पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१२८

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१२९ गवछावा-गजदन्त गअच्छाया (स स्त्री०) गजस्य हस्तिनः छाया प्रतिविम्बः, , हाथोके दांत बीच बीच में ट ट जाते है। इसीसे वह बहुत एतत् । १ हाथोकी छाया । २ योगविशेष, यह योग | बढ़ नहीं सकत । एक बार टूटने पर हाथी दांत फिर बाइके लिये अच्छा माना जाता है। यह उस समय होता| भर पाते हैं। यह ६ हाथ तक बढ़ते हैं। ऐसे दो दांत है जब क्लष्णत्रयोदशी के दिन चन्द्रमा मघा नक्षत्रमें और | तौलमें लगभग ४ मन बैठते हैं। साधारणत: इतने बड. सूर्य हस्ता नक्षत्रमें हो। ३ सूर्यग्रहणकाल । यह समय | हाथी दांत देख नहीं पड.ते । ३० मेर या १ मनके श्रावके लिए प्रशस्त है। हाथी दांत प्राय: देखे जाते हैं। हाथी दात तिरछा "मरिया या भान' यसले पर्व सन्धिषु । तोड़नसे भीतरको गोल गोल रेखाएं देखने में आती हैं। गणचाया न मा प्रोका लत बार प्रकल्पयेता" (रा) ___ भारतवर्ष में जो हाथी दांत होते, उनसे इस देशका ४ अमावस्याके दिन जिम समय छा काम नहीं चलता। प्रतिवर्ष अफ्रीकासे इस देशमें हाथो उसी कालको गअच्छाया कहते हैं। दांत मगाये जाते हैं। जो हाथीदांत भारतवर्ष के कह- "चमावास्यां गते सोमबाया या प्रामुखी भवेत् । लाते, अधिकांश प्रासाम और ब्रह्मदेशसे आते है कहते गनकायति सा मोक्ता तत बाई प्रापयेत् ॥ (मलमासतस्त्र) कि पूर्वकालको आसामके नागा लोग पहाड़ी गाँवोंसे हाथी गलढका (स. स्त्री०) गजोपरिस्थिता ढक्का । हाथोके दांत ला करके जङ्गलके बाहर रख देते और अपने पाप जपर एक बड़ा ढाक, हाथोके ऊपर रखा हुआ एक जङ्गालमें छिप जाते थे । हिन्दू वणिक् वहां पहच नागा. बडा ठोस। ओंकी प्यारी चीजें रख करके हाथी दांत ले गजट ( पु.) १ समाचारपत्र । २ भारतीय सरकार | आते थे । वणिकोंके ... ाने पर वनसे निकल नागा अथवा प्रान्तीय सरकारों द्वारा प्रकाशित सामयिक पत्र । वह सारी चीजें उठा करके घर लाते थे। हिन्दुओंका उममें बड, बड. कर्मचारियोंकी नियुक्ति, नवीन नागापोंके साथ ऐसे ही व्यवसाय वाणिज्य चलता था। -बाननोंके मसौदे और भित्र भित्र सरकारी विभागोंके हिन्दुओंके गांवमें जा उनसे मिल करके लेन देन करना बानने योग्य बातें प्रकाशित की जाती है। मागापौके धर्म में निषिद्ध है। कह नहीं सकत, वह माता (सं० सी० ) गजानां समूहः गज-सल् । बात कहां तक ठीक है। नागा बहुत थोड़े हाथी दांत ..( वामानि बसायान् । पा ४१ पाति.) इम्तिसमूह, लाया करते हैं। सिङ्ग फो और खामती से ही यह हाथीका मुण्ड। द्रव्य अधिक परिमासमें बेचते है । प्रतिवर्ष प्रासामसे पातुविससित (म. को०) छन्दोवियेष, इसका दूसरा | मध्य भारतको १०० मनसे भी अधिक हाथीदांत भेजा नाम ऋषभगजविन्तसित है। जाता है। गजदन्त (म० पु०) गजस दन्ताविव दन्तावस्ख, बहुव्रीः । अफ्रीकासे प्रतिवर्ष प्रायः ५ हजार मन हाथीदांत १ मध । २ नागदन्त, चीजें वगैरह रखने के लिये दीवार पाता है । अनीबार, मोजाम्बिक और अदनसे ही इसकी लगाये हुए दो खूटे। ३ दांतके जपर जमनेवाला | ज्यादा आमदनी होती है। यह हायौदाँत पहले बम्बई दांत । गजस्य दन्तः, ६-तत्। ४ हाथीदांत । ( Ivory ) | में आ करके इकट्ठा होता है। फिर उसका कोई आधा हाथी दाल पृथिवीका वढ़िया और महंगा पदार्थ भाग विलायत भेजते हैं। अवशिष्ट इसी देशके व्यवहार- है। इससे नाना प्रकारको बर्तने लायक मनोहर पौर को रहता है। अफ्रीकासे बम्बई में जो हाथोदांत मगाया टिकाऊ चीजें बना करती हैं। हाथोकी ऊपरी चौमें माता, सौलके हिसाबसे बिकता है। बम्बईका सेर २८ दोनों पोर जो दो तीखे दांत रहते, बढ़ करके सब रुपये भर है। एक एक हाथौदात ऐसे मेरसे कोई ४ कामों में उपयोगी गजदन्त बना करते हैं। नौचको चोंके | मन बैठता है। उसका मूल्य २५०, रु. है। दूसरे देशी- - दांत उतने नहीं बढ़त, हथिनोके दांत भो छोटे ही रहते को भेजनेसे पहले हाथोदांतको काट करके बम्बईके है। पड़को छाल निकालने या पेड. काटमें जङ्गली । लोग कई भागीमें बांट देते हैं। साधादांतका अगला