पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/५९२

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वरद-वरदाचतुर्या प्राम। (भविष्य प्राम्ब० ८३०) २ बलका एक प्राचीन । पृत्ति, प्रतिहारसूत्रवृत्ति, माकल्पसूत्रमा य एष परद पिमाग। (मविष्य ख १३) राजदीक्षितीप नामक श्रीतप्राय लिया । ४ एक मोमासक घरद-दाक्षिणात्ययासी एक सस्थत शास्त्रवित पण्डित। पुत्रका नाम रङ्गराज और पौत्रका देवराज था। ये पे तोएडोरमएटरमें रहते थे। इनके पिताका नाम था सुदर्शार्गिके शिष्य थे। इन्हो ने मोमासानयविवेक श्रीनिवास । इन्होंने अनजीयन नामक एफ माण दीपिका लिखो।५एक नैयायिक । ये रामदेव मिथक पुत्र लिखा। और हरिदासको न्यायकुसुमाञ्जलरोटोके एक टिप्पणी घरदकयि-कारिकादपणके प्रणेता। कार थे। ६ शियसूबवाकिफ रचयिता1७ ध्यपहार परदक्षिणा (सा .) १ यह धन जो परको पियाहफे | काण्ड या व्यवहारनिर्णयके प्रणेता । ८ यागप्रायश्चित्त समय पन्याफे पितासे मिलता है, देश । २ यह पृथा व्याख्याकार। ६ थानन्दती रचित महाभारततात्पर्या स्मर्च जो नष्टयस्तुफे सुधारने लगता है। निर्णयकी मन्दसुबोधिनो नामको रोकाक रचयिता । परदचतुर्थी (स० बी०) परदाचतुर्थी, माघमासकी शुक्ला ) १० भाषामञ्जरी और प्रमाणपदार्श नामक धारण प्रग्य चतुओं। के प्रणेता। ११ न्यायदोपिकाके रचयिता। १२ तस्य यादत्त (सं० लि.) घर या अनुग्रह रूपमै प्राप्त । निर्णय नाम वैदान्तिक प्रकार १३ किरणायलीके परददेशिकाचार्य-१ काचोयासी पुषशनके पुत्र । त्होंने | एक रीकाकार । १४ पुरुषसूतफे एक भाग्यकार। 'यस ततिलक' नामक एक माणको रचना की। २एक | १५ विजनयिनोद नामक सस्कृत प्रयके रचयिता। दाशमिक । न्होंने तस्वनय मोर घेदान्तकारिकायली वरदराज आचार्य-नाममातृकानिघण्टु के रचयिता। नामको प्राय इनाये। [यरदराज चोलपण्डित-वितिलक नामधेय रामायणके परदनाथ--तस्यनयचुलुकासंग्रह नामक सस्त प्रधफे | एक टोकाकार। प्रणेता। इनके पुत्रने इस प्रग्यके आधार पर रहस्य ( यरदराज भट्ट-सामा यपदमझरा नामक पैदान्तिक प्रय लपचुलक नामक एक पुस्तक रिखी। के रचयिता। परदनापकसूरि-दाक्षिणात्यके एक प्रसिद्ध पण्डित । ये परदराज भट्टारक-कामन्दकीय नीतिशास्त्र के टोकाकार । सत्यनिरुपण नामक एक प्रग्य बना गपे। घरदराझोय (स० वि०) परदराजका रिमा हुआ। परदमूति-याजपेयादि सशनिर्णय नामक वैदिक प्रायफे परदर्शिनी (स० स्रो० ) देखने सुरक्षण या सुन्दरी। पिता। | परदयिष्णुसूरि-पर जैनसूरि। परदपोग-यगारफ सतर्गत एक प्राचीन स्थान वरदा (म० स्रो०) यरद गए । १कया । २ मादित्यमता। (मविष्य नमस. १८२२) इसका घरांमान नाम यायोगिनी ३ अश्वगन्धा। ४ प्रसन्न चिमूचा इम्तादि यिन्याम है। पजयोगिनी देखा। रूप मुद्रापिशेष । ५ सुवर्थला, महुल। ६ यरादोन्न । पादराज-१ विख्यात ताकिकाम्हो ने तर्फकारिका, (वि०) ७ समोरफलदानी, पर देनवाला । ताकिारक्षा तm सारसग्रह नामफ तानिरिक्षाको टोका परदा-हिमपादविशिस्त नदामेद । (हिमवत्त ०४६) लिपी। २पक विण्यात पैयारण। इनके पिताका नाम यहा अष्टादशभुना देयोमूर्ति विराजित है। दुर्गातनय था। पाणिनि व्याकरणके माधार पर होने (हिम० ४१३२६४) गोयाणपदमरो मध्यसिद्धावकौमुदी, लघुकौमुदी तथा परदायनुर्थी (सं० खो०) परदाण्या धतुर्थो । माघ मही। मारसिमान्तकौमुदी या सारणीमुदी नामा सस्त में शुक्रपक्षी चतुर्थी, परदा योष। इस दिन गौरापूमा ध्यावरण प्रणया पिया । ३ एक विषयात येदश पण्टिता परनी होती है और ये पर देता है, इमासे इस चतुर्कोको पे थामनामोके पुत्र और मनम्तनारायणफे पौत्र थे। परदा चतुर्थी कहते हैं। इस तिथिमें पूजा करनेमे इन्होंने भायेदमाप, तैतिरोरारण्यामाध्य, मिदानम्न । सौभाग्प मौर मतुल श्रीलाभ होता है । इस चतुर्थीम