पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१०२

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दोबस्त करना जर्मका सिर काला हाता । Sni.. जा है। पृथया गङ्गागोविन्दसिंह-गङ्गादगालदुवे किन्तु शीघ्र हो उनका भाग्य फिर भी चमक उठा।। हैष्टिग स नौकरी छोड़कर स्वदेश लौट गये। गमा- मोनमन साहबके मृत्य के वाद हैष्टिग सका एकाधिपत्य गोबिन्द भी कर्मच्य त हुए। प्रसिद्ध वाग्मी एडमण्ड बढ़ गया और उनने फिर भी १७७६ ई०के पाठवी नब- वाक जिससमय विलायतको पार्लियामेन ट-महासभा म्बरको गगागोविन्दको दीवानके पद पर नियुक्त किया। म हेष्टिग नर्क विपक्ष वक्त ता देते थे, उस समय वे इस ममय गगा गोविदकी हो चलो बनी थो। बड़े गगागोबिन्दको खूब निन्दा करते थे। गङ्गागोविन्दने बड़े देशीय जमीन्दार तालुकदार और जमन्दारके नायब ब तसे जमींदारोंका नाश भी किया और अन्त में अच्छी गुमस्ता भेंट ले जाकर उनके निकट सर्वदा खड़े | सत्कीति भो प्रागकर देहत्याग किया ! रहते थे। उस समय इस तरहका दशसाला वन्दोबस्त गङ्गचिल्ली (मं. स्त्री. गोस्थिता चिल्लो । चिल्लविशेष, नहीं था, पांच ही वर्षका मियादी बन्दोबस्त रहा । इस काला मरवाला एक जलपक्षी, एक जल चिडिया • का पर्याय देवह', बखक एच्या होती थी, गगागोविन्द उसोके साथ कर देते थे। और जलकुकडी है। ऐसी उच्च क्षमता हाथमें पाकर वे जिस तरहका अत्या-गाज (सं० पु. ) गङ्गाया जावत, जन + ड। भीम, चार और स्वजातीयका मा अनिष्ट कर गये हैं उसका २ काति केय। वर्णन नहीं किया जा मकता है। उन्होंके प्रबल प्रताप गङ्गाजम नो (हिं० वि०) १ मिला हुवा, दो रंगा। के समय दिनाजपुरके राजाका देहान्त हुवा था। उनके २ सोने चांदी, पीतल तांबे दो धातुओंके सुनहले रुपाले नावालिग पुत्रका रक्षाभार गवर्णमें टके हाथ रहा। गङ्गा- तारीका बना हुआ। ३ काला उजला, स्याह सफेद । गोवन्द के यत्नमे देवीसिंह उनके राज्यके कार्य कर्ता गङ्गाजल (सं० ली.) गाया जलं ६-तत्। १ गङ्गाका बनाये गये। उम समय देवीसिंह दिनाजपुरराजको कई जन्ल । २ एक कप का नाम जिसका रंग उजला पौर एक जमीन्दारियांका अन्यायसे दखल कर गंगा गोबिन्द | सूत महोन होता है। को भेट देने लगे इस तरह बहुत थोड़े ही दिनौमें गंगा गाजली ( सं० स्त्री० ) जल भरनेकी शीशी, वह थोशी गोविन्द बंगदेशमें एक मान्यगण और प्रसिद्ध र ति गिने | जिसमें यात्री गङ्गाजल भरते हैं। आने लगे। उनकी प्रभुता यहां तक बढ़ गई कि राजा गाजली (हि.पु.) मछली पक नेका जाल, जो रोहा कृष्णचन्द्र भी उनके भयमे कॉपी थे। घासका बना हुअा रहता है। १७८१ ई०को कलकत्तामें एक राजस्व-समिति ( Committee of Revenue ) स्थापित हुई। इस | गङ्गाटेय (सं० पु.) गङ्गातटे याति पृषोदरादिवत् समयसे लार्सकानवालिसके भागमनकाल पर्यन्त राजस्व | तकारलोपे साधुः। मस्पाविशेष, एक तरहको मसी विभागमें गडगोविन्दहीको प्रधानता थी। उत्कोचप्रिय जो चिड़ी मछली भी कहलाती है। गङ्गातीर ( स० क्लो०) गायास्तोरं ६-तत् । गङ्गा रेष्टिग म विना गागोविन्दकी अनुमतिमे कोई गर्भसे १५० हाथ तकको जमीन। कार्य नहीं करते थे। उन्होंने नानाप्रकारके अन्याय पथ " मास्तमत' यावत् ममततौर मुथी । ( दानधर्म ) अवलम्बन कर प्रचुर धन उपाजन किया। ऐसा सुन जाता है कि उन्होंने अपनी माताके आपमें लगभग बारह गङ्गादत्त (स• पु० ) गङ्गया दत्तः ३-तत् । १ भीम। तेरा लाख रुपये व्यय किये थे। उस सरहका महा- "मरमस' विजानौति गंगादत्तमिम सुतम् । (भारत ) बार बादेशमें और कभी भी नहीं हुआ था। उस २ एक प्राचीन संस्कृत कवि । ३ चातुर्वण्यं विचार आपमें बनदेशके सभी राज और प्रधान जमौंदार व प. मामक ग्रन्यप्रणेता। खित थे तथा मष्णनगराधिपति राजा शिवचन्द्र | गङ्गादयाल दुबे-हिन्दीके एक कवि। युक्तप्रदेशस्थ राय- उनके घरमें भोजन करनेके लिये बाध किये गये थे। बरलोके निसगर ग्राममें किसी कान्यकुल ब्राणके घर (कान्दो ६) | इनका जन्म हुआ। १८८३ ई०को यह जीवित थे।