पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५३६

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यजमावा-नत्राचार्य ५४३ वनगाथा (स. खा०) मन ए, सम्प्रदायका म चनहस्तदेवाइयशीय एक राजा। वे त्रिकलिङ्करे एक जिसे पत्रस्वामान चाया था। अधिपति थे। फलिङ्गनगरमें उनका राजधाना था ! वजशिष्य ( स० पु० ) भृगुक एक पुत्रका नाम । उनके पिता नाम कामात और मातामा नाम निय वज़हुला (म.खा.) न चन् भल यम्या । जैन महादेवी था। मतायुमार मोलह महाविद्याोमम एप। वनइस्ता (म. स्त्री० ) १ मिधभेद। २ वौद्धदेवीभेद । घनश्रावरिका (स० स्त्री०) पनाचि तालमखाना। जहण ( स० क्ली० ) नगरभेद । इमे लिगम कोकिस्ता और यम्बइमें विसरा कहते हैं। यत्रा (म ० स्त्री०) यजति गतीति व गता रक-टाप् । रजसबात ( स०ए०) १ पत्रक समान कठिन । २ भीम १स्नुही व क्ष, यूदर। २ गडू चा, गुरुव। ३ दुगा। सेन । ३ पत्थर जोडीका एक मनाया मम माठ बज्राशु ( स० पु०) श्रीकृष्णाके एक पुत्रका नाम ! भार मामा दो भागकामा और एक भाग पीत ठ होता वचार(स.पु०) होरक्यनि, होरेकी पान । था। इममे पल्पाको जोडाइका नातो थी। बजारति (सत्रि०) पज की तरह आइतिविशिष्ट, यजमहत (म० पु०) चुदभेट । जिसका आकार सका तरह हो। पहले व्याकरणम वनसत्त्व (स० पु०) एक ध्याना युद्धका नाम । जिज्ञामूर्गय वर्ण सशामें जो चि ह गाया जाता था, वज्रधर देखा। उमे वजाति कहत हैं। यज्रसत्वात्मिका (स० सी०ध्याना बुद्धकी पनाका वजाप्य (सका० ) यन आख्या यस्य । १ वज्रपाषाण, नाम। पुलपड़ो। २ सेहेएड थ थूहर । ३ वज्र। पत्रसमाधि (स.पु०) पौधमके अनुमार एवं प्रकारको बजाधात (सपु०) १ वज्रपात, । २ मास्मिक दुघटना समाधि। या पिपट । वनममुकीण (मनिहारक्वचित, हारा जद्धा वनाडित ( स० वि० ) वनवियुक्त । शुना। २ कठिन यन्त्र द्वारा उत्पात, मनबूत औनारसे पत्राइ,शा (स. स्वा०) तन्वा देवाविशेष उनाडा हुआ। पढाइ (म.पु) बज मिा अट्न यस्य । १ मप, माप । वज्रमार ( स० पु०)१ होरक, होरा।२ यत्रके समान २ हनुमान् । (त्रि०) ३ पत्रक समान यह विशिष्ट जिम सारयुक्त । । का शरीर वज्ञक समान पठिन हो । यत्रसारमय (स.नि.) बनसारस्वरूपे मयर ।। यत्र वज्राङ्गा (स • स्रो०) वनगटाप । १गरेका, मारक सट्टा होरेका पना हुआ। कोडिल्ला। २ अस्थिसहारा, हडजोड नामकी लता जो यमिह (स.वि.) r हिंदू राना। चोट लगन पर लगा पाती है। घससूचो (स स्त्री होम निर्मित सूचि, होरको सूह।। बज्राचार्य नेपाल के बौद्धताना आर्य या गुप। २गदरावार्य रचित उपनिद भेद। तिव्यत्तम यही वज्राचार्य लामा कहलाते हैं। लामा दम्वा । यजसूय (म.पु० ) अतिसारयत्वात् यनमिर तस्त्रि नेपालक मुण्डित वाडा' नामक बौद्ध आचाय दो तान् सूर्य । युनरिशेष, युद्धका नाम। भागाम विभत हैं-मिन और वनाचाय। जो ससार यसन (स.) १ श्रावस्तिपुराके पफ राजा। त्यागा है तथा वाह्यचर्यका अनुष्ठान करते हैं, वे भिक्ष आचाय भेद। और जो गृहस्थ तथा अभ्यन्तरचर्मका पारन करते, ये पजस्थान (सका.) मगर भेद। हो वनाचा पहलात हैं। यत्रस्वामिन् (म. पु०) मत्तरह न पूर्णिमस एक यज्राचाय गृहस्थ हैं, इस कारण खापुव ले कर यज्ञदस्त (स.नि.) यत्र इम्तै यस्य । यसपाणि, इन्द्र। विहारमें पास करते हैं। फिर भी लोग पर प्रशारण इसस म्नि, मरदाण, शिय मादिवा भो बोध होता है। नपार बौद्धसमानके कायक्रो म तपादाता मोर मघा