पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३०

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गजदन्त-मजनौ जारों रुपया होता है। काशीके महाराजने शिल्प. जैसा कोमल पड़ जाता है। उस समय इसकी मनमाना कारीसे हाथीदांतको एक बग्गी और वराणसोका एक घटा बढ़ा सकते हैं। फिर हाथीदांत केवल थिरकेमे बाट बनवाया था। महाराजके महलमें और भी कित- | डाल कर रखनसे पहले-जैसा कड़ाहो निकलता है। हो हाथीदांतको चीजे रखी हैं। गाड़ी घरक हाथी आजकल लगभग मब जगहाथीदांतको कदर कम हो इससे बनी है। गया है। " त्रिवान के महाराजको हाथीदांतको चीजें बहत घोटकबिशेष, एक प्रकारका घोडा जिमके मखके प्यारो थीं। इस अञ्चलमें जङ्गली हाथी बहुत हैं ओर | बाहर हाथोके दन्तको तरह दांत निकले रहते हैं । ६ साथीदांत भी मिला करता है। विवाङ्क डमें आज भो | कुचाल पर्वतोंके उपरके पवत । गादन्तके नाना प्रकार द्रव्य प्रस्तुत होते हैं। ब्रह्मवामी गजदन्तफला (स स्त्रो.) गजदन्त-इव फलमस्या: बहुवो. बीहाथीदांतको चीज बनानर्म' बड़े होशियार हैं। ततः टाप। फलशाकविशेष, चिचिङ्गा, चिचड़ा। पर हाथीदांतका ठोस भाग अलग उतार लेतं और गमदन्तमय ( स० त्रि०) गजदन्त-मयट विकारार्थे । सके ऊपरो ओर बेन्न बूटे बना देते हैं। फिर इन्हीं बेन्न । गजदन्त निमित, जो थोदांतोंकी बनी हुई हो। टाक बीवमे भीतरका हाथी दांत खुरच खुरच निका. गजदान ( म० क्व० ) गजस्य दानं मदः ६-तत्: । १ हाथी. सतहैं। बाहरी बेल बूटोको मजावट धीर धोरे जालो का मद । प्राचीन आर्य प्रागितत्वविदका मत है कि ' बन जाता है। इन्हीं छेदोंसे भीतरको औजार माथीका सूड, कपोल, नाभि और नेत्रसे मद निक- पति हैं . खुरचते खुरचते जब श्रीजार हाथोदांतके लता है। "मसंन्च परिभो गेन गनदानसुगन्धिना । त्रिम पहुंचते, उसे काट करके बुद्धदेवक' एक मूति कावेरी सरिता पत्य : शरमायामिवारगेन ( रघु• ४४५) निकालते हैं। बाहरसे हा पूगे मूर्ति बन जातो है । २ाथोका उत्सर्ग, हाथीका दाम प्राचीदांतको पत्ते जमा फाड़के उस पर नाना रूप गजट्टम (स.. पु० ) नन्दोवृत्त, बालिया पीपलो। प्रशित किये जा सकते हैं। दिल्ली ही इस कामको | गजनव। (फा० वि० ) गजना नगरका रहनेवाला, जो सी जगह है। मुसलमान बादशाही और नूरजहांन् गजनी देशर्म रहता को। प्रति बेगर्माका मूरतें हाथीदांत पर उतार करके गजनवीपुर--बङ्गप्रदेशक महमुदावाद सरकारक अन्तर्गत चते हैं। कुछ मुसलमान चित्रकार इसी काममे एक महल। गजनाल (जि. स्त्री० ) एक प्रकारको तोप जा प्राधान युरोपमें जब हाथीदांत जाने लगा, वहां के लोग भी समयमें थोसे खोया जाती थी। से बहुतमा कारकार्य बनाने लगे। यूनान द शमें गजनासा ( स० स्त्री०) गजस्यनासा ६-तत्परुष । मदन्तनिर्मित प्राचीन मनुष्य मूर्ति और पुस्तक पाज | हाथोकी सूड। मा वर्तमान है। फ्रांस देश य पेरिस नगरके पुस्तका- | गजनी-अफगानस्तानका एक नगर । यह प्रक्षा० ३३' में ऐसी ही एक पुस्तक रखी है। वह १३३० वर्ष ३४ उ. और देशा० ६८१८ पू०मे काबुलसे ४२॥ पारी निमित और लिखित हुआ था। इसके पत्र १५ कोस दूर गजनो नदीको बाई ओर समुद्रपृष्ठसे ५१५. लम्बे और ६ इञ्च चाड़े हैं। पुस्तक देखनेसे मालूम साथ चे अवस्थित है। जाती है कि उस समयके लोग हाथोदातको फलाना, शार चौकोर है । इसके बीच एक सुदृढ़ दुर्ग बना ' बर करना, बढ़ाना या घटाना जानते थे, अब वह है। डेढ़ कोस तक चारदीवारी लगो है। य महोके गरी नहीं रही । थिोफिलास नामक किसी कोई २॥ रजार घर हैं। अधिवासियोंमें अफगान मारे संत विहान्ने लिखा है कि हाथीदांत खार, नमक, और कुछ हिन्दू दूकानदार भी हैं। गजनीम कार्तिक- माक जाय और शिरकमें भिगो कर रखमेसे मोम-/ माससे फालान तक बर्फ गिरता है।