पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५३८

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५४. वज्रेश्वरीविया बञ्चुक अपसे पवित्र किया हुगा बन गनामोशे रमना उचित । होमसे सिद्धि दुग्ध होमम निशुद्धि, तिल होमस रोगनाश पद्म होमस धा पव मधुरपुष्प द्वारा होम करनेमे शान्ति प्राचीन काम र उपकाराय नभाने महादेयक | का वृद्धि होती है। माविता द्वारा ३०६पार बार होम पाम इसा अभ्यास किया था। किमा समय इने) करनेसे सब तरहको जय प्राप्त होती है। विश्वरूपका बता हुइ विद्या द्वारा मोमरस तैयार कर | यत्रोदरी (RO खो०) राक्षसाभेद ! के विश्वकपको मारला इसके बाद रहने मोमयोगसे बोला (हिं० रो०) हठयोगी एक मुद्राका नाम । हुन दवि की प्रार्थना की। प्रनापति वटान या बाबजलपत्तामै १५ मील दक्षिण में अवस्थित एक पुन नि यरुपये मरनमे कुपित हो कर उन्हे मोमगम दने । घडा प्राम। यह स्थान प्रभा वाणिज्य यदररूपमें गिनो म इनकार किया। इस पर मयल प्रोधित हुए। भाता है । यहा १८ौं महाक मध्यभागमें Tयाको मेनाक ये परदस्ती मोमरस पा गये। प्रनापनिने इटके गनु ! साथ अगरेजका एक युद्ध हुआ था। भाग्विर अरेजी फा वृद्धि हो रहर यम आहुति डाला । उसमे रवा । मनाने दुर्गको अधिकार किया । कप्ताइस दखा। मुर प्राट हुमा । पाटे उम राक्षमने इट पर बरे घेगमे यश्चक (म पु०) यञ्चयते प्रतारयनीनि वञ्च पिच पपुल। भाममन किया। मयसे विहट दो ग्रहाको परपमें १शाल, गादद।२ गृहस, सोंधियार । चोर, उग। गये। तब ब्रह्मान कहा- हे अग्न्दिम। तुम अभी बने । (नि.) ४ धृत्त, ठग। ५ पल । वराम बसे ममिपित्त यन्त्रको छानो शीघ्र हा तुम्हारे श (म • पु०) पञ्चति मतारयतोनि यञ्च (गोरसपाति । मानात होगा। । उण १९९५) इति अपपूर्त। २ यश्चना। ३ कोपिर । इस पनेवरा मण्यम पदले गायना, उसके बाद 'ओम् पञ्चन (स० का०) वश भारे न्युट् । प्रसारण, घोरमा दे। फर, नदि त्यादि' मन्त्र हैं। यह ग्राहा विद्या सद ! या खाना । तिवारसमें लिखा है कि किसाम ठग ना। मांजा नाश कग्नेशाती है। इसके द्वारा वशीकरण, । पर बुद्धिमान्को चाहिपे कि उसे प्रकाशन करे । विद्वेष, उद्याटन म्लम्मन, मोहा तान, उत्सादन : यशनता (स० स्ना०) पश्चनस्य मावल टाप । पञ्चनका छेदन मारण, प्रतिव घा, मनास्तम्भन ममी कम मिद्ध माय वा धर्म । पञ्चनयत् (सं० लि०) पचन सम्त्यधै मतुप मम्य च । यश्चन 'मापाहि परदे देवित इत्यादि मन द्वारा दगीको शि , जो ठगा गया हो। भाषाहन कर पता नपादियाय काय तथा पत्यादि मिया वचना (R० नो०) यञ्च णिच् युर टाप् । प्रतारणा धोना, कारक 'मायणेभ्योऽम्पनुशाता गच्च देगे पयासुग्न फरेय, छह । मल दारा देयाको सिजन करना चादिपे। दमक } यश्चनीय (म०वि०) यश्च भनायर । प्रतारणाय टगने बाद मन यापन करके होम परना उति। म गया। विधाक द्वारा म तरह ाय मिद होना है। पञ्चपन (म.लि.) यश मिचन्तृष । घशा, टग। यश्याजातिपुष द्वारा तीन मयुनत्रय अधान् सीम हजार पञ्चायतप्य (म.मि) गणिच तस्य । पश्चना योग्य, बार दोम करे। पृत परवीर द्वारा होम रोम मा ठगालाय । पणका मिति होती है। समय पुरावा दोग करने पनि (म. लि०) पाप स्मेति पत्र लिन १शना से विष मिद होता है। तलादोमम उपाटन गधु यिनिए, घाग याया हुमा। यग विधामा। द्वारा सम्मन नि होमसे मोहन ,गा नया उ यमुप, मय। गघि गाइन माहोमसे पारन, रोरा वाजसे मायशिन् (म. मि.) पनारा घोमे द्वारा। तथा उघारन पागपत्र द्वारा ग्धा प्य मन पिरामे यक (म.f०) पनि प्रतारयवाति व अन् । प्रया मरनेमे पैन्यानम्मन होता है। इनफ अगया पून पार वृत्तटग। To I 137