पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१२५

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गन-गवरूपाययुद्ध क्रमानुसार हस्तिनीके आहारको भी व्यवस्था थी। मबसे। सामन आ करके मत्य से मत्या रगड़ते और सूउसे सद बड़ी हथिनीको १ मन २२ सेर और सबसे छोटीको ६ र लपेट करके लड़ने लगते हैं। इसी प्रकार बहुत देर तक मात्र पाहार मिलता था। गज पर चढ़ करके बहुत दूर | लड़ने पोछे जो हाथी हारता युद्धक्षेत्रसे हटा दिया जाता घूमने में बहुतसे लोग उसको पाटेको रोटो खिलाते हैं। है। फिर जयो हाथी रङ्गस्थलम' खड़ा हो करकं पास्का- गज खानेके लिये ब, बड़े पोको डालिया तोड लन किया करता है। उस समय महावत उतर पड़ता डालते हैं। फिर धरे धोरे पत्तो और लकडोको छोर और दूमर दूमरे लोग जा करके होशियारीसे उसको बांध करके वह केवल छाल ही खाते हैं। कैथा खानमें गज | लेते हैं। खेलाड़ियोंको यथायोग्य पुरस्कार मिलता है। बहुत ही मजबूत होता है। वह समूचा केथा मुहमें डाल | हाथोसे आदमोको भो लड़ाई होती है। करके निगल जाता है। मलत्याग करने पर देखा जाता हाथो शिकारका बड़ा महारा है। प्राचीन कालको कि कैथा जैसेका तैसा पड़ा है, परन्तु उममे गूदेका हाथी पर चढ़ करके राजा लोग शिकार खेलते थे। पाज- कहीं नाम भी नहीं । सन्ध्या सवेरे हाथोको नहलाना | कल भो भगरज राजपुरुष प्रायः हाथो पर चढ़ करके पड़ता है । घूमनको निकलनसे पहले गजको मत्थे कान शिकार करने जाया करते हैं। प्रशिक्षित हाथी ले करके और पैरम मक्खन लगात, नहीं तो धूपसे यह सभी स्थान शिकारमें जानेसे विपद पड़नको सम्भावना है। शिक्षित सहजम हो फट जाते हैं । गज मालिक और महावतके हाथी पहाड़ पर चढ़ और पावश्यक होने पर उसकी वशर्म रहता है। वह महावतके आंख उठाने और घाटीमें भो उतर निकलता है। उगली चलाने पर असाध्य साधन किया करता है । पशु ____ भूतत्वविदोंने पृथ्वीके निम्नतरम प्रस्तरोभूत हस्ति- होते मी गजमें दया होती और उपकार करने पर वह काल पाया है। उससे समझ पड़ता है कि बहुत पुराने कृतज्ञता प्रकाश करता है। समयको विशुण्ड हस्तो विद्यमान थे। ममुद्रम भी एक जङ्गली गजको अनेक बार सिंह व्याघ्र प्रभृति वन्य जलचर हाथी देख पड़ता है। उसका नाम जलहस्ती है। जन्तुओंसे लड़ना पडता ओर कभी कभी गजोम भी पर- जलस्तो देखो। स्पर युद्ध होने लगता है। सम्राट अकबरके समय बहुतसे २ स्वर्गके इन्ट्रक विमानाम से २८वां विमान। हाथी लड़नको प्रस्तुत और उनके सिखानको वेतनभोगी गज़इलाही ( फा० पु० ) ४१ पंगुलका गज । इसे पक- लोग भी नियुक्त रहते थे । आजकल हाथियोंको लड़ाई | बरो गज कहते हैं। बहुत कम देखनेमे पाती है। कुछ दिन पहले बड़ोदेम गजक ( फा० पु० ) १ खाद्य पदाथ, जो शराब पीनेके बाद प्रति वर्ष हाथो लड़ाये जाते थे। जो हाथो युद्ध करते, उन्हें एक प्रकारका मादक द्रव्य खिलाते हैं। इससे | २ तिलपपड़ी । ३ जलपान । हाथी उत्तेजित हो जाते हैं। फिर ३ मास तक उन्हें | गजकच्छप---गजबचपोय युद्ध देखी। मक्खन और चीनी खिलानी पड़ती है। इसी प्रकारके दो गजकच्छपीययुद्ध (सं० ली० ) गजकच्छपीयं गजकच्छप मतवाले हाथी लड़नेको लाये जाते और लोग उनकी सम्बन्धि युहम्, कर्मचा० । गज पोर कच्छपका युच, हाथी हार जीत पर बाजी लगाते हैं। हस्तियुद्धको रणभूमि पौर कछुवेकी लड़ाई । इसका उपाख्यान यो लिखा है- ६०० हाथ लम्बी और ४०० हाथ चौड़ी होती है। दोनों विभावसु नामक कोई महर्षि रहे। इनके छोटे भाईका हाथो जन्नीरसे बांध करके रखे जाते हैं । युद्धका एक माम सुप्रतीक था। सुप्रतीकको विभावसके साथ एकाब सहस है। उस सतके होते हो दर्शक लोग अपने रहना अच्छा न लगता था, इसीसे समय मिलते ही वह अपने स्थान पर हट करके खड़े हो जाते है। फिर विभावसुसे पैटक धन बांटनेकी बात उठाते थे। विभा- दोनों हाथियोंको जमीर खोल देते हैं। हाथी सर्जन वसका स्वभाव कुछ चिड़चिड़ा था। वह एकाएक गर्जन करके अखाड़े के बीच पहुंचते, एक दूसरेके । बिगड़ पाते थे। एक दिन उन्होंने सुप्रतीकको मुकार