वनकर्कोट-- बनजा
वनकोट ( स० पु० ) अरण्यकर्कटिकी, जङ्गली ककोडा । वनघोली (सं० स्त्री० ) अरण्यघोली।
वनकर्णिका (सं० स्त्री०) सल्लको वृक्ष, सलई का पेड। वनङ्करण ( स०क्लो०) शरीरका अंजविशेष। मायणा-
वनकाम (सं० वि०) चनभ्रमणेच्छु, वनमें विचरनेवाला चार्यके मतसे "वनं उदकं क्रियते विसृजते येन" इस अर्थ-
वनकार्पासी (स० स्त्री०) वनोद्भवा कार्यामी, जंगलो में जलकारी मेघादिका वोध होता है।
कपास। पर्याय-त्रिपर्णा, मारद्वाजा, वनोद्भया । वनचन्दन (सं० क्ली०) वनजात चन्दनं । १ अगुरु, अगर ।
(रत्नमाला) २ देवदार, देवदार।
वनकुक्कुट (स० पु०) वन-ताम्रचूड़, वन-मुरगा। वनचन्द्रिका (सं० स्त्री०) बने चन्द्रिका ज्योत्स्नेव ।
वनकुञ्जर (सं० पु०) हस्तिभेद, जंगली हाथी।
मल्लिका, एक प्रकारका चला।
वनकुण्डली (सं० पु०) वनभरण, जंगली जिमीकंद। , वनचम्पक (२० पु०) वनजातश्चम्पकः। वनज चम्परु-
वनकेन्द्राणी (स० स्त्री०) श्वेतनिर्गुण्डी, सफेट सम्हाल ।। पुष्पवृक्ष, जङ्गली चम्पेका पौधा । पर्याय-चनदीप, हेमाह
धनकोकिलक (सं० क्लो०) छन्दोमेद। इस छन्दके प्रति सुकुमार । गुण-कटु, उष्ण, वात और कफनाशक, चक्षु.
चरणमें १७ अक्षर रहते हैं। सातवें, छठे और चौथे। का दीप्तिवर्द्धक, व्रणरोपण और वयःस्तम्भकारक ।
अक्षरमें यति होती है। इस छन्दके १, २, ३, ४.५, ६, वनचर ( स० ति०) वने चरतीति वन चर ट। १ वन-
८, ६, १०, १२, १३, १५ और १६ अक्षर लघु, वाकी सभी चारी, वनमें भ्रमण करने या रहनेवाला। २ जङ्गली
वर्ण गुरु होते हैं । यह कोकिलक नामसे भी प्रसिद्ध है। मनुष्य या प्राणी । ३ शरभ नामक वनजन्तु ।
वनकोद्रव (सं० पु०) वनज कोद्रवधान्य, जंगली कोदो। वनचर्या (सं० स्त्री०) वनचारो । २ वनवासी।
वनकोलि (सं० स्त्री० ) वनोद्भवा कोलिः । वनज वदरी, वनचारिन (स० वि०) वने वन्तीवि बरः णिनि । वनमें
जंगला घेर। पर्याय-कर्कशिका, फलकशा। विचरण करनेवाला।
बनकक्ष (सं० त्रि०) १ सोमपानसे वुवुदाका निकलना। वनछाग (सं० पु० ) वनस्य छागः। १ अरण्य छागल,
२ विभिन्न काप्टपातमें स्थापित । (ऋक ६।१०८१७ सायण) जङ्गली बकरा । पर्याय-एडक, शिशुवाह्यक। (त्रिका०)
वनक्रीड़ा (सं० स्त्री० ) वनेक्रीड़ा। वनकेलि, बनमें जो खेल । वने छाग इव ! २ शूर, सूअर ।
किया जाता है उसको वनक्रीडा कहते हैं।
..वनछिद् (स० त्रि०) १ वनकर्तनकारी, जंगल काटनेवाला ।
वनखण्ड (सं०ी०) वनविशेष ।
। (पु०)२ लकडहारा।
वन (स० वि०) वनं गच्छति गम-ड । वनगामा, जगल. वनच्छेद (स० पु०) काष्ठकलन, लकडी काटना ।
मे जानेवाला।
वनज (स० क्लो०) वने जले जायते इति जन-ड ।
वनगज (सं० पु०) वनोद्भवाः गजः। वनहस्ती, जंगली ।
हाथी।
१ अम्बुज, कमल । २ मुस्तक. मोथा।- ३ गज, हाथी।
वनगव (सं० पु०) बनगो, जंगली गाय।
४ वनशूरण, जगलो जिमीकन्द । ५ तुवुरुका फल ।
वनगहन ( स ० क्ली० ) गभीर वन, घना जङ्गल ।
६ऊंगली विजारा नीबू । ७ वनकुलथी। ८वनतिलक ।
वनगुप्त (सपु०) गुप्तचर, भेदिया।
(त्रि०) ६ वनजात, जो बनमे उत्पन्न हो ।
वनगुल्म (सं० पु० ) वनजात गुल्म, जङ्गली लता ।,
वनजताम्रचूड (सं० पु०) वनकुक्कुट, जंगली मुरगा।
वनगो (सं० स्त्री०) वनस्य गी. गवय, जडली नील वनजमूद्ध जा ( स० स्त्री०) रिडी, कांकडासिंगी।
गाय।
वनजवृत्तिका (सं० स्त्री०) हस्खमेवरङ्गी, मेढासिंगी।
वनगोचर ( स० पु० ) वन गोबरो देशो यस्य : १व्याध । वनजा ( स० स्त्री०) वने जायते इति जन-ड स्त्रियां टाप ।
वनं जलं गोचरो निवासस्थानं यस्य । २ नारायण।। १ मुद्गपणीं । २ निर्गुण्डी। ३ सफेद क्टकारी । ४ वन-
(भाग० २११८)३ टीका-स्वामी। (त्रि०) ४ जलचर। तुलमी । ५ असगंध। ६ वनकणसी। ७ मिश्रे या, सौंफ।
५काननविहारी, जंगल में विचरनेवाला।
। ८ वनोपोदिका । ६ गन्धपता । १० ऐन्द्र, इन्द्र-सम्वन्धी।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५५१
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
