पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७३४

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७५१ धूप, मोम यिशु अनिल, ममल, प्रत्यूर और प्रभात || (उप्प १०) इत्यनुत्ते नित्यादिनित्यम् इति पे आठ प्रसिद्ध मरायसुहै। वातत्यम् ।" पसुमोंक इम धनाधिपत्य कारण __भूगयेदसदिना पसु का उल्लेख देना जाता है। ये परवर्तिकालमें विष्णु तथा पुरक रूपमें कल्पित पुराणादि पासमायोमें इनकी सपा माउ पतलाइ गा हुए हैं। है। इन देवताभोंफ प्रमाय तथा कार्यकारिताफे मम्बाध पेयमुगण पितृविशेष है। मसहिता रिसाई, महामारतके भीष्मोपाध्यान पपेट वर्णन क्पिा गया है कि धानकालम पितृगणका यस्यादिरूप में ध्यान किन्तु वैदिक विवरणफे मनुसरण करनेसे मालूम होता होता है। है,कि ये सर पर प्रतितरवक नियासमत देयता । धोमयागयतमें लिखा है--दक्ष प्रजापतिने पष्ठमन्यन्तर हम लोग शसहिताक दिसा पिसा स्थानमें यसुमोको मंदिनीय जाममें असिपमोफगर्ममन्याए उत्पन्न को। भार, भ्रष मोम, घर, मनिल, भालाप्रमाम तथा पे सव पन्या प्रमापतिगण को प्रदत्त दुइ घी । प्रत्यूर प्रभृति प्रतिपुखम निपामा कपमें दसते | इनर्म धर्मको दश पन्याएं दान की गइ । 31 वश कन्याओं- है। रामायणगं इन पशुओं का वर्णन अदिति-पुत्र कह ! के नाम जैसे-मानु लम्सा, कपन, यामि यिभ्या, साध्या। परपिा गया है । साहिताफ २२२७११,७१५२६१ २.. मयत्ववा, वसु, मुहर्ता तथा सकारा। इनके मध्य पमु ८1१८१५ ये पाविश्य कर रयम किये गये हैं। फिर नाम्नी कन्याक गर्मसे ८ पुत्र उत्साहुए। ये गाठो पुत्र कर कहीं प भग्नि ५६१५२४।२५।५।१३ कहीं पर दो मध्यम हैं। इन मध्यसुके नाम जैप-द्रोण प्राण मरहण ५५५/८,६५०1४, ३६४१७, कहीं न १९०७ ध्रुव, अकं अग्नि, शेष, पातु सपा यिभाषतु । टोणका ४१३१४७३१३, कहों पर ऊपा ५६४१,पही अश्विदय | अभिमती मानो पसोक गर्ममेप, न त भय ११५८१ कहीं पर रु १४३५ ५घ कहीं पर पायु प्रभृति पुत्र पैदा हुए। उन्जस्यता गममे माणक दा ४४०१५ रूप धर्णित है । उक सहिनाफे ११६३२ मन्त्र ) पुत्र हुए। उनफ नाम स्नायु तथा पुरोगथ। धारको स मालूम होता है किसीने धूर्यसामवश निर्माण पत्नीले धुयफे पुर नामक एक पुत्र हुमा । पासना किया था। श४ मास में इनफ पृतात पहिले (थाम्नि | नाम्नी पदीसे मर्कके सादि पुत्र पैदा हुए। मग्नि द्वारा स्वरूप । उपपेशा रमेका मायाहन दिया है। बाम | यमुधाराक गर्भसे द्रविणक प्रभृति पुत्र उत्पन्न हुए। सनेय माहिना ५१ मन्स ये म स एपर गणदाता | गुर्धराफे गभसे दीप द्वारा एक पुरा पैदा हुभा । यह पुत्र २२ तथा १५ ममि मारिया सा-१८ मत। हरिका शस्यरूप धा, उसका नाम शिशुमार पहा। 'निवासमदरेयगण पर्य मध्ययेक अस्मिन् यसु यसका वास्तुशे माहिरमा नाम्ना पसोस यिभ्यार्माको उत्पति धारपन्त्यिमा पुपा पाणी मितो धम्निः ममादित्या उन । विश्वकर्मा चाप नामधारी माद्वारा उत्पाहुए बिगदा हतास्मिन् ज्योतिगि पारपातु" (R) । मनुफ पुव पिश्यदयगण तथा माध्यगण थे। यिमा मन्त्र पाठ करनेसे जाना जाता है कि गवता असु द्वारा ऊपा माम्नी पाप गभस सी1 पुत्र पैदा गयो निपम्ता थे। पेपनरक्षर पन्द्रतपा मग्न हुए । उनक नाम-ज्युए, रोविर साता। प्रभृतिक मनुगत सहकारी सायपाधायोग मन्त्र | महामारतके दामधर्म अष्ट पसुमोर माम म फमाप्पी पागोको इस प्रकार व्युत्पत्ति की है।- र निरिए रिये गए हैं। जैस-पर, भय सोग "महिन् जने सपमम्गाति पामे वासया निधाम | सापिस, बनिर मगर प्रापूर तया प्रमाप । हेतुमुता एतत्सहा देवा। यमु ममि रितं यम धारपरंतु अग्निपुराणम समयमा गामगिरति सधा या पापयन्त धूपधारने मम्मात् पित्र पसरति वम विति स प्रकार या जाता है। गाम अस-मार 'निशाण । शान स्मिदिनपमिसिहनिहिदिग्यिम धप, मोर, पामिर मनल, पूरा प्रमाम! लिया (टपति मन्यानर धाम्पे गिन् | इनमें भारफ पुणेक नाम जैसे-पेय, धा, शाम