पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१०५

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गङ्गाधरकाथ-गाधर मास्त्री गङ्गाधर उसो अल्पवयसम प्रधान प्रधान चिकित्सक ! जीर्णातिसाररोग नाश होता है । (दाय ) और अध्यापकके साथ वादानुवाद हारा अपना मत ! गङ्गाधरचक्रवर्ती-वंगदेशका एक स्मार्त पण्डित । इन्होंने स्थापन करात गये और अनेक तरहके कठिन रोगग्रस्तको श्राद्धतत्त्वभावार्थदीपिकाकी रचना की है। पारोग्य करते हुए नाना स्थानाम उनकी ख्याति फैल गङ्गाधरदेव --उड़ीसाके एक राजा । सत्कन देखो। गई। गङ्गाधरनाथरसमारसंग्रह नामक वैद्यक ग्रन्यकार । इन्होंने बाल्यकालकी पाठयावस्थामे मुग्धबोधकी जो | गङ्गाधरभट्ट -१ विकृतिकौमुदी नामक जटापटलका टोका रची थी उसे देख कर नाटोरके एक प्रसिद्ध अध्याप टीकाकार। २ भादृचिन्तामणि नामक मीमांमासूत्रका कने उनकी अमित प्रशमा की। उस टीकाकी लोकसंख्या। टीकाकार । ३ हालरचित माशतोका समशतकभाव- दशसहस्र थी। इमके बाद वोपदेव गोस्वामी मुग्धबोध लेशप्रकाशिका नामक टीकाकार। व्याकरणकै जितने अशको अपूर्ण छो गए थे, उमको! गङ्गाधर यति एक प्रसिद्ध वेदान्तिक । रामचन्द्र इन्होंने पूर्ण किया और फिर मम्पूर्ण मुग्धबोधको| मरस्वतीके शिष्य मव ज मरस्वतीक प्रशिष्य और योम- टीका की। व्याकरणमें इन दो टीकाओंसे इनकी । वाशिष्ठतातपय प्रकाश-रचयिता आनन्दबोधन्द सरस्वती- बुद्धि, विद्या और अद्भुत कीर्ति और अधिक बढ़ गई। । के गुरु। ये गङ्गाधर भिक्षु, गङ्गाधर सरस्वती अथवा उस समय उन्हनि दो महाकाव्य लिखे थे, एकका गङ्गाधरीन्द्र यति नामसे विख्यात हैं। इन्होंने कई एक नाम “लोकालोकपुरुषीय" और दूमरका नाम "दुर्ग- संस्कृतको कितावें रचना की है। जिनमेंसे कुछ ये बधकाव्य" था। हैं :-चन्द्रिकोहार नामक वेदान्तमिहान्सचन्द्रिका ___बुद्धिमान् और मेधावी मनुष्य जिस ओर बुद्धि चलाया की टोका, प्रणवकल्पप्रकाश, वंदाम्ससिद्धान्तममरी करते हैं उमी और वे पारदर्शिता और उबति प्रदर्शन- और प्रकाश नामक उसकी टीका माम्राज्यमिति तथा में समर्थ हो सकते हैं। गङ्गाधर चित्रविद्याको भी मोक्ष नामकी उमको टीका, सिद्धान्तसंग्रह और उसकी सेवा कर उसमें कतकार्य हुवे थे। देवदेवीकी मूर्ति टोका, स्वाराज्यसिद्धि एवं कैवल्यकल्पद्रुम नामक बनानमें भी इनकी सुपटुता थी। इनका पिता दुर्गोत्सव उसको टीका करते थे । प्रतिमा निर्माताको मृत्यु होने के बाद गङ्गाधर- | गङ्गाधर वाजपेयी-अवै दिकदशनसंग्रह और रसिकरजनी ने अपनेमे ही एक मूर्ति बनाई थी। नामके अलारशास्त्र रचयिता । गङ्गाधरक्वाथ ( म० पु० ) औषधविशेष। कञ्चटकशाक, गङ्गाधर शर्मा - मुग्धवोधक एक प्रसिद्ध टीकाकार। अनार, जामुन, सिंघाड़ा, वेलगूठ, वाल।, मोथा और गङ्गाधर शास्त्री वष्णराज चम्म के प्रणेता। इनको कार्य सोठका क्वाथ तैयार करनेको प्रणालीमें इनका क्वाथ दक्षता देख बरोदाक राज्य परिचालक ( Regent ) और करनेसे जलको तरहके जो दस्त होते वे भी मिट | गायकवाडके भाई फत मिहने इनको अपना प्रधान कर्म- जाते हैं। चारी बनाया। इनकी प्रखरबुद्धि और दक्षतासे सन्तुष्ट गङ्गाधरच ण ( म० ली०) जीतिमाररोगनाशक औषध हो रेसीडेण्ट लेफिटेण्ट कर्णल वाकरने इन्हें बरोदाके विशेष. एक तरहकी दवा जिससे पुराना अतिसार रोग प्रधान मन्त्रीक पदमे पाभूषित किया। १८१४ ई०में जाता रहता है । इमको प्रस्तुत प्रणालो-धायफल, पाम | पेशवा बाजीराव पूनाके मायकवाड एजण्टमें गड़बड़ी लको, सकोधर, आकनादि,न्योनाक, यष्टिमधु, श्री विल्ष, | होनेके कारण ये ठीक ठीक हिमाब किताब देने के लिये जम्ब , और आम्रवीज, सोंठ, बिष, वाला, लोध, कूटज | पूना गये। गायकवाड़ने पेशवाक चरित्र और विश्वास- प्रत्ये कका समभाग लेकर अच्छी तरह च र्ण करनेके बाद | घातकतामे सन्दिग्ध हो हटिशगवर्मेटको मध्यस किया। मिला देना चाहिये। इसीको गङ्गाधरच ण कहते हैं। गङ्गाधरके पूना पहुंचन पर पेशवाने पादर पूर्वक उनका चावल के धोये हुए जलके साथ इसका सेवन करनेमे | सत्कार किया और कुछ दिन पूनामें रहने के लिये अनु-