पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६८८

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वल्मीक पुतिक निम्माणसाल द्वारा एक यत्मोत्गृह निर्माण कर लिया। खिलान दिये हुए पाँधीका निम्माण करफ मान वानको ! सुविधा पिये रहती ह । इस तरहसे अपने यासभरनको सिर्फ इतना ही नहीं, इस मृदाच्छादित अदृश्य सर्या गसुन्दर बना कर उनप मध्य सुखस वास फरतो पाटिका मध्य उन्होंने राणी कोरके रहने के लिये एक हैं। इनके गृदका ऊपरोभाग ऐसा सुदृढ तथा कठिन सुविस्तृत राजमामाद तैयार कर लिया है पव उनके होता है, कि इसके ऊपर एक साथ चार पाँच मनुष्य चारों पायम असमय शिशुकाट भवन हैं। पेस भवन क चदनेसे मा यह गट नहीं हा साता। सुदर सोपानश्रणी द्वारा परम्पर सलग्न हैं। इनके सोमरिक पुस्तिकाओंको शयप्रणाली भी बहुत हो पनिरिक्त एक स्थानस दूसरे स्थानम जानेफ लिये सोपान यच्छी होती है। इनको कायप्रणाला ऐसा सुन्दर होता पथ परण्डा, दालान, भवेद्वार प्रमृति सुचायरूपमें है, कि उसे एक उत्रए राजाको व्यवस्था प्रणाला कह विन्यस्त हैं। इनकी गठन निपुणता देख पर चमत्त सकते हैं। इनका तीन श्रेणियाँ होती है-श्रमजीवा होना पड़ता है। नीचे अफ्रिका देशजात एक प्रकारके पुत्तिा सैनिक पुत्तिका तथा विशिष्ट पुत्तिका | धमजोरी दामाका वर्णन किया जाता है। ये दीमक सामरिक पुत्तिकापे गृह पथ बांध प्रभूति तैयार करती । नाममे विख्यात है। सैनिश्पुत्तिाये गृहकी रक्षणायेक्षण करती है एघ ___ अमिकाका सामयिक पुत्तिकाए जो यक्ष्मीक गृह आवश्यकता पडा पर शनुभोसे युद्ध किया करती हैं। प्रस्तत करता है उसका माग छेदन करनसे देखा उनका शरीर ध्रमजीवी पुत्तियोंकी अपेक्षा १५ गुना जाता है, कि यह पल्मीक गृह मपूर्व गठन कौशलसे उन । वडा होता है। माश्चर्यका विषय यह है, किशमजायो पा द्वारा निम्माण किया गया है। नो मव सामरिक पुत्तिकार किसी समय मैमिर पुत्तिकामाके फर्मम प्रवृत्त पुत्तिशाएँ यामीक गृह निर्माण करता है, उनक शरीरको नहों होती, इसी तरह सैनिक पुत्तिकाए भा भी धम लम्बाइ १ स्टक चतुर्था जसे मी कम होती है कि तु जाधीपुत्तिकायंक कायम नियुक्त नहीं होती। उनके द्वारा मिर्माण किये गये यासगृह प्रायः ७८ हाय विशिष्ट पुनिाए नहीं तो गृहादि ही निम्माण परता ऊंचे होते हैं । क्तिने हा वल्मीक-गृह उनको अपेक्षा हैं न युद्धर्म हा प्रवृत्त होती है, यहा तर, कि ये अपनी मा वर होते हैं। रक्षा करनेमें मौसमर्थ हों होतीं। रितु उनका शरीर ___उल्लिखित पल्मोर गृह जितने ऊँचे होते हैं, उनकी सपिझा था एच उत्ष्ट होता है। ये मैनिकपुत्तिकामो- निम्माण परिपारामा उसो अनुसार ती है। उन| स दो गुना पच श्रमजोया पुस्तिकाओस ३० गुना बढो यल्मी गृहात भातरी हिस्सा देषनेसे सामरिक पुति होती है। दूसरी दूसरी पुत्तिकाप उ ह प्रधान मानती है काओंशी निपुणता तथा विचक्षणता सुपए प्रमाण पर उह प्रधानक पद पर अभिपित करती है। यघिशिए देख पर चमत्स्टन होना पड़ता है। उनक आहार विहार पुत्तिाए ,इस पद पर अमिपित्त छोनक वादक सप्ताह मम्पादन परनक लिये यासगृहकी जिस तरहकोला मध्य हा परयुक्त होकर यहास उठ जातो ६ । किन्तु मायया होती हैं, घे उसी तरह सुनारुरूपमें उसे सम्प उहनेक कुछ ही समय पाद उनके पम्व मनात है, तब पेि रहती है। घेराजप्रासाद, भडार गृह, शिशु शाला, पक्षी पतद्दादि या कर उद खा नात हैं। अमिता पथ सेतु, सोपान मभृति यति चतुरतासे तैयार किये नियामी उन पुत्तिकाओंको मुन पर बात है। इस तरहसे रहती है। इनपे भवन मिलान द्वारा छाये रहत है। प्रायः समो विशिष्ट पुतिकाप नष्ट हो जाता है। यदि एक प्रकोएम दूसरे प्रोष्ठ पर गमन रनके निमित सिा तरह दो चार 47 भाती है तो पोक्त श्रमभीयो सुगमपच तैयार रहना है। एक प्रागतसे दूसरे प्रारतमें पुत्तिाए उह राजा तथा रानीके पद पर अभिपित गमन करनेक रिपे मिन जिन स्थानों पेयोले रास्तसे करता है एय एक मूर्तिमय प्रकोष्ठका स्थापन कर या घुम पर जाना पडता है धन सम' स्पानी में एक एक पूर्वक उनका पालन पोषण करता है। पोछे जब रानीको