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वद्धमान
घाट, कोतलपुर, रायना तथा सलीमपुर थे २४ ग्राम | नुसार यथाक्रामने ब्राह्मण, चाउरी, ग्वाला, चमार, डोम,
धान है। इन सब प्रामों में लोगोंको घनी आवादी है।
वनिया, कायस्थ, कैवर्त्त, ते ठी, कलवार, हाड, तन्तुआ,
____ उक्त नगर तथा ग्रामोंके मध्य कलना वाणिज्यका फर्मकार, सूडी, नाई, चंडाल, कुम्हार, मोदो, बढ़ई ।
न्द्रम्यान है। मुसलमानी अमलटारीमें भी यह स्थान | मुसलमानों के मध्य सभी प्रायः सुन्नी है, सियाको
बहुत समृद्धिशाली था । उस समय कालनाके पास हो संख्या बहुत ही कम है । कस्तान सम्प्रदायकी संस्था एक
= र गंगा नदी बहती थी। प्राचीन कलनामें इस समय । हजारसे अधिक न होगी। उनमें यूरोप तथा यूरेनियों-
बाणिज्यका केन्द्र न होने पर भी बहुतसे सम्भ्रान्त लोगों की सरचा ही अधिक है । देशा करतानांशी सरया
का वास है। वहुनसे दृकानोम्ने परिपूर्ण नये कालनेका विशेष नहीं है।
नर्माण वईमान नरेशने बड़े यत्नसे किया है । रानीगंज
पहले वर्डमानकी बावादी बहुत धनी पी । १७६६
की कोयलेकी खान सारे समारमें विख्यात है।
६०में यहा मलेरिया ज्यरका प्रादुर्भावारा। उस समयग्ने
रानीगज देखो। । यहाके लोगोको संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही है।
जहानाबाद दारिकेश्वरके तीरस्थित है। यहां महकुमा।
थोडे दिनोसे कुछ कुछ उन्नति होने लगी है। माघम्ने
Eथा बहुत संभ्रान्त लोगोंका वास है। वालोग्राम मी।
ले कर मापाढ़ के प्रथमान्त पर्यन्त यह जिला स्वय स्वास्थ्य-
दारिकेश्वरके तीर वाम है। पहले यह स्थान ब्राह्मण
कर रहता है, इसके बाद वर्षा शरू होने के साथ ही ज्वर-
कर रहता है, इसक
नया कायस्थोंका वासस्थान हो रहा था। भागीरथी का भी प्रादुर्भाव होता है। जल निकासी वैसी
नथा अजयनढके संगम पर कांटोया नगरी अवस्थित र सुविधा न रहने के कारण सदी तथा भोजनके दोप
यहां बहुतले धनियोंका वास है। बहुन पहलेसे ही बहुतसे लोग पीडित हो उठने है। किसी किसी वर्णी
कांटोयाकी समृद्धिका परिचय पाया जाता है। नवाब इस जिलावासियोंके ऊपर भीषण निपत्ति टूट पड़ती है।
अलिबी खाँके समय मराठोंके उत्पातसे काटोयाकी जनसाधारणका विश्वास है कि, रेलवे का बांध हो जानने
चडी क्षति हुई थी। इस समय मी यह नगर वाणिज्यका ही जलनिकासको अग्नुविधाके कारण बडी बडी नदिया-
एक प्रधान स्थान गिना जाता है। कांटोया देखो। की गति परिवर्तित हो जाती है पवं बाढ़ न आने
___दाँडहाट भागीरधोके तोर पर विद्यमान है। पहले । कारण इस जिलेके पूर्वसचित कृडे कर्शट यथास्थान
यह स्थान मी बहुत उन्नति पर था। इस समय भी यहां ज्यों के त्यों रह जाते है, छोटी छोटी नदियोंको धाराये
अनेक प्रकारके ध्यवसायियोंका वास देखा जाता है । यह । शुष्क पड़ जातो हैं, जिससे यहांका पानी दूपित हो कर
स्थान वाणिज्यके लिये प्रसिद्ध है।
इस जिलेको अस्वोस्कर वना डालना है। इसीसे इस
बर्द्धमान जिले में परती जमीन दृष्टिगोचर नहीं होती, जिलेकी आवधा शुद्ध करने के निमित्त दामोदर नदीसे
यहा प्रायः सर्वत्र ही खेती होती है।
एडेन खाई खोद कर इस जिलेमें शुद्ध पानीका प्रादुर्भाव
यहां वन्य पशुओंके मध्य रानीगज जगलमे अल्प किया गया है । वर्धमान शहरमे जलकी कलें तैयार की
संरयकव्यान, भालू तया चीते देखे जाने हे। यहां विष गई हैं तथा दूसरे दूसरे स्थानाम भी विशुद्ध सरोवर
घर सापोंकी कमी नहीं। पक्षियोके मध्य वन्यकुकट, इत्यादि खोदे गये है और खोदे जा रहे है।
राजहंस, मयुर, वन्यकपोत, तित्तिर तथा बटेर देखे जाने रेलवेको सुविधाके लिये दामोदर नदीका वधि तैयार
होनेके पहले वर्धमान जिलेमे नियत समय पर वाढ
यधिवासी तथा अवस्था ।
आया करती थी। १९७०, १८२३ तथा १८५५ ई०को
___इन जिलेमे सैक्डे ८० हिन्दू, १८ मुसलमान एवं बाढ़ों से बहुतसे लोगोकी हानि तथा प्राणोंका संहार
शेप भिन्न धर्मावलम्बी है । हिन्दुओ के मध्य वाग्दी तथा हुआ । वाध हो जानेके दिनसे वाढका प्रकोप कम हो
सद्गोपकी सरया हो अधिक है। इसके वाद सस्या- | गया है।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६५५
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