पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५३२

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वमकी-उजदष्ट्र ५३० यज्ञ कोट (स.पु.) एक प्रकारका कीडा नो पत्थर या | वज गोप (म पु०) इगोपकारमेद, बीरगटो। काठको कार र उसमं छेद कर देता है। कान हैं, कि यर घात ( स० पु० ) वज पात । गएडक नदीम इन कीटोंके द्वारा कारी इपिला हा | यज घोप ( स० वि०) वन पतनका पडकर शब्द । शालनमकी पटिया बन जाती है। वनदष्टदियो। बज वर्मा (स.पु०) यज बत् दुर्भद्य चर्म यस्य । गण्डक, यज काल (म.पु.) चन। गैंडा पज कुक्षि (मलो०) पर तगुहाभेद। जिचुञ्च (म. पु०) गृध्रपक्षी। यन फूट (स.पु.) १ एक पतिका नाम | 0 हिमालय चनिन् (म ० पु०) वत्र जयति तभ्य आघात सहनेनेति, की चोरी परका पर एक प्राचीन नगर । जि विप् तुगागमश्न। गरुड। यज रच्छ (स.पु०) प्रायश्चित्तविशेष। पत्रज्वग्न (म0पु0) विद्युत् विजली। घज पेतु (मपु०) असुरभेद । यह नरवका राना था। वनज्याठा (सस्त्रो०) यजम्य ज्याग। १ यज्ञाग्नि । पन क्षार (स क्लो०) यज सशक क्षार । क्षारविशेष । | २ विरोपन दैत्यको पौवाका नाम। ३ बुम्माणको पयाय-पत्र, क्षारयेष्ठ, रिदारक, सार, चन्द्रनार, धूमोत्य पत्नी । धृमजाक। गुण-अति उज्या, तीक्ष्ण क्षारक, रेचन वज्रटडूशास्त्री-भयानन्दीयात्रएडन और बजरतीय न्याय गुन्म उदरपीडा विष्टम्भ और धमनाक। प्रथके प्रणेता। लोहारोगाधिकारमें मोपविशेष । प्रस्तुत प्रणाला- वटाक (स० पु०) वन ण वनापारेन रोकने प्रकागते मामुद्र लघण घर पण, पार पण यथार, इति टायक । यतकपालि नामक युद्ध । मीयचर सत्रण मोद्दागा और माचिधार इन वरावर 'नडाकिनी (म० सी०) महायान शाखाके तान्त्रिक धौद्धों घरावर चूर्णको मापन और यूटरफे दूरमें तीन दिन की उपास्य डाकनियों का एक यगे। इसके अन्तर्गत ये भापना देकर एक तयिके वरतन रपे और मुहवद कर आठ डाकिनिया मानी जाती है-तरण लाम्या, पोत तेग लगा दे। पीछे उम्ने पुटपाक करके चूर्ण करे। इसके | वर्णा माला रक्तयणा गीता, श्यामयणा नृत्या, शुक्रर्णा पाद त्रिष्टु विपला नीरा हरिद्रा और चिता इनके । पुष्पहना पुष्पा पोरणा धूपम्ता धूपा रक्तपणा दोप ममान भाग चूर्ण को मिश्रिा कर भारका पर्दाग देना। हस्ता दापा तथा गहन्ता हरिवणा गधा। इनका होगा। मात्रा दोपके बगनुमार स्थिर करनी चाहिये। पूजा पाठ और तिब्बतम होती है । इन अविनदाकिनी यदियायुकी अधिस्ता रहे, तो उष्ण जल अनुपान नग्मा को बहुतेरे अण्मा - पातर मानते हैं। को अधिकता रहनेमे घृत, पित्ती अधिवना रहनेसे पत्रणवा (स. खा० ) राणीभे । (पा ११८) गोमूत्र तथा विदोपदुष्ट होनेसे कामी अनुपानके माथ | वनतर (स पु०) रवी जोडाइमा पर प्रकारका ममारा। सेयन करना होता है। इस औपके सेवनसे मभी तोर्य (म० पु०) तीर्थभेद। बजतीयमाहात्म्पमें इसका प्रकारके उदरी गुल्म, शल, अग्निमान्य, अजीप और । मरिम्तर परिचय है। पोहादि रोग यति मात्र प्रयमित होते हैं। 'पन्नतुएड (म0पु0) पत्र वनय कटिन तुण्ड यस्य । (रसे दमारह० प्लीहारोगाधि०), १ गरुड । २ गणे।। ३ गध्र गाय । ४ मत, मच्छड। पत गम (म0पु0) बौद्धोंको महायान शाखाके अनुमार । ५म्नुहोश थूहर । (त्रि०) गुण्डधर । पर वोधिमत्त्वका नाम। } बनतुन्य (स० पु.) पण तुल्य । पना ममान । पत गोप (म0पु0) इन्द्रगोपकोटमेद वीरवरा नामका बदः (म० पु०) चन इव दना यम्य दिगोपनीर, काही। चारवटो । २ रायममेद । ३ मसुरभेद । ४ सधादि पज गद-बवाप्रदेशके पूना निलातगाएर गिरिता धर्णित एक II (त्रि०)५ जकी नराः प्रायुत, पज गुग्गुलु (मका ) अपविशेष । निमय दात घनके समान पठिगहों।