पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५६५

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वन्दन-चन्दिन बांदा १५ एक चिपका नाम । ६ एक अमुरका नाम । ' बन्दा (सं० पु. ) वृक्षोपरिब,क्ष, वाना। ७पक राक्षसका नाम । (ऋक ७१५१२) बन्दाका । मं० स्त्री० ) बन्दा, बादा। चन्दन-बम्बई प्रदेश के अन्तर्गत एक गिरिदुर्ग और उमः चन्दाकी ( म० ग्रो०) बन्दा, बांदा । के नीचे में अवस्थित एक बडा ग्राम ! चन्दास ( म० वि०) चन्दन तीति अभिवादयनीति बन्द अन्दनमाला ( ० स्त्रा० ) वन्दनाथ माला यत्र सा।। (श्रायोगः । पा ३१२११७२) उनि आमा बन्दनत्री र । २ नोरण, वहिवार । २ वन्दनवार, वह माला जो सजावट- (लो०) २ स्नोव । बन्दाक, वादा। के लिये घरों के द्वार पर या मण्डपके चारों ओर उत्सबके | नन्दि ( सं खी० ) वन्दने नीति नृपादिक म्वमुक्त्यर्थ समय बांधी जाता है। इस मालामें फूठ पनिया गुछी मिति यदि ( मर्न चातुभ्य इन् । 'टण ४।११७ ) इन इन ! १ रहती है। यनादि में आम के पलव गुथे जाते हैं। आकृष्ट मनुष्प गवादि, फैटी ! पर्याय-प्रप्रह, उपग्रह, बन्दो, वन्दनमालिका (मं० स्त्री०) चन्द्रनमाला स्वार्थे कन-टाप् । वन्दिका । (गदग्न्ना०)२ गेवान, मोढ़ी। उन्लट या इत्वं । बहिरोपरि शुभदा माला, बद माला जो; चोरीका माल। (पु०) ४ म्नतिपाठर, राजाओंगा या मजावट के लिये धर्गके द्वार पर या मण्डपके चारों ओर वर्णन करनेवाला । उत्सव के समय बांधो जाती है। बन्दिग्राह (म पु० ) यन्द्रिमिव गृहम्य गृ णानीति प्रन- वन्दनवार (हि.स्त्री०) वन्दनमाग्निका दग्यो। का अन्यायध देवनागारमेक इनाये लोग गृटायो वन्दनधन (म०नि०) यदि अभिवादन स्तुत्योः इदित्वा बन्दीको नम्ह रद र उमका यधासाम्य लट लेते हैं। न्नुम् मावे लघुट तेषां श्रोता , त्रु श्रवणे किपि तुगागमः। मिनाक्षगगे लिया कि राजा शला पर चढ़ा म्नुति श्रोता। (शक ५५.१७) वन्दना (स० स्त्री०) चन्द (घटि-वन्दि-विदिम्यश्चेति वाच्य ।।. १। वन्दिचौर (म. पु०) चन्द्रिमिव विधाय चौरः अपहारका पा ३३१०७ ) इत्यस्य वार्शिकोयत्या ग्रुन, टाप् । हर बन्दिमिय कृत्वा ममस्मद्रयाणामपहार मन्या- , रतति । पर्याय-समीची । २ प्रणाम, वन्दनायनशान बन्दिग्राहकैन। पर्याय-माचल, होम भरम द्वारा तिलक, वह तिलक जोहोमकी मरमसे चन्दोकार । (निका०) यजके अन्तमे लगाया जाता है। ___कवि लोग अन्य के आरम्मम निर्विघ्नपूर्वक प्रन्यकी वन्दित (सं० वि०) वन्द-तृत् । बन्दर, वन्दना करनेवाला। परिसमाप्तिको कामनासे देवताको वन्दना किया करते है। चन्दिदेश-प्राचीन जनपदभेद । शायद यही राजपूतानेरे वन्दनी (सं० स्त्री० ) बन्द ल्युट्-डोप् । १ नति, स्तुति । अन्तगत वृदी गज्य है । ( तापोग्य० ४७ थ०) २ जीवातु नामक ओपथि। ३ गोरोचन | ४ वयो । | वन्दिन (सं० पु०) चन्दते स्नोति नृपानीन्निनि वदिस्तुती णिनि । गजाओंकी यात्रादिमे वीर्यादि रतुनिकारक । ५ याचना कर्म। ६ निलकादि चिह्न जो शरीर पर बनाए जाते है। पर्याय-स्तुनिपाठक, मागध, मगध । प्रतियाममें जय. वन्दनाय (सं० लि. ) बन्दना करने योग्य, आठर करने घोषणादि द्वारा राजाओंका स्तुतिपाठ करना ही इनको लायका वृत्ति है । ब्राह्मणीके गर्भने क्षत्रिय औरमर इस जाति. वन्दनीया ( स० स्त्री०) वन्दनीय-टाप। १ पूजनीय। को उत्पत्ति हुई है। २गोरोचना "क्षत्रिवाद्विपकन्याया सुतो भवति जातिनः।" चन्दा (मं० सी०) चन्दते अपरवृक्षमिति यदि-अच टाप् । (मनु० १४ ३०) वृक्षोपरि वृक्ष, दूसरे पेडोंके ऊपर उसीके रससे पलनेवाला। भ्राद्धतत्व लिग्ना है, कि श्राद्धके बाद इन्हें यथा एक प्रकारका पौधा, वादा । ( Epidendrum tessella- शक्ति दान देना चाहिये। यदि इन्हे कुछ न दिया जाय, tum ) इसका स्वाद तिक्त होना है और वैद्यकमें यह कफ तो श्राद निष्फल होता है। फिर शास्त्रमे लिखा है, कि पित्त तथा श्रमको दूर करनेवाला कहा गया है। श्रायके वाद दान नहीं करना चाहिए, किन्तु दूसरी जगह