पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३२

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गनपा-गनमण्डलो मजपास ( सं० पु० ) महावत, हाथीवान, वह जो हाथी- | गजपुर ( सं० को०) गा स्य हस्तिनाम नृपस्य पुरं ६-तत् ! को चलाता हो। युधिष्ठिरको राजधानी हस्तिनापुर । गजपिप्पली ( सं० स्त्री० ) गजपूर्वा, गजप्रिया वा पिप्पली । "स निथ्यो मनपुराणन: परिवारितः। ( भारत पमु.....) पिप्पलीविशेष, एक तरहको पीपर। इसका पर्याय-करि- गजपुष्पो ( सं० स्त्री.) गस्तमद व गन्धयुत पुष्पमस्याः पिप्पली, इभकणा, कपिवली, कपिल्लिका, ये यसो, वसिर, | वह वो० ततो डोप । नागपुष्पलता, नागदौन। गजाहा, कोलवल्लो, भोषणा, चष्यजा, छिद्रविदं ही, "ततो गिरितटे नातामार सुदुरासदाम्। लषो गजपुषो ता तम्य कर समायान् ॥” (राम!• ४॥१३४५) दीर्घ ग्रन्थो, सजसी, वर्तल और स्थल बैदेही है। गजप्रिया (मं० स्त्री०) गजस्य प्रिया, ६-तत् । शल्लको वृक्ष, यह मंझोले पाकारका एक पौधा है। इसकी सलईका पेड़। पत्तियां चौड़ी होती है। किनारे पर लहरिया नोकोला गजब ( अ° पु० ) क्रोध, कोप, विलक्षण, अपूर्व, अन्याय । कटाव होता है। इसमें दो या तीन पत्तोंके बाद एक गजवदन (सं० पु० ) गणेश । पतला सीका निकलता है। इसके सिरे पर प्रायः एक | गजबन्ध ( म० पु० ) एक प्रकारका चित्रकाव्य। इसमें चकी मोटी मंजरी छोटे छोटे फूलके माथ निकलती किसी कविताके अक्षरोंकी हाथीका आकार बना कर है। यही मंजरी सुखाने पर प्रौषधक काममं बाजारमें उमके अङ्ग प्रत्यङ्गको परिपूर्ण कर देते हैं। विकती है। इसका गुण-कट, उष्ण, वातनाशक, स्तमकर्ण- | गजबन्धनी (सं० स्त्री०) गजा बध्यन्ते ऽत्र बन्ध-स्य ट डीप हधिकर तथा वेदना और मलनाशक है। भावप्रकाश- च । हाथी बांधनेका स्थान, हाथोशाला। इसका पर्याय के मतसे एमके फलका नाम गजपिप्पली है। इसका वारी, वारि और प्रारब्धि है। गुण-कट, वात, कफनाशक, अम्नितिकारी, पति- गजबधिनी ( मं० स्त्री० ) गजस्य बन्धोऽस्तात्र, गजबन्ध- सार, खास, किण्ठरोग और कृमिनाशक है। इनि-डीप । गजशाला, वह स्थान जहां हाथी रखा गजपीपर (हिं स्त्री० ) बनपिचलो देखो। जाता। गणपीपल (हिं. स्त्री० ) गजपिपलो देखो। गजबला (सं० स्त्री०) गोरक्षी, एक प्रकारको बड़ी झाड़ी। गजपुङ्गव ( सं० पु०) बड़ा और सुन्दर हाथी। गजबाग (हिं पु०) हाथीका अङ्गःश। गजपुट (#० पु. ) गजाजयः पुट: शाकपार्थिववत्समासः । गजबीथी ( सं० स्ती० ) रोहिणी, मृगशिरा और आर्द्राक गर्तविशेष, एक सरहका गहा। यह प्रोषध णक और ममूहका नाम जिमके मध्य होकर शुक्र गमन करे । लौहमारण प्रभृति कार्यके लिये उपयोगी है। कोई वैद्यक गजबेलि (हिं स्त्री० ) एक प्रकारका लोहा। एक हाथ गहरा, एक हाथ चौड़ा और एक हाथ लम्बा गजभक्षक (सं० पु०) गजो भक्षकोऽस्य वहुव्रो । पीपल न, गर्तको गजपुट कहते हैं। पोपम्नका पेड़। सप्रमाको गर्ता य: पुटः स तु मनाइयः । (एक) गजभक्षा (सं० स्त्री. ) भक्ष्यतेऽसा भक्ष-णिच कर्मणि अप् - भावप्रकाशके मसमे मवा हाथ लम्बा, मवा हाथ | सत: टाप् । प्रमको वृक्ष, सलईका पेड़ । (शब्दरतनावली) चौड़ा और सवा हाथ गहरा गर्त को गनपुट कहते हैं । गजभच्या (सं० स्त्री०) गजेन भक्ष्या, ३-सत् । शनको वृक्ष। ऐसा गत प्रस्तुत कर उसमें पांच मौ बिनुए कण्ई बिछा (भमर) कर मध्यम जिम अषिधको रखना होता है, उसे रख कर | गजमणि (सं० पु०-स्त्री.) गजमुना, गजमोती। उपरमे फिर ५०० कण्डे देकर गत के मुख पर चारो | गजमण्डन (सं० ली. ) गजस्व मण्डन, ६-तत् । इस्ति- तरफसे मिट्टो डाल देते हैं। सिर्फ थोड़ी जगह मध्यमें | भूषण, हाथीका अलङ्कार। खुली छोड़ दी जाती है और सब उसमें भाग लगा देते | गजमण्डली (सं. सी. ) मजामान महलो वेष्टनाकार- १, गजपुट इसी प्रणालीसे पाक होता है। सब प्रकार परिधि, ६-तत् । १ हाथोकी वेष्टनाकार परिधि । २ स्ति- के पुटॉसे गजपुट श्रेष्ठ है। (भावम• पूर्व सभाम) समूह।