पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६७०

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वर्ष प्रवेश ग्यम धार दण्ड पल विपर' ययम यार दएड पर | - फलको पल्के स्थानम रखे। उसके बाद इन सब बारां| दण्मादि निद्धारित हो जाय, तब यह समय अवलम्बन सादिके साथ नमवार आदि पोडने होस उस उसनक पूर्व मपलिकाके समान एक वर्षपत्रिका बना कर द्वारा वर्ष प्रवेश पार आदि निकलते हैं। उसमें वालग्न और तात्कालिक प्रहस्पुट सस्थापन करें। जो नियम दिये गये उन्ही द्वारा वर्ष प्रधेशकी अन्तमें जमकालले जात ठग्नमें गितना अ तर था, वर्ण गणना की जाती है। प्रवेशकाल में वृहस्पतिसे उक्त स्थामचालन करके उतना नोचे एक तालिका दी गइ है इम देखनेसे सुगमता हा अतर रखे। इस कारण यह है कि बृहस्पति से ही बिना IT क्येि प्रवेशका चार, दर जीवकारक है इसलिये उसका दूसरा एक नाम जोर तथा जाना जायगा। मानवके जम लग्न कार उसका ऐमी आश्चर्या आक गण शक्ति है कि जहा कहीं वह घर क्यों न जाय यह रान उसका अनुवत्तों हो पर रहेगा, सुतरा प्रनि वत्सर यूडम्पति जिम प्रकार एक राशि परक हटता हे नाम- लग्न भी उसी प्रकार एक रागिने हट कर दूसरी राशिमें चरा जाता है तथा माजीरनाल तक इस तरह दोनों को ममदूरता कायम रहती है। किन्तु यहापतिको कभी शोध और भी वक्रगति होती है, अतएव सूक्ष्मरूपसे गणना विपे जाने गर जमकालम हम्पनिको म्पुर राशि मादिसे याम या दक्षिणावर्त्तकै ज मलानका जिता अतर पा, वर्षप्रवेशकालमें घहरुपतिको म्पुट राशि यादि निणय परके उसमे जातलग्न हटा कर उनना अ तर ६। ४८ ४० ३०० सत्यापन करे तथा इस सञ्चालित लग्न में शुभाशुभ प्रह के योग या दृष्टिक अनुमार वणफलका विचार करना का होगा। वहस्पतिक स्फुरके ममावर्म जमालमें चह स्पतिसे वाम या दक्षिणावर्तक जामलग्नका जितना असर १०३' ६ ५२ ४० था वाप्रवेशमामें चहस्पतिमे यह उतनी ही राशि उल्लिगित तालिकाम यर्पक वा फेस रम्नमें जो अतर रखे अपना वर्षप्रवेशकालमें जितना बयम होगा, वार और गड आदि लिखा है इसमें जमपार ज मरम्न उतनी ही राशि हा पर अतात वयसका और दण्ड यादि लोहनेमे वर्षप्रवेशका पार और अङ्क जिस राशि शेष होगा उस यादवा राशिमें उसे दएड आदि निकल पायगा। .. और २०, २० और रखे अर्थात् एक वर्ष प्रतीत हो कर दूसरे व पदा ३०.३० और १०, स्यादि घाँक मध्य घय क्रमसे १०, २० ण करनेसे अमलग्नस दूसरो राशिम, दो वर्ष पोत पर ३० इत्यादि वा लग्नम जो है, उसमें 1,२३ तासरे वगमें पैर रखनेसे जमलग्नसे तामरा राशिम, इत्यादि पा सनम तथा जन्मार और दण्डादि इस प्रकार नियमपूर्वक जमरनका सचार हुआ दरता जोडनेसे अपीए ययसका वर्णप्रवेशधार और दण्डादि । है। किंतु इस भाति स्थूल गणनासे जब वाप्रवेश होगा। इस हिसावमे यह कहना है दिमा भी जमपहले गृहस्पति अतिचारी हो पर दुमरी राशिम किया की तारीख पहले धौर वादके दिन घर्ष प्रवेश हुमा । रक गतिसे पहली राशिमें जाता है, तव गणानाकै यति करता है। क्रम होनेको सम्भावना होती है । इस प्रकार रह गये उत्त प्रणाली अनुसार जव धर्माप्रा बार और सचालित जामलग्नको मुया करते हैं। Taxx 172 - - | १६ | ४३३० ६.१ १७ ।