पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५८३

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५६४ यवनावधा ECalico choti Loom 4s"ti I chuttic = 1 का दाम लाता है । इस हिसावगेपैसा अर्थात् कलिको कपडे नैय्यार करने के लिये। मालिक ||मान होते हैं। आलिया निमो १० Plan Looms 42" with I shuttle=-इससे , अनुसार बन्न तवा पर चुननेवालोरी मानिक आय २२|| रुमाल दोशाले प्रकृति चुने जाते है। काने ले कर २३) २० तर हानी है। रिनु युननका ११ Drill mation 42" Insth I shuttlc=सले काम पर रेज समान भावने नदा यता एव गमग- फमीज़ तथा कोटक रंग बिरंगके कपडे तैय्यार किये और और कार्य भी देखने पड़ने है, इसन्टिये दम जाते है। दिमायले आय कर कम होती है। इस सीरिक ____एक देश नातमे फिनना वर्च पाता है एवं उपरोक्त परकी विना तीन चार मासरे अधिक नहीं चलनी, प्रकारसे काम चलाने में कितनी थाय होती है, जनमाधा। म कारण सब शारीगर इस नन्द आय नहीं कर रकी जानकारीक लिये उसके आयव्ययकी नालिका । सकते। किन्तु हाँ, शवम्यापन्न भ्यक्तियों के पक्षमें उस नीचे दी जाती है- नियमसे आय करना कुछ असम्भव नहीं। ध्यय-देशी फ्लाइसाटल नात फ्रेम तथा सरंजाम ! शिल्य तथा दागिन्य। ४० रु० एवं अतिरिक्त तंतु इत्यादि १०२० कुल जमा: मन्वादिकथित देशी तांतोंका विशेष किमी प्रकार. का नुवार न होने एव उनसे कपडे बुनना अत्यन्त ___ आय-१ जोडा ४० न० धोती तैयार करने में तीन परिश्रममाध्य होने पर भी प्रति प्राचीनकालने पोले ततु लगते हैं, प्रति पोला छ: मानेके हिसादसे ही भारत के लोग बगिर की पराकाष्ठा तर, पहुन एव रुपये दो माने, माड इत्यादि पर आने, रंगीन ततुके । चुके थे, इसमें कुछ मन्देह नहो । भारतवासियों लिये इनके अतिरिक्त दो आने पर एक जोडेका सर्छ । के अध्यवसाय, अटर परिश्रम नया दम्नशीगल द्वारा पात्र आने, कुल जमा पक रुपये दश याने। बहुन दिन पहले ही जिस तरह के बारीक, सुन्दर तथा ___ प्रति चढ़ानमें ४से ले कर १२ जोडे ना कपडे बुने, यहुमूल्य कपडोंगा प्रचार जननाधारणमे हो चुका है, जा सकते है। ४ जोडे तमो वर्तमान नियमसे पाट- समाग्मे और भी किनो स्थानमें उस तरदक शिल्पका नेमें जमने कम ४ वा ५ दिन लगते है। देहाती कागे निदर्शन पाया नही जाता । ब्रह्म दशमे प्रायः प्रत्येक गरोंको ततु देने पर पोला प्रति १० दा०१५ पौ० वर्च। घरमे अमवावरूपसे तात विराज रहा है। वहांकी ण्डत है। उस हिसाबसे ४।५ २० वेतन पर कारीगर- रमणियों मानों वेदिव मार्गानुगामिनी हो कर अपने स्वामी लड़का भी मिलता है। नब भी हम यहा डेढ़ रु०के | पुत्र तथा न्याय सम्प्रदाय लिये पास नया रेगमी दिसावसे वेतन जोहते हैं। दो रुपये जोहा (हम लोके । कपडे, स्माल तथा ओढनी प्रभृति बुना करती है, यहां २२० २० जोडा विकता है) बेचनेसे प्रति जोड़ा किन्तु दुःन की बात है कि, ये कपड़े उतने परिएल छः आने अर्थात मासिक १२॥० वा १२ २० बचने परिचा नहीं होने. उन में स्निने बहन मोरे हाने है। है। किन्तु पका कारोगर न रहने पर प्रति दिन एक चीन तथा जापान में इस समय रेशमी शिलाका बहुन जोड़ा तैयार नहीं हो सकता। प्रति दिन तीन रैपर तैयार आदर बढ नो गया है, किन्तु वह अभी तक भारतक किये जा सकते है, इन तीनोंके तैयार करनेमें ४ पोले शिल्पका मुकाबिला नहीं कर सके हैं। तन्तु लगेगे। प्रति पोलेका दाम ८ आनेके हिसाबले यद्यपि भारतवर्षसे वचनशिल्प एक प्रकारले लुप्त हो २) रु० हुए। तन्तु के अलावे माइ एव रंग खर्च । =, ७ गया है, तथापि आज भी पास, जन, रेशम पशमके जिन रैपर एक चढ़ानमें तैयार होते है। उनमें तैयार होनेमें ५, सव वस्त्रशिल्पोंका निदर्शन विद्यमान है, उले देश कर चम दिन लगते है । उस हिसावसे-10)। कुल जमा २॥= कृत होना पड़ता है एवं उनके गिल्पचातुर्यका विपर प्रति जोड़ा रैपर २॥) २०के हिसाबले बेचनेसे तीन रैपर अनुधावन करनेसे हृदय में एक अपूर्व आनन्द होता है।