पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६५४

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वर्तमान अयस्याने ही साफ्तव मन्दमहताय बहादुरने इस मसार तथा उनके स्वजातियन्दको क्षत्रिय मानतेको बाध्य हुइ । सासारमे प्रस्थान दिया। प्राचीन स्थान | साफ्तावचन्द महताप यहादुरको परलोक्यानाफे ब्रह्मषटके मतानुसार पद्धमानम पानसे गर तथा उपरान्त उनकी नाबालिग पत्नी महाराणी अधिराणो प्राम हैं उनमें पे सब प्रधान हैं- घेनदेयो देवो वईमान रायी उत्तगधिकारिणी । पाटुल दारिकेती नदोके तार जहानाबाद मायापुर, महारा7 आफतावन्द बहादुरफे विराम महाराणो शबरसरिसके किनारे गरिए प्राम, मुडेश्वरो निक्ट दनापुत्र प्रहण करनेकी अनुमति दी गइ थी एवं भावपणनगर, दामोदरके पास राजवल्लभ मागीरथी महाराणीने राजा वनविहागे कापुर महानायके पुत्र तट पिधास्थान नयद्वीप (गौरागका मस्थान), माठा श्रीमान् विनयविहारी (विजयचन्द ) कापूरकी १८८७० जोड एक लक्षा, राघवनाटिका, अम्यिका, पालूप्राम, को ३१यों जुगराइको यगेश्वरके आदेशानुसार दत्ता मोरप्राम, भूरिभेष्टिक, सेपि, ननाद रफुरण, अङ्कन, पुव ग्रहण किया। इस दत्तापुत्र प्रहण करनेके मम्मघ तट, स्वर्ण टोक | यद्ध मानके दक्षिणम पायल (यहा में उनको माम श्रीमती महाराणी नारायणकुमारा पिजयामिन न राजा होगे), कुमार चीपिका, कुलक्षिप्ता दीने आपत्ति करके वहा अदालतमें अभियोग चलाया पल लौहपुर, गोवर्धन, हस्तिक, श्रीरामपुर, बेलुन किन्तु मुहमेशा विचार होनेमे पहले ही मापसमा गाद्वीप पाटगे कर्णप्राम, जोतिनो चनपुर पलिहागे मगर का निवटेरा हो गया। दत्तापुत्र ग्रहण करनेके पुर, वच्छिकवाला कुशमान गिरि, नापट, बदलेगा थोडे दो दिनों के वान १८८८ १०को १वों मइको नगर निार रसग्राम इसके अतिरिति और शहरोके महाराणाने परलोकको यात्रा की। नाम, तेलीके अधिकारमें भागीरशीप १८८०१०को १८वीं अपट्टयरको महागजाधिरान नो योजन परिममें है ) पासली ( यह फायथ राजाफे विजयचन्द महताम बहादुरका नम हुआ था। महा | अधिकारमें गगाके निकट) शिलानती नदी पाम राणी येनदेयोकी मृत्युके समय महाराज विजयचन्द लोहदा दामोदरके निएर तिर राजाके अधिकारमें नावालिग थे, इमलिय राज्य कोट पाव वाईके अघोन ] चन्द्रवाटो, यन मानके पूर्व पश्चिापत्तन, दामोदरके हो गया पर अपने पिता पर्द्धमात रायफ सुयोग्य मैने तार त्रियकामरितक निकट हाटनगर भागीरशोक जर धायुक्त राजा वनविहारी हर माहेवकी देखरेख | पश्चिा बिल्वपत्तन पद्धमानसे तोस कासरी दुरी पर सुशिक्षित हो कर १८१२६०ी १५वों अपपरको वालिग सामन्तपत्तन (यहा करतोपा नदी बहती है)। हो र महारा नागिन विनयचर महताय बहादुर | उद्धत प्रामनगरादिक मस दोध होता है, कि पर्दमानकी गद्दी पर बैठे। यर्शमान दुगरी नदीया तथा पारना जिलेक स्तिने ही __राना धनविहारीकापुर साहयने १८५३ इ०को यो । यश बद्धमान प्रदेशक अन्तर्गत थे। नवम्बरको व मान जिलान्तगत मोमाइ ग्राममें जाम | ____ वर्तमान समय यर्द्धमान जिलेग जनाकीर्ण गर्राष ग्रहण किया। उनके उद्योगसे बद्ध मामराज्यको बडी उन्नात, मध्य पर्द्धमान कालना श्यामबाजार, रानागन, नहाना हुई। उहा पृटिश गवरमेण्टमे १८६३६०को २री जा बाद, वाली, काटीया, दहिहाट पेवा प्रधान है। इन यराको राजाको उपाधि प्राप्त की । विगत १९०१० भाठौफ मध्य पईमानदं प्राय ४० हजार एव दादाटमें मदुमसुमारा समय उन्होंने अपना जातिकी पक्ष । प्राय १० हजार लोगोंका धाम है । वतमान घई मर्यादाकी रक्षाके लिये वरेजीम एक क्षत्रिय समा का। प्राोय खघोप, इनास सलीमाद, गांगुरिया भारत सभी स्थानो से स्वजातिवृन्द उस समारे| माइगज, मातुरिया, मवश्या भाऊसिंह, भगवतीपुर पदार्पण करक उनका यथेष्ट सम्मान क्यिा । उनके हा! मगलकोट उद्धानपुर युयु औपप्राम, सोनामुखा उद्योग तथा अध्ययसायम टिश गवरमेएर पर्द्धमान नरेश कसना, दिगनगर, मानर कासा, नियामतपुर Vol x 16s