने प्रति था। वहतम कवियों ने गगाम गल या गगाका पाचालो सङ्गीत रच गपे है । इन लोगों के रचिन सङ्गीत वडे ही को लिखा है। उनम माध्यात्राय, द्विज गीराग द्विज प्राखर और मनोहर हैं। कमलाकान्त, जयराम दास दुर्गाप्रसाद मुखोपाध्याय आदि रचित कुछ ही प्राय पाये गये हैं। नाटोराधिपति मराज रामकृष्ण भी एक प्रसिद्ध शक्ति उत्तरियों के अलावा और भाकितने प्रसिद्ध कवि साध थे। इनके बनाये अनेर शक्तिसङ्गात मिलते गड्डाका वन्दना रस्न गपे हैं। उनमे परिचन्द्र कवि है । ये उ हो स्वनामप्रसिदरासीमानाके दत्तापुत्र थे। कङ्कण, निधिराम भीर भयोध्याराम बन्दना हा विशेष पीछे दाशरथि राप रामदुलार सरकार उनके हटके प्रचलित है। माशुतोष देव, काला मार्ग आदिने शक्ति सङ्गीतको शाच पदकत्ता। रचना का है। आज कल भी गने सङ्गीतकारोंने अनेक शाममाजमै भी अनेक पदकत्तामोन ग्रहण शनि मङ्गीत रचे है। पिया है। उन लोगांकी मातृमामय पदायलो पर एक हिन्द.मोक माया गात धर्म विश्वास रखने वाले दिन बहुर म बमुग्ध हो गये थे। शत्ति साधा भक्पवि कितने मुसलमान कयि भी शक्तिसङ्गीत रच गये है । उन रामप्रसादका नाम व गार भरमें परिचित है। उनका लागोम माजा हुसेन बी और सैयद जाफर खां इन दोनों बनाया तिसगात यगक संगीत सम्पदायकी एक कपियों के नाम विशेष उल्लेखनीय द। ये दोनों प्रायः अमूल्य बस्तु है। एक सदी पहलफे आदमी थे । इष्ट इण्डिया कम्पनाके दरा कविरञ्जन रामप्रसादको रद कमराकारत भहाचाय साला यन्दोबस्त कागनम मार्ग हुसन भलीमा नाम भो एक किसाधक सौर फरिथे। इनफेरचे गानों पाया जाता है। पं त्रिपुराके अतगत वरदाखातक भा भतिच सोन बहत है। यह मान जिले के मस्यिका नमींदार थे। कहते है कि ये वालीपूना बडो धूमधाम कारनामें कमयकान्ता हुआ था। १२१६ मार से बरते थे। Vol x. 127