पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३ वर्मन बसते पर (स० वि०) यर्म मत्वयें ( सिध्मादिभ्याच । पा, वहिपद् (स० पु०) पर पितरका नाम। ५।२।१७) इति लच् । यम युक, या विशिष्ट । वहीं ( स० पु०) वहिन देखा। यमंवत् ( स० लि०) शरीरके समा। चलराज (स० पु.) मेघनाशकारी, वह जो वादलको नए धर्म घोर्य (स० लो०) शारीरिक शक्ति। परता है। घर्मा (स.की० त्रि.) वमन देखो। यल ( स० पु०) १ मेघ । २ एक असुरका नाम । यह देव याम (म० वि०) आरघा गठनविशिष्ट। ताओंका गीप चुरा कर पक गुहार्म जा छिपा था। याय (सनि.) धसभ्यन्धोय । उस गुहाको छे २ कर उसमेंसे गीओको छुडा साये थे। पद (मको०) यई यति दीप्यते इति वद अ फिर घरने चैलका रूप धारण किया और वह पहम्पतिक १मयूरपुछ मोरको पख २ प्रथिपर्ण, गठियन । हाथसे मारा गया। ३ पन पत्ता। ४ परीवार। परक (सं० पु.) १ घर नामक दाना। (इरिव श) यण (स.फो.) यह नोति गृह रद्धौ न्युट, वह पति। २ पुराणानुसार सामस मनतरके सप्तर्षियों से एक गोमने इति यह दोप्तो त्युर्यो । पल, पत्ता । ऋषिका नाम । (माकपु० ७४।५६) पहस (स० पु० ) पति पद्धते इति वृद्धि पृद्धी | बलकवरतीर्थ (स०सी० ) एक तीर्थका नाम । (दहेन लापरव । उष्ण २४११०) इति रसि नलोपश्च । १ वरक्रम ( स० पु० ) पर्यायिक पल। अग्नि। २ दाप्ति । ३ यज्ञ । (हम) "मा नोपहि पुरसता" वरक्ष (स० पु० ) श्वेतपर्ण सफेद । (ऋक ७७५८) ४ चित्रक, चीतेका पेड। ५एक रानाका | यक्षगु (२०५०) शुभ्राशु नद्र। वलग (म० ली०) यध्य व्यक्तिक प्रति आचरित प्रत्याविशेष । यह म (स.को) पदतीति गृहि वृद्धौ ‘सो नरोपश्च ।। पराजित राक्षम रोग भाग कर आदि देवताओंका वध १ विपन्न, गठिगन । २ । परनेके लिये यस्धि, मीर नखादि भूगभम तिवाद पर्दा (सतो .) यदस देखो। पर जो भो आभिचारिक कृत्या करते थे, उमोका नाम यहि पुष्प ( स ० को० ) यदि दीप्तिस्तन्युक्त पुष्पमन्य। चलग है। प्रन्धिपण गटिवन। वगहन (स.त्रि०) यलगान हतीति बलग-हा पिव । यहि शुष्मन् (स० पु. ) पर्दिया कुशेन पहिदि यह वा स्त्याहननवारो। (शुक्लयजु० ५।२३) शुकलेजो यस्य। मग्नि आग। बलगिन (स० वि०) वलगसमन्दिन । ( बर्ष ० ३३११२) यदि प्ठ (स . का०) वहिरिव तिष्ठतीति म्या का होवेर । यरडिमान-माहार प्रेसिडे सीफ तोर जिलोंके कुभ पहिकुटुम (स. को०) यहि युक्त कुसुम यस्य । कोणम् तालुक् रु भन्तर्गत एक नगर । यह अक्षा० १०५३ प्रन्धिरण, गठियन। 3० तथा देशा० ७६ २५ पूछमें अपस्थित है। यहाको पहिण (स.पु०) यह मस्त्यस्पेति यह 'फलाम्या | उपजका कारवार यहा जोरों चलता है। मिनन्' इति इनच । १ मयूर मोर । (510)२ तगर। वरती ( स. खा०) घह मडप जो घरक ऊपर शिखर पहिणवाहन (स.पु०) यदि णो गयूरो वाइन यस्य। पर बना हो, रावटी। कात्तिकेगा चलतेर-माद्राज प्रेसिडे सीके विजागापट्टम् जिलातर्गत पहिध्वजा (स.पी.) यही ध्वजो याहन यस्याः। एक नगर। यह अक्षा० १७ ४४३० तथा दे० ८३ चण्डो । २२ ३६ ३० ता विस्तृत है। वर्तमान अगरेजी पहिन (म. पु.) यह मस्यांतीति यह इनि । १ मयूर } मानचित्र या भूगोलमें यह याल्टेयार (Watur) नामसे मोर। २ प्रचार गर्म उत्पन श्यपके पुत्रका परिचित है। बगोपसागरक तर पर पडनेके कारण नाम । (मारव ॥६॥४७) ३ तगर । यह स्थान घडा स्यास्थ्यप्रद है। यहा सिपिल और Fol rr 174