पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५६०

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वनलता-पनवोर ५७१ घनलता (स० स्ना धनजति लता, वल्ली। | धनपिलासिनी (स० स्त्रा०) शङ्खपुष्पी रता। बनलेवा (स० स्रो०) बनाना लेखा ६ तत्। वनको श्रेणी, | चनयाज (स० पु०) पनवीजपूरक, अगला विजौरा नोवू । धन समूह। घनपोजपूरक (स० पु०) धनजात मातुल वृथ जगली वनयधरिका (स. स्त्रो०) चनजाता वरिका । भरण्यजात विजीरा नीतू। मराठी-वनवालिङ्ग, फनाही-- चबरी वनतुरप्ती। पर्याय--सुगन्धि, सुमसानक, दोष यामाधवल। इसका गुण-अम्ल, क्टु, उष्ण रच्य, फेशी, विपन्न सुमुख, सूक्ष्मपत्रक, निद्रालु शोफहारी वातन, हाम्लदोष और कृमिनाशक, कपन्न तथा सुपर 1 इमका गुण-उच्या सुगन्धि, पिशाच, गाति । श्वासप्न । (सननि०) और भूतन तथा माणसातपंणकारो। (तनि०) वनर-सिसोदिया धारवर पृथ्वीराजकी उपपत्नीके वनाहि (स.पु.) बनम्य इनोभवो या यहि । गर्भस इसका जम हुआ था। राणा विक्रमाजीत और दावानल। सरदारों में कुछ मनमुटाव हो गया। इसलिये सरदारों नपात ( स . पु०) धनवायु पनानिल। ने मेवाडके सिहासनसे राणा विक्रमाजीतको उतार कर वनवास (म0पु०) यने यास । मनका निवास, जङ्गलमें | उस पर वनवीरको विठाया। रहना। २ बम्ता छोड कर बङ्गलम रडनेको प्यास्था या ___घनवीर गद्दी पर बैठते हो निष्क्ट क होरा प्रयत्न विधान । ३ मध्यक्ष, महुपका पेड। (निक) पने वासो करने लगा। राणा विक्रमाजीत तो उसका भाखोंमें यस्य । ४ बनवामो जङ्गर में रहनेवाला। गडत दी थे। दूसरा स मामसि हा छोटा लड़का वनासक (स • पु०) १ शाल्मलीकन्द। २एक प्राचीन | उदयमिह भी शुक्रपशके चन्द्रमाये समाज पढ रहा था। नगर जो कादम्य राजाओंको राजधानी था। कादम्ब देखो।। वह भा चनवीरका एक बहुत दृढ एक था । धनवीरने धनवासन (स.पु०) यन यासयनि गधेनेति वासिस्या अन्तर्म अपो एटकोंको निकाल देना ही निश्चिा १ बट्टाश, उदविलाप । (नि.) २ घनमें घसाना। किया। एक दिन वनवीर अपरा विचार दृढ पर रात वनयासिन ( स० पु.) यन यासपति सुरभीक्रोति इति । का प्रतिज्ञा करने लगा। पोरे धीरे रात आ गह। इस पामि णिनि । १ ऋषभ नामक ओपधि । २ मुष्ककवृक्ष ) समय कुमार उदयसिंह भोजन फरक सोये हैं, उनको धाय मोखा नामका पेड। ३ वाराहाकन्द। शाल्मलीकन्द । विस्तरे पर बैठा सेवा कर रहा है । उसी समय रनिवास ५ नोल महिपकन्द । ६ द्रोणार, होम पौआ, वा काला रोने पारनेको आवाज सुनाइ दोधाय उठना ही चाहती काँगा । ७ धोपारन्तरस्थ खउजूरीश, दोनों विशारे लगा। था कि वारी राजकुमारकी जूठन उठाने यहा आया। हुमा खतरका पेह । (नि.) पने यसतीति यम णिनि । उसने कहा वडा गनर्थ हुआ, वनवीरोराणा यिकमा ८ वनासकारा, धनमें रहनेवाला, वस्ती छोह कर जोतको मार डाला । सुनते ही घायका हृदय कपिन रगा। जङ्गल में निवास करनेवाला। वह समझ गइ, कि यह दुष्ट राणाको मार कर ही धयों पनवासी (स० पु० वि०) पनवासिन देवा । चुप रहेगा। राजमारक भी प्राण लेने इधर मायगा। यनयामी-दक्षिण में तुङ्गमद्राका शाखा वरदा नदाके | उस एक उपाय सूम पड़ा। उसने एक रोपरेम रान किनारे बसा हुआ एक प्राचान नगर । यह कादम्य राजा | कुमारको ले कर ऊपरमे पत्ता ढाप दिया और पारी थोंका प्रधान नगर था। भौगोलिक रहेमो BnAmases द्वारा राजकुमारको घासे घटा दिपा। उत्तफे जाते ही नामसे इसका उल्लेख कर गये हैं। कादम्ब दवा। पनीर रुधिरमेसी तयार ले कर पहा था गया। पनयास्प-जनपदभेद, दक्षिण यनवासी राज्य। । उमने पूछा "राजकुमार पहा है" धाया राजकुमारक घनपिडाल (म. पु०) यनमार्जार । बदले अपने पुत्रको दा यतला दिया। पनीरने उमे भी बनपिरोधिन् (स.लि.) १ यनका शतु । (पु)२ या मारहाण भोर तबसे उमो अपनेको शिएक मम ऋतु। लिपा।