पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५५८

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वनमानुप-वनमाला Shree XM वि जो उई प्यार परन , उनक पास बैठ कर ये भोजन करते है की अति उद मयर दिया करारा SAR वेगसे प्रहार करना शुरू करन है। पीछे हाथो वृक्षको का उल्लेख किया है। पश्चिम अफ्रिका गिन नदी तोड पर उतर भोपडे नए कर देते है इमो भयमे वे तारप्रदेशवासी rgonia तथा nigar दलोंक हायोको देखते हा उस भगानेका नेटा परते हैं। समय शिम्पाजी तथा गोरिला जातिका विस्तृत विवरण वानर समय पर ये वनमध्यगामी असहाय पथिकों पर शन्दमें लिखा गया है । वानर दसा । वृक्षको डाल लिये व गसे आक्रमण करते हैं। कुभियर सधा कप्तान पाहारक वर्णनाले जाना जाता है, जि एक समय इन मवोन नमा बारिकामो को र कर बनम | डिगारवा था। पितरानद्ध पाता। अनुकरणप्रियता और सुद्धिकी प्रखरताका परिचय पा कर डा. ट्रेल कहत हैं, कि उनका स्वभाय वडा का आश्वयजनक होता है। उसे पर्यवेक्षण करके नित्य हो नूतन गला महलन किया जा सकता है। ये आसानोम यशाभूत होते हैं यहा तक | विजी हे प्यार करते हैं, उनके पास धैठ कर ये भोजन 41 नक करते है । जो व्यति' हे मवदा चिढाया करते हैं, उहे देखते ही वे पिनि भार प्रसारके उनके पास से विमक जाते हैं । यूरोपोय प्रधानुसार वे भी हाय गल कर आनन्द प्रकाश करते है। उनके शरीर रोए से ढके राइने पर भी ये शीतप्रधान देशमें वास करना पसन्द नहीं। करते । शातप्रधान यूरोपमएड में ये अपने मालिक ! दिये हुए पम्पल बिछा कर भान दम परत है। काधित । होने पर घेऊचे पर चिता उठते हैं प मोठा पना पानेसे थे'हाम हाम' शब्दो द्वारा आ7-- प्रकाश करते। शिम्पानी। पामार ( स० पु०) पनविडाल । गरायाने सर नेमस् प्रकने लक्षाके यगाल बनमाल ( म०नि०) १ वनमाला। (पु०) २ या या पमियाटिक सोसाइटोम जादुघर में एक दाघाकार वन विष्णु | ३ प्राग ज्योनिपके भगदसरशीग एक रामा | मानुपायकाल भेजा था। मिगइदने उनकी पृष ___माग ज्योतिष देयो। कना लक्ष्य कर उनके पार दल निर्देश पि है- | वनमाल्देव-शिलालिपि घर्णित फामरूपके एक राजा । १ Pithecils Brooker नामियम रन्यि २ P Saty rus धनमाला ( स० स्त्रो०) यनोमा पुपरपिता माला, मध्य घा मियम पप्पन, ३P Curtue या मियस पिन् । पदोगी। १ यनक फुलको माला। २२ विशेष ४P morno या मियस कमर पर ५P Omni1 ये सब प्रकारको माला। यह सष ऋतुर्म होनेवाले अनेक विभिन्न वाक यनमानुप भारतीय द्वीरो विभिन्न क पनमानुप भारताय द्वारा विभिन्न प्रकारके फलोसे बनती और घटने तकलवी होना पो। भागों में वास करते हैं। सुमाताके उत्तराशमें P mornoj ऐसी माला श्रीकृष्ण धारण करत थ। ३ छन्दीभेद । एय दक्षिणा में P Ouent जातियों यास दखा। इसके प्रत्येर शरणमें १८ मक्षर होते हैं। उममे १२, जाना । नीयतत्त्वयिदु जई ने द्वीपोंक Simum ३ ४ ५ ६,८,१५, १४ और १६ यण लघु तथा वारी Sitrrus तथा S morno नाम दो पातीय वनमारों पर्ण गुर होत हैं। इसका १, २, ३, ४, ५, ७,६ १२, rol 1 143