पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३१

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'गननौ-गपादप १२ यह नगर बहुत पुराना है। किसी समय यहां बहती है। यह ईटसे बनाये गये हैं। इनकी कारोंगरी लोग रहते और मजेम' अपना गुजर करते थे। गज- बहुत अच्छी है। दोनॉम एक मीनार कोई ८४ हाथ नोको पश्चिम ओर तरनाक उपत्यकासे मोम्तान नगरी | ऊचा होगा। और गावांका जो ध्वमावशेष मिलता, इसकी प्राचीन | गजपति ( मं० प० ) गजस्य पति: ६ तत् । १ श्रेष्ठ गज ममृदिशान्निताका निदर्शन ठहरता है। बढ़िया हाथो। २ अत्य च हस्ती, बहुत बड़ा हाथी। जैसलमेरका इतिहाम पढनेसे ममझ पडता कि ! "गजपति व्यसो रपि मम: (भाव) ३ उत्कल और कलिङ्ग देशके विक्रमादित्यके आविर्भावसे बह त पहले यादव लोग गज राजाओंकी उपाधि । अन्ध और बङ्गी देशके बोड राज- नोसे ममरकन्द तक मार भूभागमै राजत्व करते थ।। गण ममय ममय पर इस उपाधिको धारणा करते रहे। कर्नल टाड माह बन विलायतको रायल एशियाटिक वर्तमान समयमें केवल उत्तर मरकारके एक राजा सोसाइटोको हिन्दीका एक मानचित्र ( नकशा । दिया | "गजा गजपति राव" की उपाधि विद्यमान हैं। ४ वह था । उममें 'गजलि-वन' अर्थात हाथियोंकि जङ्गल राजा जिसके पाम बहुतमे हाथी हां। गजपतिनगर, मन्द्राज प्रदेशक विशाखपत्तम जिलाके नामसे निर्दष्ट है। बह तांक मतमे दिन्दू राजाअांने ही अन्तर्गत एक तहमोन। यह अक्षा० १८११ तथा यह नगर बसाया था फिर कोई कोई कहता कि गज नौम : मस्कृत शास्त्रोक्त यवनराज रहता था। टलेमिने १८३० उ० और देशा० ८३. ३ एवं८३.३२ पू०के 'प्रोजोना' (Ozoln ) और क्रिमोकोकसन मबल या जबल मध्य अवस्थित है। इसका क्षेत्रफल ३३३ वर्ग मील है। इसमें २२८ ग्राम लमते हैं। लोकसंख्या प्रायः १३४५५३ (Sulhal or Zabal ) नामसे इसका उल्लेख किया है। है। तहसीलकी ममम्त पार्वतीय चोज यहा लाकर ____८७६ ई०को अन्नपतगीनने बोखारेसे आ करके यहां राजधानो लगायो थो। उन्होंके उत्तराधिकारो सुब. बेची जाती है। इस तहसीलमें फोजदारी अदालत, रजिष्टरी ग्राफिम, डाकघर और औषधालय है। कगीन रहे। इन्हींक पिता सुलतान महमूदने हिन्दु- गजपति वीरनारायणदेव-एक संस्कृत ग्रन्यकार । यह स्थान जीता था। महमूदक शामनकालको गजनीका पद्मनाभक पुत्र तथा कविरत्न पुरुषोत्तममिथके शिष्य गज्य पूर्व को गङ्गा, पश्चिम ताइग्रोम नदी, उत्तर ओक्सस थे । इन्होंने अलङ्कारचन्द्रिका और सङ्गीतनारायण और दक्षिणको भारतमहासागरक उपकूल तक फैला ग्रन्थको रचना को थो। था। १९५१ ई०को अलाउद्दीन गोरोने गजनी नगर गजपन्या जैनियोंका मिडक्षेत्र। यह नासिक शहरसे आक्रमण किया। उस समय हजारों बाशिन्द उनके 'करीब चार माइल दूरी पर अवस्थित है। यहां आधा निष्ठ र अत्याचारसे मारे गये। फिर अरबोंका गजनीमें माइल अंचा एक पर्वत है। जिस पर कि दो गुफा, राज्यशामन हुआ। ई० १३वीं और १५वीं शताब्दीको दो कुण्ड और पहाड़क पत्थरोंसे बना हुई तोर्थ करोंकी तातार लोगोंके दारुण दोरात्मामे गजनी शहर धूलमें | अनेक मूर्तियां विराजमान हैं। पर्वत पर चढ़ने के लिये मिल गया था। सीढ़ी भी बनी हुई हैं। इस पर्व तसे वलभद्र भादि १८३८ ई० २२ जुलाई और १८४१ ई०को भी अंग- आठ करोड़ मुनोश्वर मोक्ष गये हैं। (तार्थ यावा १५ ) रेजोंके अधीन भारत सेनाने गजनी नगर आक्रमण किया। | गजपॉव ( हिं० पु०) जलपक्षोविशेष। इसके पैर लाल, फिर १८८०,०को बृटिश सेना इस पर परिचालित हुई। सिर, गरदन, पीठ और डैने काले तथा शेष अंग सफेद अफगानस्तान और भारत पाने जानेके लिये यता होते हैं। जाड़े के दिनों में यह हिन्दुस्तानके ठण्टे भैदान- चार बड़ी राहें हैं । नगरकी चारों ओर जमीन खव | म चला जाता है। मादा एक बार तीन या चार उपजाऊ है। वहां अङ्गार, तम्बाकू, कपास आदि खब अंडे देती है। होती है। . . . ...........। | गंजपादप (सं० पु०) गजप्रियः पादपः । स्थालीहक्ष, वेलिया शहर की दोनों तर्फ सुलतान महमूदके दी मीनार पीपल। ..... Vol... VI. 33.