पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६५८

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६७३ परगनक पात शाल तथा सेगु याव जगलस परि पयतमागर्म हिरण, नौलगाय तया भेड प्रभृति जतु पूर्ण हैं। इन सब पात श्रणियांक वोचको उपत्यका दृष्टिगोचर होते हैं। पक्षियोके मध्य तित्तिर, सिहभ, घदुत उपजाऊ हैं। घटेर पावत्य कपोत मादि प्रधान हैं। सभा कारक इस जिले के उत्ता विभागसे तमाम चिचली, धाम / सर्प तथा शतपदो एव निकाय विच्छ रेंगत नजर कुण्ड तथा खानमाम नाम पहाडा रास्ता नागपुरकी आते हैं। मोर गया है। इन सय पर्वातमाठाओंके मध्य मालेगाव, यद्यपि यहाके प्राचीन इतिहासक सम्बधमें विशेष "नन्दगांव तथा क्षेत्रगढका (२०८६ कोट) विपर सवसे वाते पाह नहीं जाती, तथापि महाभारतको उक्ति तथा ऊचा है। उन्होंक मध्य हो कर फिर पतिगात्रप्रस्त, स्थानीय प्रवादोंस जाना जाता है कि यहाका उत्तर पश्चिम जलराशिको अश्यादिका भूमि है। कइ र छारो छोटो | गश विदर्भराज भोमर के शासनाधान था। भगवान् नदियाँ कल कल गात गाती उम गिरिकन्दराओंको पार | श्रीराणने इसी मीष्मक राजाको बेटो मफिनणा देवामा वरता हुइ' पर्गन पाय स्थित निसप्रदेश समतल पाणिग्रहण किया था। प्रातस प्रवाहित हो कर, पर्दामलिममा र मिठ गइ दक्षिण पाशम गौला जातिका निवास था । सूर्ण है। इन सों में धाम चोर, अशोडा तया बसा नामक यशी क्षत्रिय राजा पचन पौणारन पो तथा पहुभा का नाम ए बाका करे पर पुष्ट कर रही हैं। बडे बडे। नापक स्थापना अधिकार जमा लिया था। यूजोंम यहा आम, इमली रम्यक्ष तथा पोपर देने जात प्रमाद है, उनको एक पारम पत्थर था। जव प्रना रानार है। पूर्णविभागके जगलाम उम रहके दीर्घाकार वृक्ष मादाय नही कर सक्तो थी, तब राजाको राजदरमें नहीं पाये जात। हिंगनघाट-सहमील तथा गिराडनगर रोहको फार हा दिया करती थी। वे लोहेको पाल के आस पासको भूमिके नोचे मोठे जल का प्रवाह है।। उस पारस पत्थरक स्पर्शम सोम परिणत हो विगत छ शताब्दीले पूर्व शेव पवाज फरीद जाता थी। नामक एक मुसलमान साधु यहाँक पर्वतशिर पर वाम भन्तम सैयद मालार क्यार नामा पर मुमतमान करते थे। प्रवाद है कि एक ममय कर एक व्यापारी गोग| जादूगर यदा पहुचा। उसने जादू धलमे राजाक गिरक भारिप ले कर घ्यापार करनेक निमित्त उम म्यानम | ममान एक दूमग तिर तैयार कर ५५ अपन शिरको हो कर जा रहे थे। उम मुसलमान साधुको आडम्बरी ) एक गुप्त स्थानमें रख राजाक मेपमे नगरम प्रवेश किया। समझ कर उन्हे कुछ तीखे बचन सुनाये। इससे माधुक राजाने पवारसा प्रभाव दप, गछनाक भयसे पीनरगढ़- हृदय में प्रोघशा संचार हुमाएर उ आभशापमे सभी वी सामनेवालो घाम पुष्करिणी के जलम प्रवेश किया। नारियट पत्थरकम परिणत हो कर पर्वतक चट्टानाम | उम दिनसे जल के अन्दर नाना प्रकार भौतिक चित्र मिल गये। अभी इस पर्यतके शियर पर वनुतन मुसल दिग्नाइ पहने हैं। मान साधु रहते है। किम्वदन्तो है कि, एक समय एक चरपराहा ___ यहा विशेष काह खनिज पदाथ नही पाया जाना। उमा नदोष किनारे गाय चरा रहा था । अपनी पतिासे जो का प्रकारस पत्थर पाये जात है, व घर गीओंके झुण्डमें एक काले बग्डेको घूमते देव बनाने मलाचे दिसा काम में नही जात । पिसी पर उसने सोचा-यह वछहा क्मिका है ? बहुत म्यानमें चूने के पत्थर पाये जाते हैं, उन पत्थरोको भस्म दिनासे यह हमारे गो झुएडमें सम्मिलित हो कर वरप चूना तैयार किया जाता है । यहा फ्लैगस्गेन चग्न आता है किंतु कभी इसे अपन मालिक्के पास ताब्धे सल्ट नामक पत्थरोका अभाव का है। जात नही दखता। इसका कारण क्या है? ऐसा सोच यहाके जलेमें चीता, नेक्डा यनवराह तथा वन । कर वद्द धारे धीरे उस बछडे के पास गया और पूछा- शगाठ इत्यादि जानवर बहुत देने जाते हैं। यहाके ! तुम किसके पछ हो ? उस पउडेन इस प्रश्नका पुछ Vol x 109