पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१११

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गङ्गशदीक्षित-गडोर १.८ टाकाएं भी मिलती हैं। फिर इन टोकाीको शत शत इस ग्रामके चारों ओर प्राचीन मन्दिरीक वसावशेष टीका टिप्पणियां हैं। माय देखो। भाजलों विद्यमान हैं। गङ्गश उपाध्यायक पुत्रका नाम वर्धमान उपाध्याय है। गङ्गोत्तम नरोत्तम-रासपञ्चाध्यायिका पदसरमो नामक वह भी एक अद्वितीय नैयायिक थे । वध माग उपाध्याय देको । टोकाकार । २ रामार्याशतक नामक संस्कृत ग्रन्थक रचयिता। | गङ्गोत्तरी-युक्तप्रदेशमें टेहरी राज्यका एक पुण्य स्थान । गङ्गशदीक्षित-तकभाषाका एक टोकाकार। यह प्रक्षा• ३१. उ. और देशा• ७८ ५७ पू० पर पव. गङ्गशमिश्र-चतुवर्गचिन्तामणि नामक वेदान्तरचयिता। स्थित है। इस स्थानमें पहाडके ऊपर गहाक दक्षिक गणशमिश्र उपाध्याय --सुमनोरमा नामक संस्कृत व्याक तट पर गङ्गादेवोका मन्दिर है। मैकड़ों तीर्थयात्रो भागो- रण-रचयिता। रथोकी मूर्ति दर्शन करनके लिये प्रति है। हिन्दूओंका गङ्गवर, गगेश देखो। विश्वास है कि इसोस्थानसे गङ्गा गोमुखी हो कर भारत- गङ्गकोण्डपुरम् मन्द्राज प्रसिडेन्सिके त्रिचिनापली जिला- वष में प्रविष्ट हुई है। यह हिन्दनौका महापुण्यप्रद का उदैयारपालयम् तालुकका एक ग्राम। यह अक्षा. स्थान है। मम्प्रतिकाल देवीमन्दिर समुद्रतलसे ६८७८ हाथ ऊंचा है। गाम खो देखा। ११.१२ उ. और देशा० ७८. २८ पू. पर अवस्थित | गङ्गाज्म ( म० क्लो. ) गङ्गया उभयत, उझ कम खि है। यह तालुकक प्रधान सदर जयमकोंद सोलापुरसे घज । गङ्गाप्रवाहशून्य जलादि। ६ मील पूव में अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः २७०२ गङ्गोदक (म• पु० ) गङ्गाजल, गङ्गाका पानी। है । पूव ममय यह एक शहर था जो जिलामें एक गगोद (म० पु० ) गङ्गाया उङ्दः प्रथम प्रकायो यन प्रसिद्ध स्थान गिना जाता था। प्रवाद है कि जब वाणा- बहुव्रो०। त र्थ विशेष। इम स्थानमें पिटदेवताका सुरको गङ्गाजल न मिला तब उमने शिवजीको सप- तर्पण करनेसे वाजपेय यज्ञ करनेका फल होता है और स्या को थो । महादेवन उसको तपस्यासे संतुष्ट हो कर मनुष्य मोक्ष प्राहा करता है। उक्त स्थानक पास ही एक कूपसे गङ्गा बहा दी और “गकोदभेदः ममामाद्य तर्प येत पिवदेवता । इस तरह दैत्य वाणासुरन उसमें मान कर मोक्ष पाया वाजपेयमानाति ब्रह्ममतो भवेत मदा" । (भारत १८५०) था। गङ्गकोंण्डोल य प्रथम राजेन्द्र चोलने यह शहर | गङ्गोल (म • पु० ) गोमेदक नामक मणि । थापित किया. इसी कारण उन्हीं के नाम पर शहरका | गहर-यनपटेपमें मारमा शिलाले मामा नामकरण हुआ। का एक शहर। यह अक्षा० २८४७ उ० पौर देवा. प्राच नकाल इम ग्रामम एक प्रसिह मन्दिर था जिमका | ७७१७ पू में अवस्थित है। गङ्गोह परगणामें यह वसावशेष पाजली विद्यमान है। मन्दिर बहुत अचो एक मशहर शहर है। लोकसंख्या प्रायः १२८.७१ दीवारम आवेष्टित है । मन्दिर प्रांगणम एक विशाल जिनमेंसे ५७४१ हिन्दू और ७१७२ मुसलमान है। विमान है जो बहुत दूरसे दीख पड़ता है, क्योंकि इसको | मिपाहो विद्रोहर्क ममय राजा फतुपाके प्रधान गुमरों- ऊंचाई लगभग १७४ फीट होगी। उक्त विमानके निम ने इस शहर पर आक्रमण किया था, लेकिन मिष्टर भागमे उस्कोगों बहतसे शिलालेख हैं। मन्दिरमें | रोर्बाटसन ( Mr. H. D. Robertson | और सत्ताईस फुट गहराईका एक सुन्दर कूप है और जिसके | लेफटिनेण्ट वोमरागोन ( Lieutenant Roisra- अपर सपक्ष सौको बहुतमो मूतियां लगी हैं। कूपमें gen ) ने उन पर धावा कर १८५७ ई०के जन मासमें प्रवेश करनेको सोढ़ी दो हुई हैं। मन्दिरके बाहर १६ पूणरूपसे हराया । यहां तोन प्राचीन मस्जिद . मौल विस्त त एक सडाग या प्रद है जो पोनरो नामसे जिनसे दो अकबर और जहांगोरने निर्माण को थीं। प्रसिद्ध है। बहुत वर्षों से यह तालाव नष्ट हो गया है और मसजिदके अलावे एक विद्यालय और एक अस्पताल इसकी पूर्व श्री जाती रही है। यहांको वार्षिक पाय प्रायः ३...रुपये है। oI. VI. 28