पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१२१

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गब विलायतको वह ढेरका ढेर भेजा भी जाता है । शेफोल्ड चीत्कारको सुन करके दूसरो दूसरी हनियां उसके पास शहरको कोई ४०। ५० हजार रुपयेका हाथो दांत पहुं- पहच आती और हाथोसे उसको कुड़ा लाती हैं। किसी चाते और वहां लगभग ५०० लोग उसके कामकाजमें | प्रकारका अन्याय आचरण होने नरी पाता और उम दुष्ट लगे रहते हैं। हमारे बम्बई मगरमें भी बहुतसा हाथा- | हाथोको कितना नी सर्जन गर्जन भो टेखाया जाता है। दांत अफरीकासे आता है। गभदन्न देखा। ___हाथोका वोर्य ३ महीने हथनीक गर्भमें पड़ा रहता, हस्तिमोका स्तन और गर्भ मानवी जैमा और जिना ५वें महीने जमा करता, ७वें मास कडा पड.ता और वें शुकपक्षाको जीभ जैसो गोल गोल होती है। हाथीको | महोंने पुष्ट होता है। फिर एकादश मासको जोवदेहका तरह हथनीकी भी जातियां बटो हैं। फिर हाथियोंकि जैसे आभाम, हादय मासको शिरा, अस्थि, नख तथा मुख शुभ प्रशभ लक्षण लिखे हैं, हथनी के भी समझ लेना | और त्रयोदश मामको स्त्री वा पुचिका आविर्भाव चाहिये। दूसरे पशुओंको देखते हथनौके प्यार और दया लगता है। १५वें महानि गर्भस्थ जोव इधर उधर झुकता बहुत ज्यादा रहसो, सम्तानवामन्यको भी कोई कमी और १६वें महीने सब अङ्ग पूरा पड़ता है। १७वें महीने नहीं पड़तो । एक भी बच्चा मारा जाने, हिराने या प्राण अकालप्रसवका सम्भावना रहता है १८वें महीन हाथीका गवानेसे हथमोके शोकका ठिकाना नहीं लगता, वह बच्चा निकलता है। किस किसो प्राणितत्त्वक मतम शोक घोर जलमस व्याकुल हो करके खाना पोना छोड। पहले ही मास रेत: जमता पौर कडा पडता है दूसरे देतो है। किन्तु यहो अनिर्वचनःय पशुलीला है, कि २।४ | महीने आंख, कान, नाक, मुंह, और जोभ बनती है। दिनके लिये उसको अलग हटा देने पर फिर अपने तासर महोन हाथ पांव आदि अफ्रीका प्राविर्भाव, चौथे बञ्च को हथनी पहचान नहीं सकता, उसके देख देख, महीन देहप्राप्ति और पांचवें महीन गर्भस्राव हीनको सम्भा- करके चिवारत भो कोई परवा नहीं करतो। एथनियां वना है छठे और सातवें महान ज्ञान पाता है। पाठवें पूरी बाढ़ आ जाने पर ७ हाथ ऊंची होती हैं। हाथोमे महोने हमल गिर सकता और नवें, दशवें तथा ग्यारहवें हथनी में बुद्धिकोशल भी अधिक मिलता है. महान गभस्थ जीव पूर्णावयव हो करके बारहवें महीने हनिया लगभग १८ महोने गर्भधारण करता है। निकल पाता है। किसा किसीके कथनानुसार २० मासक पोछ भी कई हस्ताका रतीभाग अधिक होनेसे प्रशावक, हस्तिनो- दिन तक उनके हमल रहता है। ऋतुकालको १२ दिन का रेतोभ.ग अधिक होने पर स्त्रीशावक और दोनों का लह टपकता, फिर हस्तिसङ्गमसे गर्भधारण होता है। रतो ग बराबर रहमसे क्लीव उपजता है। साधारणत: सङ्गमलिप्साकै समय हथनी बार बार चांक उठती र शिशु, गर्भको दक्षिण ओर, स्त्री शिश वायो सर्फ और हमेशा पानो या धूलि अपने ऊपर उछाला करतो है । डेस | लोव रबोचर्म हता है। हथनो प्रायः एक ही बच्चा समय इसक कान और पूछ खड़ा हो आतो, एक पलके | देती है। कभा कभो यमज भो प्रसूत हो जाता है। लिये भो हाथीका साथ नहीं छोडतो फिर वह हाथीके ..हथनोका दूध मोठा, बलवोर्य वर्धक, भारी, कसैला, देहसे अपना दे रगडता, मत्था झुका कर दांतोंक नीचे बिर्यकारी, ठण्डा भोर दृष्टि बढ़ानेवाला है। रखता और मूत्र तथा मलका गन्ध सूचनम-प्रसारवतो का हो कसैला, इस्लका, पकान पर गर्म, शूल- । हाथी बन्धपाहात भी नियम प्रतिपालन करना | मायक, रुचिकर, दोषिप्रद, कफरोगन, वोर्यवध क और • मानता है। खारा लघुप्रकृति मानवको भांति यद बलप्रद होता है। जब तब सामकााष नहीं रखते, ऋतुकालको हो हथनीका मक्खन--या न कसैली, ठण्डी, उसकी, सात होते हैं। तुकालको शेड़ करके जबावनी सङ्गम तीती, विटभी पार पित्त, कफ तथा कृमिनाशक है। करना नहीं चाहता किसो दुष्ट हाथाके बलपूर्वक उसको हाथी अपमो सर्व गलिचाली सुडसे ही प्रायः सब भासमय की स्वरमें चिकारने लगती है। इस काम चलाते हैं। वह खाना घोना भी सूड होसे विवा