पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५६९

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वप्पिय-वमन वप्णिय ( स० पु०) एक हिन्दू राजा। वप्राम्भस (स० क्लो०) नीरवाही स्रोतका जल। वप्पीह (सं० पु.) चातक (Cocul sielanolcucus): वनि (गं० पु०) वपति बीजमन्त वा-क्रिन (पटना- वप्यट-मगधके पालवंशीय प्रथम राजा गोपालके पिता। दयश्च । उच्य ६६) १क्षेत्र, ग्वेतपानकी दुर्गमता। वप्यनील (सं० पु. ) जनपदभेद। ३ममुट। वन (सपु० क्ली० ) उप्यतेऽत्र ति वप (कृपिचपिभ्या रन् । वप्सस् (सी ) स्प। २ वपु. देह । उण २२२७ ) इति रन् । १ मिट्टीका ऊंचा धुम्स जो गढ़ वफ़ा ( म० स्त्री०) १ वादा पूरा करना, यात निवाहना। या नगरको खाईसे निकली हुई मिट्टीके ढेरसे चारों ओर २ निर्वाह, पूर्णता । ३ नुशीर ता. मुरीवत । उठाया जाता है और जिसके ऊपर प्राकार या दीवार वफान (न स्त्री० ) मृत्यु. मरण । होती है। पर्याय-चय, मृत्तिकास्तृप । (शब्दरत्ना०) वफादार ( म०वि०) १ वचन या कर्त्तथ्यका पालन करने. दीवारकी तरह खडा कृतिम मृत्तिकास्तूपका नाम ही वाला। २ अपने कामको ईमानदारीसे करनेवाला । वप्र है। ___वपति वीजमनेति । २क्षेत्र, खेत । वृहत्संहिता- 'वन ( म०पू० ) पकादश करणके अन्तर्गत प्रथम करण । में लिखा है, कि शुक्र जव वर्षाधिप होते है, तब शैलोपम म णके अधिपति इन्द्र हैं। इस करणमें जन्म लेनेसे जलदजाल वारि वर्णण करता है, इससे वप्र या खेत मर मनग्य बलवान, अति धीर. कृती और अति विचक्षण जाता है, पृथिवी हरियाली दिखाई देती है तथा धान ; होता है। लन्मा उसकै घरमे हमेशा वास करती हैं। और ईब काफी उत्पन्न होती है। ३ रेणु, धृल। ४ तर, (फोटीप्र०) किनारा। ५पर्वतसानु, पहाडकी चोटो। ६ टोला, दाक्षिणात्य ज्योतिर्विदोंके मतसे 'क्व' शब्दका प्रथम भीटा। ७ सीसा नामकी धातु । ८ प्रजापति । चार वॉय और अन्तिम वकार अन्तःग्य है। ( सक्षिसमार उणादिवृत्ति ) ६ द्वापरयुगके एक व्यास । ववा (अ0 मी०) १ मरी, महामारी । २सूतका रोग। १० चौदहवें मनुके एक पुत्रका नाम । वाल (अ० पु०) र बोझ भार। २ आपत्ति, कठिनाई ' वप्रक ( स० पु० ) गोलवृत्तिकी परिधि, गोलाईका घेरा। । ३ घोर विपत्ति, आफत। ४ ईश्वरीय कोप । ५ पापका वप्रक्रिया ( स० स्त्रो०) टोले या ऊँचे उठे हुए मिट्टाके ढेरको हाथी,,सांड आदिका दानों या सींगों से मारना। यह उनको एक क्रीडा है। विभ्र (सं० पु०) १ मण्डली सर्पविशेप, एक प्रकारका सांप ! वप्रक्रीडा ( स ० स्त्रा० ) वप्रक्रिया देखो। । २एक यदुवंशी योद्धा । बभ्र, देखो। वप्रवाद-चम्पारनके अन्तर्गत एक प्राचीन ग्रास। यह चधातु (सं० पु०) सुवर्ण-गैरिक, स्वर्ण गेरू मिट्टी। तिलपणी नदीके किनारे अवस्थित है। व वाहन-पभ्र वाहन देखो। (भविष्य ब्रह्मख ० ४२१२१३) वम् (सं० डी०) १ शिवपूजा बाट गालका वजाना । वम् वम् (स० ला) वमा ( स ० स्त्री०) वप-रन् टाप। १ मजिष्टा, मजोट यम् देखी १२ वरुणवीज । २ नोंके इक्कीसवें जिन नेमिनाथकी माताका नाम । बम (सं० पु० स्त्री०) वम अच । वमन, उल्टी। वप्रानत ( स० त्रि०) क्रीडाकें लिये उच्च भूमिके सामने वमथु (सं० पु० ) यमनमिति बम-अधुच (द्वितोऽयुच । पा सिर झुकाये हुए। ३३1८९) १ वमि, कै करना।२ हाथोकी सूडसे निकली वप्रान्तर ( स० अव्य० ) दोनों किनारेके बीच हुई जलकणा । पर्याच करिणीकर। वप्राभिघात (म पु० ) वप्रक्रीडा। चमन (सं० क्ली० ) वम भावे ल्युट । १ छईन, कै करना । वप्राम्भात्र ति (सां. स्त्री०) १ नदीकृलवाही स्रोतका जल । ज्वरादिमे रोगीको जत्तरत पड़ने पर वमन कराया जा २ शाखानदी। सकता है । ( वाभट ) २ वमनद्रव्य, वमन करनेका