पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/११

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खान्देश फल १.४१ वर्गमील है। खानदेशके उत्तर सतपुरा होने से पच चोते उतने नहीं देख पड़ते । १७ जनाद पहाड और नर्मदा नदी, पूको बरार पोर मध्यप्रदेशका सकस जिलेके उत्तर पहाडी भूमिमें सोहाबी मीमार जिला, दक्षियको सासमाला, चांदोर या अजन्टा बचे देते। पहाड, दक्षिण-पश्चिम नामिक मिला और पश्चिमको चाई भेदसे खानदेय जिलेका जसवायु विभिब बडोदा राज्य तथा रेवाकांठा एजेन्मो की शेटो रियासत पडता है । पथिमी पाडो और अमोम और सत. सागवारा है। माप तो मदा रस जिशाके उत्तर-पूर्व पुगमें पानी बहुत बरसता है, परन्तु बीनमें पार दक्षिा कोणमें जा* पश्चिमकी पोरको बहती और इसके दो को उसको कमी रहता है। धनिया नगरम पोमतको छोटे बड़े टुकड़े करती है। इनमें बड़ा टुकड़ा दक्षिण- देखते २२ रच वृष्टि होती है। लोगोंका पास्थ्य योत. को पड़ा जो गिरना, बोरी और पांझर मदियोंके कालको सबसे पका और गोमतको बुरा रहता है। पानीमे सिंचता है। यहां खानदेशका १५० मील मम्बा वर्षा के पीछे भूमि सूखने मलेरिया बढ़ता है। पबिममें मैदान है। यह नीमारके किनारेसे नन्दुरबार तक चला गमो को काड़ कर दूसरे मौसम पर पावरवा बत गया पोर उपजाऊ भूमिसे भरा स प्रान्त में बड़े बिगड़ जाता है। बड़े शहर पोर गांव बसे जिनमें प्रामके चारों ओर खान्दे धका पूर्व कालोन इतिहास के १५० वर्ष बागबगोडे लगे हैं। श्रीमऋतुको छोड़ कर सभी समय- पहलेसे १२८५६० तक लगा है। प्रथमोश समय बहुत में खेत विभिन फसलों से सजाया करते हैं। सरको पुराने शिताफलककी पढ़ के निकाला गया है। फिर सामपुरा पहाडको तफ जमीन् अनी गयी है। १२८५ ई. को एकाएक मुसलमान बादशाह पक्षा-उद- बीचमें पोर पूर्व दिक्को भूमि प्रायः समान है। उत्तर दोन दिजोसे खानदेग पाच थे। महाभारतमें तूफ मास और सिममें घना जल है। इसमें भील सोग रहते, और पसीरगड नामक पावत्य दगीको बात सिसी। को जङ्गम्तो कन्दमूल फल खाकर जीवन निर्वाच पोर तूर्णमासके गाजा पाण्डवों से लड़े थे। पसोरगड़प- सकड़ी काट कर धनोपार्जन करते हैं। तातो खान्। त्थामाका पूज्यपीठ जैसा माना जाता है। लोगों में प्रवाद देशमें घूम घूम १८० मीस तक बी और ११ सहायक कि ई०से बहुत पहले वह प्रवधी गये राजपूत मटियों की धारा उसमें मिली है। परन्तु किमो नदीमें राज्य करते थे। पान्धको उभी राजपूतों का धधर अाज या नाव नहीं चल सकती और ताप्ती इतनी गहरी मानते हैं। धोई दिनके लिये प्रधिमके चविखोंने बहतीकि खेत सिंचन को पानी लेने में बोपड़चन पान्धीको दवादिया था।ई.५वें शताब्दी चालुवंश पड़ती है। भुसावलमें रेसवेपुलके नीचे अपर दो झरने ने बस पकड़ा फिर स्थानीय राजामों का राज्य मा। है।वर्षा ऋतुम ताप्तीको मंझा नहीं सकते, भुसावलके पसा-उद-दीनके खान्देश पावते समय पीरमर रेसवे पुससे वसते फिरते हैं। इस जिलेके सर-पश्चिम चौहान राजा राजत्व करते थे। कोपमें ४५ मील तक मर्मदा फेसी है। समयानुकूल १७५००को मराठी के पसीरगड, पधिकार करते नर्मदाको रासे नकदी समुद्र किनारे पहुंचायी जातो समय यहां मुसलमानी पमनदारी रही। इसके बीच में रस जिलेके मासों में भी बातो महीने पामो भग टिबीमे मटार महराबर खान mua - रहता है। चार बड़े पहाड़ों के नाम-सामपुरा पत्ती, पात थे। मुहम्मद बीन तुगलकके धान ११२५ सातमास, चांदोर या पाढा और पबिमघाट । पर्व १३४६ तक बरारके एलिचपुरसे इसका शासनकाय गालमा पर्वत खान्देशको मासिकसे अलग करता है। चला। ११०० मे १९... तक परकी वंशपरम मानदेयकामास बहुत अच्छारसमें कई बार इस प्रान्तका प्रबन्ध किया। वरनाममात्र गुबगतके की कीमती सदीती। ममतानों को बखता मानते थे, वनुता साधोम वन्ध पश भी बहुत हैं। किन्तु शिकार की भरमार रहे। १५९८ ई. को सुगस खानदेश पर सी Vol,VI,