पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५००

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वाला साहित्य ५०८ कवि भगानीगरके ममय रमणपन्य नामक एक | उन राजा पृथ्वीचदने हो फिर भूपण्डी रामायणको और कवि जमग्रहण किया। रहोंने भी सप्तकाण्ड | रचा र मौरिकता गौर कवित्वका परिचय दिया है। रामायणको रचना का है। लक्ष्मणव धके बाद गोविन्द या कवि शिवच द्रसेन भारतच इफ कुछ पीछे भावि रामगोविन्द दाम नामक + कायस्थो वृहत् सप्तकाएड | मूंन हुए । इनका बनाया हुया एक रामायण मिलता है। लिखा। इन पाचों कधिन राढ या पश्चिम बङ्गको उज्ज्वल | इस रामायणका नाम "गारदामगल' है। रामचन्द्रकी दिया है। उ होंके समय पूर्वपदम पष्ठोघर और उनके दुर्गापूजा रामायणर्म शारदा मागम्य शापक है, इसी पुन गङ्गादास सन रामायणी रचनाम अनमर हुए थे। कारण कविन इस रामायणका 'शारदामगल' नाम द्विज दुर्गारामका रचित रामायण पाया गया है। यह रखा है। रामायण कृत्तिमासके बाद लिखा गया है, यह बात कवि रघुन दन गोग्रामरत एक रामायण मिलता है। इस ने स्वय भने वार म्वीकार की है। इन दुर्गाराम कयिका रामायणका नाम रामरमायन है। एत्तिवास और कपि कोई आत्मपरिचय नहीं मिलता। द्विज दुर्गाराम त एक चढ़के रामायणक वाद पो सव रामायणमय रचे गये कारिकापुराणका अनुवाद भी पाया गया है। उनमें यहाँ 'रामरसाया' श्रेष्ठ है। पूर्ववर्ती रामायणोंसे ___ वरीय ३०० वर्ष हुमा बाजुरा जिले के भुटा प्रामम इस रामायणको रचना सुदर और सुश्रसर है। ब्राह्मणवशम जगत्रामका जाम हुआ। दो ने रामा । १९९३ सालमें रघुन दना जन्म हुआ। ४५ वर्षको उमरम उहोंने इस रामरसायणको रचना की। यण और दुर्गापवरान प्रय लिखना भारम्भ किया। महाभारत। कितु ये दोर्म-से पर भी समाप्त पर सक। उनके जिस प्रकार वहुतमे कवि रामायण पा रामचरितका कहास उनके लाडके रामप्रसादने दानों प्रय सम्पूर्ण कर अवलम्बन कर दन् या सण्डकाव्यको रसना कर गये है, डाले। उसी प्रकार अनेक विमारतक्या वा महाभारतका वर्ण १६७७ शमें रामप्रसादी गमायण समाप्त हुआ। नीय विषय ले कर अनेक काव्य रच र प्रमिद हो रामप्रसादक समय माणिक्चद्र नामक एक व्यक्तिने गये हैं। उनमें विजयपण्डित सअप, फरीद्र परमेश्वर रामायणकी रचना की। भवानीदासने जयचद नामक श्रीकरन दी, इयान द सु अनन्त मिश्र निस्यान द किमी राजाक आदेशस 'लक्ष्मण दिग्विजय' प्रग्य लिखा। घोप द्विज रामना , शङ्कर कवि, रामरण इस प्रथम कह जगह रामचरण नामक कविकी भणिता पण्डित, द्विज नदराम, घनश्याम दास, पष्ठीयर और पाई जाती है। इसके चलाया रामचरितका अवलम्बन कर यहुतस कवि खण्डकाथकी रचना कर गये हैं। उनम- गट्नादास सेन उत्तर ब्राह्मण सारण फाशा पान, से गुणरान पाक धम इतिहाम (अर्थात श्रीकृष्ण युधि नदराम दाम गायन दाम, राजेद्र दाम गापानाथ हिर सवादर्म श्रीरामचरित) रामजीवन रुद्रकी कौशल्या दत्त, रामेश्वरन दी, दिलोनचक्रात्ती, मिाइ पण्डित वल्लभदेय, द्वित कृष्णराम, द्विज रघुनाथ, गेक्नाथ दत्त, के चौतीसा, सुपि हरिशद्रक म्वर्गारोहण गुणचन्द्रके शिवद्र सेन, भैरवाद दास, मधुसूदन नापित,भृगु पुत्रके सीता वनवाम, लोकनाथ सेनफ लवकुशक युद्ध रघुमणिके कनिष्ठ भवानीसाथ पारिजातहरण गम दास भरत पण्डित मुरु दान , रामनारायण घोप आदि ३५ कवि प्रथ पाये गये हैं। इनक सिना छिन तुरसोदामफ रायमार भवान दके राम स्वर्गारोहण तथा भवानीदासक क्षमण दिग्विजय रामक खगो भवान व हरिवंश, मजप और विद्यापागोश ब्रह्मचारोने रोहण भोर रामरलगाताकी रचना उल्लेबनाय है। भगयगोता अनुपाद तथा पुस्पोत्तम और गयर दामने पद्दिन द्विज दयाराम काशाराम जगत्वल्लभ | महाभारतीय विष्णुभक्तिको क्या ले कर मोहमुगा लोक नाथ दत्त और रामनारायण घोष नलोपाख्यान लेकर द्विज तुलसी आदिगचित सक्षिप्त रामायण पाये गये हैं। नैषध पापतीनाथने लोदय, सञ्जय और शिवसेनने जो गौरीमगले लिध कर शात्त समाजम प्रसिद्ध हुए हैं, भारतसावितीकी रचना को।