वशी-पन्न
यस्मारतो मिट्टीमे मान करना निषेध है। विष्णु | पर झार मनना चाहिये, पाडे फोटेक यिशुद होने पर
पुराणम लिया है, कि यस्मा तथा मूमोके द्वारा मोदी औपचफे प्रयोगको विधि है। मन शिला, दरवाट,
हामिहामेनीमारान करनी चाहिए।
मिला.छोटोगयी. अगर तावन्दन सातापव
किमी दयिप्रदमा प्रतिष्टार पहले शिलिए पतिक, सपा इन्द्रनी इन सबको मिला कर पा सर लेये, फिर
का नाति रिपे यल्मीर मृत्तिा , गोमय 8 सेर नीम तेल में इन सब चीजोंका यथाविधि पार
तथा ममइन सानो यस्तों द्वारा विग्रहका मान कर बरफ यत्मोक रोगमें प्रयोग करे। समस रोगका
नाता है। उक्त तानों धातुओक द्वारा स्नान कराने पहुन उपकार होता है। हम तेलको मन शिलापतेल
का कोइ पाक मत्र नहा- इमल्पेि पराणि गायत्रो कहन है। हाथ या पायमै बहु उिरिशिष्ट अपच लोप
था उसी देवताफे मुनमान द्वारा हा स्नान कराने' युन यल्मीक रोग होने पर ममाध्य हो जाता है। विक
विधि पनाहगा।
स्मा ऐसे रोगाका त्याग करे ।(मावर दरोगाधि)
(पु०) २ वमोरि मुनि । रोगारथे ।
श्लोक मिट्टाक प्रनेपसे भी इस रोगमें बहुत माम
जिम रोगर्म त्रिदोषके प्रकोपरे वारण प्रापा, मम
पहुचता है।
कन, दस्त, पद तथा मन्धिम्पानोम पर गठे मध्य
४ पद मे जिस पर सूर्यको किरणे पदनाहा।
वल्मारी सरद गादमूर अथच प्रचुर निम्बरयुक्त तथा वहमामात्र (स.त्रि०) यमाकस्तूपरे भाकारका।
उन्नत प्रग्धि उगान होता है पर नद उनकी उचित यमारला (स.पु.) कल्पमेन् ।
मिक्सिा नहीं का पाता है तब वे पारे धीरे वहूत बढ यमाकशाप (स. क्लो०) यस्माकम्म्य शापमिय शोमस्य ।
जाता है और उनमें सूचौधरन् येदना होने लगती है। सोतायन लाल मुरमा।
निर्म का छिद्र हो कर मगाद निकलने लगता है। ई यलगोसम्भया ( स० स्त्री०) मलाव्यिशेष ।
Trमाग पहने । सो उपयुक्त चिकित्मा न घल्माकि (स० पु०) यमाक।
दोन पर यह राग धार धारे शामाध्य हो जाता है।
यस्मोकूट (T FI0) वनीकम्प परीकसञ्चिन या पुर।
मी चिपिरसायन्मीपराग पहले शरत्र द्वारा
. पल्लो।
पाटन करप झार नया अग्निाम द्वारा दग्ध पर अर्जद
' पर (स० पु.) पन यन् । सापे, तक्ष मुकि गे ।
रोगो सग गोधन करना चाहिये । जिमके मर्म
। (१०) २ गुस्तक। (नि०) ३ पठार।
स्थानके अतिरिक्त यग्य स्थानों में पन्नीर रोग हो नाय
| यत्रा (मा०या०) पातागरलता।
मोर पर यदिवस बदान हो तो उमा पहले सोचन
।यन (म०पू०) याने पोनाति घन मध ।। परिमाण
१३ मा पाइ रक्तमोक्षण र उसको चिरित्सा!
'यिष, एक मान। यह तोन गुहा या रसोफे परापर
करनी चाहिए।
धोका जत गुरपा मेयर, दग्निमून शाम ।
। सौरमे होता है। पैयकर्म दो गुजाका एक 'यह' माना
माका द गुगा नया मन नमबरो पोम नेय पय
गया है। राजनित्रण्टु ॥ पुपचापाहायल मानता।
हम पूर्ण योगमा घा मिन र मग्नि पर पढ़ाये।।
पनियान भूमामिल हुए मनाजफे दानको ऊपरसे
नागर मिधित पदा पुरा गर्म हो जाय, तब पमोक
गिराना जिसमें या जोरस भूगा भरग हो जाय,
रोग परमा पुरिया चदय । इसमें दम रागमें बहुत मोमाना, परमाना। ३ मा म, मरका पर।
साम पटुनता है।
४ वारा। ५मायरण। ६ निषेष ।
___ पत्मीर रोग र मान पर यदि उसम छिद्रो भय 47-प्राचीन गानातिकी एक नाया। पहले ये लोग
तो उर ममा nि मधेपण पाउमा रोदन मौराष्ट्रमें राजस्वले थे। पेरामपुनानेर रामपुरके
परमा धादिप पय इमर बाद पुलिस सहानी । महायिनों पणनामे जाना जाता
मारिये। यदि इस गेगमें मामन्त्रि हो झाप तो इन | ममय मिग्घुन तोपों टट भोरम्बाम गरे
___rol - 17
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६९०
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