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वन्धुरस्थ-वपा
वेष्टितं सारथैः स्थानम् यहा नारध्याश्रयस्थानम् । । पकड़ी। ४ गुखा। ५ मिया, सोफा ६ भद्रमुस्ता, मद्र-
पवर्ग में देयो। मोथा 10 गन्धपत्रा। ८ अश्वगन्धा, समगन्ध । जल-
वन्धुरस्थ ( सं० वि० ) रथामने उपविष्ट । रथारूढ रथ प्लावन, जलसहति । १० पिण्डग्रज र । १५ वनहरिद्रा,
पर बैठा हुआ।
जगली हल्दी । १२ मेथिका, मेयो।
वन्धुरायु (सं०नि०) वन्धुरयुक्त।
वन्याशन (स० वि० ) बन्यफलागी, जङ्गली फल पाने.
पन्धुरेटा (सं० त्रि०) रथोपविष्ट, पथ पर बैठा हुआ। वाला।
( इन्द्र)। (ऋक् ३ ४३१)
वन्याश्रम (सं० पु० ) वनाम |
वन्न-वम्बई-प्रदेशके झालावर प्रान्तस्थ एक छोटा सामन्त- वन्येतर ( स० त्रि०) गृहपालित, पालतू । शिलिन ।
राज्य । यह तोन ग्राम ले कर वना है । भूपरिमाण २४ वर्ग: ३ सभ्य।
मील है। यहांये अधिवामी अभी छः अशोम विभक्त हो । वन्योपोदकी (सं० स्त्री०) बन्या बनोदमवा उपोदकी ।
गये हैं। कुल गजस्व २२३१०१) २० हैं जिनमें अगरेजराज लताविरोष । पर्याय-चनजा, बनमाया । गुण-तिक्त,
को वापिक 38१५) २० और ज नागढके नवावको २७७) | कटु, उण, रोचन।
रुकग्में देने पडने है।
वन (सं० पु० ) चनति भागमति बननमती (मन्द्रा.
वन्य ( म०वि० ) बने भव, वन यत् । १ बनोदभूत, वनमें | प्रवति । उण २।२८ ) इति रन् प्रत्ययः । यजी, हिस्से-
उत्पन्न होनेवाला । २ आरण्य, बङ्गाली । (को०) ३ त्वच्..
दार।
दारचीनी । ४ कुटन्नर, नागरमोथा । ५ वनशरण, जङ्गलो यप (40 पु०) चप ५। १ केशमुण्डन, वाल मुडना ।
जिमीन्ट । ६ वाराहोवन्द । ७ देवनल ! ८ क्षीरविदारी। २ वीजवपन, घीया योना।
गड़। १० लताशाल ।
चपन (सं० को०) वप मावे ल्युट । १ केशमुण्डन, मिर
वन्यना (सं० स्त्री० ) चनोपोदकी, जगली फलम्यो साग । मुडना। २ वीजाधान, वोज बोना।
वन्यनारक ( स० क्ली० ) वनज कटु जीरक, वनजीरा। चीजवपन ज्योतिपोक्त दिन देख कर करना चाहिये।
धन्यदमन ( म क्लो०) वनज दमनपुर जङ्गली दोनेका | फुदिनमें करनेसे कोई फल नहीं होता। पूर्वफल्गुनी,
फुल । इसे महाराष्ट्र, राणदवणा और कलिङ्गमें काटावण पूर्णपाढा, पूर्वाभाद्रपद, कृत्तिका, भरणी, अश्लेषा और
कहते हैं। इसका गुण वीर्यस्तम्भक, बलप्रद पोर आमदोप आद्रा भित्र नक्षत्रों में ; चतुथीं, नवमी, चतुर्दशी, भष्टमी
नाशकमाना गया है।
और अमावस्या तिथिमें ; शुभप्रहके केन्द्रस्य होनेसे ।
पन्यद्वीप ( स० पु० ) वन्यइस्ती, जङ्गली हाथो।। स्थिरलग्न वा जन्मलग्न और मिथुन, तुला, पन्या, कुम्भ,
वन्यधान्य (म० क्ली०) नोवार, पसही वा तिनीके चावल । और धनुग्नके पूर्वाभागमें वीजवपन करनेसे शुभ होना
वन्यपक्षी (सं० पु०) वनजात पक्षी, वह चिड़िया जो है।
म्वच्छन्दपूर्वक वनमें विहार करती है।
वपनी (सं० स्त्री०) उपते मस्तकादिकस्यामिति बप्.
वन्यवृक्ष ( स० पु.) १ अश्वत्थ वृक्ष, पीपलका पेड। अधिकरणे ल्युट डीप । १ नापितशाला, वह स्थान जहां
१ जङ्गली पेड़।
हजाम बैठ कर हजामत बनाते है। २ तन्तुवायशाला,
चन्यवृत्ति ( स ० स्त्री० ) बन्योपजीविका । अरण्यवासीका
वह स्थान जहां जुलाद्दे कपडा बुनते हैं। ३ ढरकी।
जीवनोपाय।
चपनीर (सनि०) वप अनीयर् । १ वपनयोग्य, वोने-
धन्यसहचारी ( स स्त्री०) पीतमिण्टो।
लायक । २ निपेकयोग्य, वीर्यपात । आयुष्कामी व्यक्तिको
वन्या (स. स्त्री० ) बनानामरण्यानां जलानां वा संहतिः | चाहिये, कि वे कभी भी परस्त्री में वीजयपन न करें।
वन् (पाशादिम्यो यः ।पा ४।२।४६ ) इति य-टाप् । १ वन | उपरु ( स० पु०) केगराज ।
समूह, वनसहति । २ मुद्गपणी 1 5 गोपालकर्कटी, ग्वाल- वपा (सं० स्त्रो० ) उप्यतेऽत्र ति वप् भिदायड, टाप।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५६७
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