पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वर्षप्रवेश उतने शो से आगमन करते हैं-वही समय वप प्रवेश नीचे लिखी प्रणाली द्वारा भो वर्ष प्रवेश स्थिर किया समय है। रवि स्फुटस्थिर करके भी वर्ष प्रवेशका समय जाता है। निर्णय किया जाता है, किन्तु वह अति आयामसाध्य है। दूमग तरीका-पक्षले १, १५, ३१ और ३० को गत इस रविस्फुट द्वारा वर्ष प्रवेशका समय स्थिर करनेसे वड द्वारा गुणा करके चार जगह रखना होगा। इस तरह बहुत सहज समय स्थिर होता है। गुणा करनेसे जो चार गुणनफल होगा, उसके पहले अकको प्रदोके गोचरफल का जो तारतम्य है, यह प्रतिवत्मर | वार, दुमरेको दण्ड, तीसरेको पल और चौथे की वर्ष प्रवेशकालीन लग्न और ग्रहों की स्थिति द्वारा निरूपण विपल समझ कर उसके गथ जन्मवार, दण्डपल, और किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के जन्म माससे नया वर्ष विपल जोड दे । इसके बाद विपलको अकको ६०से भाग बारम्भ होता है। सचराचर १५ दिनों में एक मोर | दे पर भागफलको पटमै जोड दे। जो मक वचता जाय वत्सर लिया जाता है, किन्तु प्रकृत सौर वत्सर उसकी यथास्थान रख दे। इस भांति फिर पलके अङ्कको ६०ले अपेक्षा और भो १५ दण्ड, ३१ पल, ३१ विपर, २४ मनु | भाग देकर भागफलको दण्डासं और दण्डाङ्कको ६० से पल अधिक होता है। जिस दिन व आरम्भ होता है, भाग करके लव्याकको बाराकने जोड कर बचा हुआ उसके दूसरे दिन दूसरा वर्ष होता है। अतएव जन्म अंक पहलेकी तरह यथास्थान पर रग्व दे। दिनने जितना वर्ष बीतेगा, उमसे १ दिन, १५ टण्ड, ३१ ___ इस तरह गणना द्वारा जो अविशिष्ट अक रहेगा, पल, ३१ विपल २४ अनुपल गुणा करे तथा उस गुणन- | उमस वर्ष प्रवेशका वार, टंड, पल और विपल जाना जा फलमें जन्मदिन और दण्डादि जोड दे। इस प्रकार जो सकेगा। योगफल होगा, वही वर्य प्रवेशका दिन और दण्डादि अन्य प्रकार-५,२ और ६ को गन पांडसे गुणा जानना होगा। उक्त रूपसे योग करनेसे यदि दिनका अड करके जो तीन गुणनफल होगा, उसे तीन जगह रख दे। सातसे अधिक हो, तो उसमें ७ घटा दे। घटा कर अगर | पीछे पहले अंकको वार, दुसरेको दड और तीसरे अंक- १ वाकी बचे तो रविवार और यदि २ वाकी बचे, तो को पल जान कर उसमे जन्मवार, दड और पल जोड दे। सोमवोर समझना होगा। तदनन्तर पलके अंकको बारने भाग करना होगा और __ जिसका जिस वर्णमें वर्गप्रवेश करना होगा, उसका उस भागफल को दण्डसे तथा दण्डको ४से भाग दे पर भाग. वर्ष के पहले जितना वर्ष बीत गया है उसमें अपना फलको बारमै जोड दे और वागंदायो ७ ग्ने भाग देना चौथाई जोड कर एक जगह रखे। पीछे पुनः योने हुए | होगा । अपशिष्ट अंक यथाक्रमसे वर्ष प्रवेशमा बार, दंड र्यको २१से गुणा करके गुणनफलको ४३से माग दे, और पल होगा। जो मागफल होगा उसे आगेके रखे अकोंमे जोड दे। अन्य विध-गत वांङ्कको १००७से गुणा करके उस इस प्रकार जोडनेसे जो उत्तर होगा उसका वार, दण्ड और गुणनफलका ८०० से भाग देनेसे जो भागफल होगा पलकी विवेचना पर उममें जन्मबार, दण्ड भार पल | वही वर्ष प्रवेशका वार, अविशिष्ट यकको ६० से गुणा योग कर दे। ऐसा करनेसे जो वार, जितना दण्ड और करके पुनः ८०० से भाग देनेन जो भागफल होगा वही दण्ड जितना पल होगा, नन्मदिनमें उसी वारमै उतना हो दण्ड होगा। इस प्रकार प्रणालोमें पल आदि भी पाया जाता और उतना ही पल समयमें वपप्रवेश हुआ है, स्थिर करना है। पांछे उसमें जन्मवार, दण्ड और पल जोडनेले वर्ष होगा। प्रवेशका वार, दण्ड सौर पल आदि निकाला जाता है। दिनका अंक यदि सातसे अधिक हो, नो उसको नीचे लिखे नगैस भी वर्ष प्रवेश स्थिर किया जाता ने भाग दे पर अवशिष्ट अंक लेना होगा। इस कसे है। गत चपांडमे उमका चौथाई योग करके वारके १ रविवार ० सोमवार ३ मंगलवार इत्यादि जानना स्थानमे तथा इस गत वाडका २से भाग करके भाग- होगा। वर्ष प्रवेशको गणना करनेके बहुत-से नियम हैं। फलको दण्डके स्थान और डेढसे गुणा करके गुणन-