पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रोम-साम्राज्य साम्राज्यको रक्षाके लिए उसने चेतनभोगी सैन्य रस की। फेरुपपुव म्यूमेरियनकी मृत्युफे वाद सभीने म लीवर आवश्यकता बतलाइ । इस पर सन् २८२६०के अगस्त/ आपेरको राजसिहासनका आकाक्षी देस एसको हो महीने में प्रजाने विद्रोही हो पर उसका जीवन नाश साजिशकारी और हत्याकारो स्थिर किया । इसका किया । पीछे उन्होंने मर्मपीडासे पीडित हो पर मृत विचारभार शरीररक्षक सैन्यके सेनापति डाइओलिसि भधीश्वरकी कोतियाको चिरस्मरणीय रखनेके लिए कह यानको दिया गया। इसने दोषी जान उसके वक्षस्थलमें स्मृतिस्तम्म बनवाये थे। अपनी तलवार घुसेड दी। लीजनकी प्रार्थना अनुसार प्रिटोरीय प्रिफेस कारिनास इस समय एकमात्र अधीश्वर हुआ। ७० वर्षको अवस्थाम रोम सामाज्यका अधीश्वर हुआ 1) उसने रोमफे अतुल ऐश्यम्यसे बलवान हो सैन्य सामत उसके दो पुत्र कारिनास न्यूभेरियास प्रोत्र थे। इस रण | दर डाइओक्सिमियनके विरुद्ध युद्धयात्रा को। किन्तु निपुण अघीश्वरने राजसि हासन पर बैठते ही अपने पुत्र अपने पापके कारण ही उसने अपना जीवन खो दिया। पारिनासको सीजरकी उपाधि दे कर गल के चिोकी | मिमिया राज्यके अन्तर्गत मर्गासनगरके समीप पूर्व और शाति करने के लिए भेन दिया और स्वयं यह रोम | पश्चिम सैयों के अधिनायक डाइओक्रिसियन और कारि जातिकी चिरपोपित पारम्य जियाशाको पूर्ण परनेके | ससने अपनी अपनी सेना एकत्र कर लो। पारस्यसे लिए पारस्य सोमा पर पहुचा। अघोश्वरले साथ लोगे हुइ सेना रणशिए थी। कितु उन सोको युद्ध उमा पुत्र युमेरियान भी गया था। वहा स धि न हो करना न पडा। कारिनासने अपने पापप्रतिको चरितार्थ सयो। अधीने मिसोपोगामियाशेला कर मिलेमो के लिये जिस दिव्यूनकी पत्नी सतीत्व नष्ट किया था, किया पटेसिफ नगरों पर अधिकार कर लिया। इसक! उसी मनुष्यने छिप कर २८६ इ०के गइ महिने मेम चोद शाग्रीस नदी तक अपनी विषयवादिनी ले पर यह घुम पर उसको मार डाला। इस व्यभिचारी अधीश्वर गया। इसी समय पारसयालीने भारतको सीमा पर था की मृत्युके साथ अन्तर्गिहरकी शान्ति दुइ और साइ पर अपनी जान बचाइ । रोमकाने माशा को थी कि ओलिसिया राजमुकुट धारण क्यिा। पारस्यसामाज्यके पतनके साथ साथ अरय और मिथ्र । साइमोक्लिसियाने रोम साम्राज्यकी वागडोर हाथमें राजा रोमके चरणके नीचे आयेगा और शोंका प्रभार| रे घर अगएम और मार्काम भएटोनिनासके पदानुसरण खा हो र रोमका छुटकारा होगा। कि तु अकस्मात करना स्थिर किया। पन्त उमने मासिमियानको सन् २८३ इ०) २५ों दिसम्बरसोयम्राधातसे अधीश्वर ! सहयोगी बना कर उसके हाथमें शासनमार देकर की मृत्यु हो जाकी पजइसे उनकी सारी आशा लुम | युद्ध विग्रहमें लपलीन हुआ। दोनोंकी प्रति भिन्न थी हो गइ। मही, कि तु कभी भी दोनों अधीश्वरमें मनोमालिय फौजीने फेरपपुव यूमेरिया और कारिनासको एकत नही हुआ। दी अधोश्चर बनाया। किन्तु वज्राघात निव धन बेरुपको साइमोलिसियानने चारों ओर शन्न शोसे रोमको मृत्युसे इश्वरीय प्रकोप समझ रोमोंने फिर राइनीस घिग देख रोग साम्राज्यको चार अधीश्वरोंके अधीन पार करनेा नाम नहीं लिया । अत: पारसवालोश कर देना चाहा । फलत इमने अपनी रानशक्तिको दो पीछा करना छोड पर रणक्षेत्रसे घे लोट आये। युद्ध में | भार्गो विमत पर गालेरियास तथा कनस्तासियम विनय प्राप्त करने पर भी कारिनास गालियको व्यभिचा । नाम दो सेनापतियोंको दरावर पर चार दिया । घे रिक प्रतिन सर्गसाधारणके सामने उसशे घृणित राजसम्मानके दूसरे स्थान (Second honours of the वा दिया। इसी समय रोमसे नी मी मोर पर Imperint purplc ) लाम करके भी अपने अपने निर्दिष्ट न्यूमेरियनकी मृत्यु हुइ । २४६ ३०की १२यों सितम्बरकी विभागमें शापसमें समा शक्ति सञ्चालन करने में सामर्श यह घग्ना है। थे। कनस्तासियसको रपेन गल भोर गृटेनका शामन