पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६०३

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नराध वरछा हाथमें लिये हुए शिकारको पदेखते हैं। इसे बह जापान राथा फौजा छोप, Sus Icucomyelas रेजी, Pig-sticking कहते है। गामफ और भी एक श्रेणी श्राफर देखे जाने हैं। इसके प्राणितत्वविदोकी धारणा है, कि इस श्रेणी के बगह मलाये शापान में एक दुमरी जानिके पिष्टतमुख तथा फे चीनदेशजान बच्चोंसे यूरोप तथा अफ्रिका पर टम्ये लम्बे सिंहवाले पर होते हैं। प्राणिनविदोंने कुर की उत्पत्ति हुई है। उनर पश्चिम भारतमै इस श्रेणी- उन्हें 5. plicatups नालामुक्त किया है। उनके पारार- का पर कभी मी ३६ इञ्चसे यडा टेगा नही जाता, फे चमडे मे, मोटे तथा मिद नप होते है। अंग- किन्तु बगाल में माधारणतः ४४ इञ्च पर्यन्त वढा होता रेजोम इन्हें musked prg पहते हैं । अफ्रिका भी है। गेमराज्यमें जितने कर देखे जाते है, वे प्रधानतः Miusked Boar का अभाव नहीं है। चीन, कोचीन-चीन तथा श्यामराज्यजात बच्चासे उत्पन्न प्राणिश्वविद T.Currने विशेष परिक्षण दुप दे। अन्दासिया, हनिया, तुर्क, स्वीजलैण्ड तथा फरके Babirusea नामक एक दमरी घगणीको दक्षिण पूर्व यूरोप शहर इस शाखाके हो अन्तभुक उल्लेख किया है। उन्होंने मलय भाषा: 'यि' शब्दमे है। बङ्गालमें पक दूसरी श्रेणीके शूकर (S Bengalen- वराद और 'कमा मटसे हरिण प्राण परके, इन दोनों sic ) पाये जाते हैं। पूर्वोक्त श्रेणो के माय इस श्रेणी- शम्दों मध्य इस श्रेणीको नामशरण लिया है। भार की शारीरिक गठनमें बहुत ही अन्तर देखा जाता है। तीय Suc ccrofit से इस श्रेणी व विषयों में पृशफ्ना भण्डामन द्वीपके शूक्रसमूह SAndamensis पर्व देसी जाती है। नीचे उक्त दोनों श्रेणीकी दन्तपनि मलयप्रायद्वीप तथा उसके समीपवती स्थानात शकर लिया गा६- वश s Malaycnsis नामसे विख्यात है। जावा द्वापके | 8 ccrola-नक ६, गायन- वन- कई स्थानोंमें 9. terrucosus श्रेणी के भार पाये जाते हैं। उनके दोनों कपोलों का पार्श्वस्थ मासपिड अपेक्षाकृत | ४४,न्ति Babiruser पन्न-फत्तक-गौवन रथून तथा दीर्घा होता है, मुम्बाकृति देखते ही हदयौ । चन-५-३२ । भयका संचार होता है; किन्तु दमरो दूमरो वराह श्रेणियों की अपेक्षा पे स्वभावतः भीरु होते है। सिंहल, पानियो ____ मलका द्वीपके किसी किसी अंगमें, घोस द्वीपमे पयं प्रभृति द्वीपोंकी 6 barbatus श्रेणीके भूफर S. Indicus | सिलेषस तथा टार्नेट द्वीपोंमें B allurus शाखाके श्रेणीस विल्कुल विभिन्न होते हैं। वोनियो छोपजातको वराह देखे जाते हैं। इनके शरीर स्धून्दकाय, किंतु लोण्डोकी सदृशता तथा सन्यान्य अंग प्रत्यंगकी पृथ- चारों पाँव अपेक्षाकृत पतले होते है। इनके शरीर पर क्ता देय पर मि० इन्टाइथने S. Zeylanesis नामक एक रोए नहीं होते। ये धूमरवर्ण के होते हैं। उनके ऊपरके दूसरी शाग्बाका उल्लेख किया है। न्युगिनीद्वीपजात बडे बडे टांत मुखचर्मसे ऊपर उठ कर वृत्ताकारमें नीचे वराह 5 Papuensis नामसे पुकारे जाते है । उत्तर की ओर झुकते हुए पुनः मुम्बके ऊपरी भागवो स्पर्श करने भारत के शालचनमें एक प्रकारके छोटे शूकर देखे जाते हैं। हैं। उनके नीचे और भी दो छोटे छोटे दांत होते हैं । देशो लोग उन्हें छोटे शूअर घा सानो वनैला कहते हैं। स्त्री वराहोंके दांत अपेक्षाकृत छोटे होते है । किसी किसी नौ दलपच हो कर वास करते है। उनके को तो विल्कुल ही नहीं होते ।। इस जातिके पक पु. पु० शकर प्रधाननः दलकी रक्षा करते हैं | Guinea-pig, वराहफा निल दूसरे पृष्टमें दिया गया है। नामक एक यौर मी शूकर जाति देवी जाता है। ये शूकर भारतीय होपवासियोंका विश्वास है कि, यह घगह- वहुत ही छोटे होते है। ये माधारणतः मिट्टीके नीचे श्रणी छोटे हरिण और वराहोंके योगसे उत्पन्न हुई है। मान बना कर पवं तृणसे भरे हुए मैदानमें वास करते। ये लोग एवंद्वीपवासी विदेशोयापारी लोग बडे आनन्द है एवं तृण पल्लव सादिया पर सीधन धारण करते हैं। साथ इनका मांस खाते हैं। इनके मांसका स्वाद अच्छा