पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३६

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गजेन्द्र-गझा है-पूर्वकालको द्रविड़ देशमें पाण्डवंशीय इन्द्रद्युम्न | ५८ पु० पर कलाहीमे ५१ मोल दक्षिण-पूर्व में अवस्थित मामक कोई प्रवल पराक्रान्त विष्णुभक्त राजा रहे । किमी है। ॐनमंख्या प्रायः ८८५३ है। दिन नग्पति एकाग्रचित्तसे हरिको आराधना करते थे, महावीर शिवाकीने इस स्थान पर गजेन्द्रगढ़ नामका में उमी समय अगम्ता मुनि वहां जा पहुंचे। राजाने उन- एक दुर्ग निर्मागा किया था, इसी कारण इम नगरका को लक्ष्य न किया. अपनी मानसिक पाराधनामें ही लगे माम गजेन्द्रगढ़ पड़ा। यहां विरुपाक्षदेवका प्राचीन रहे। इस पर मुनिको राग लगा। उन्होंने राजाको पुकार | मन्दिर है और नगरके बाहर दुर्गा, रामलिङ्ग, रामसीता करक कहा था---नराधन : तूने ब्राह्मणका अपमान किया और पाण्ड रङ्ग प्रभृति देवताओंकं मन्दिर अवस्थित है, इसके फलमें तुझे कुञ्जरयोनि प्राप्त होगी। मुनिका वाक्य मिथ्या न निकला । कुछ दिम पीछे ही गजाको ____गढ़के निकट ही पहाड़की ओर एक शिवतीर्थ विद्य- हाथोका शरीर धारणा करना पड़ा। मृत्यु कालको भी मान है जहां अनेक यात्री पाकर ठहरते हैं। पहाड़के उनको हरिभक्तिका ह्रास न होनसे पूर्व जन्मकी मकन्न ऊपर बहुतसे तीर्थ और शिवालय हैं जिनमेंसे वीरभद्रका कथा उन्हें स्मरण रही। नरपति इन्द्रद्यम हाथी हो मन्दिर और पातालगङ्गा तोर्थ प्रधान हैं । पातालगङ्गाके करके वन वन घूमने लगे ! दैवात् किमो दिन वा चित्र- पार्श्व हीमें नन्दी मूर्ति है बहुतमी वन्धा-स्त्रियां संतान- कूट पर्वतमें जा करके पहुंचे थे। इस पर्व तमें वरुणो के लिये नन्दीकी पूजा करने आती हैं। धान नामक एक ममोहर उपवन है। राजाके उमी गजेन्द्रगुरु ( सं० पु० ) मङ्गीतमें रुद्रतालका एक भेद । उपवनमें जा करके स्रान करनेको मरोवर अवगाहन गजेन्द्रनाथ ( मं० पु. ) हाथियों में श्रेष्ठ । करने पर एक कुम्भीरने उनको आक्रमण किया था। गजेन्द्रमोक्ष (सं० ली.) १ वामनपुराण के किमो भाग- उमके सहचर अपर मातङ्ग उनको माहाय्य पहचाने लगे को पाख्या । २ महाभारतके किमी भागका नाम : और वह भो कुम्भीरसे खूब लड़े, किन्तु किमी क्रमसे उस गजेन्द्रविक्रम (सं० पु०) गजेन्द्र इव विक्रमो यसा, बहुव्रो० । महाबल कुम्भारको पराजित कर न सके। इन्द्रद्युमने हाथोके सदृश पराक्रमी, वह जो हाथी सरोखे वलवान हो । अन्य उपाय न देख करके विणका स्तव किया था। उनके गजेर-भरोच जिलाका एक शहर । यह जंबुसरसे लगभग सवसे सन्तुष्ट हो विष्णुने जा करके उनकी रक्षा की।। ६ मोल उत्तर-पूर्व में अवस्थित है । इसमें १३४८ घर और राजा उसी दिन शापसे भी मुक्त हो गये। विष्णुमे राआके | प्रायः ४०३७ मनुष्य बास करते है। प्रति सन्तुष्ट हो करके और एक वर दिया था-तुमने | गजेष्टा (मं० स्त्री०) गजानामिष्टा, ६ तत् । भूमिकुष्माण्ड, जिस स्सवसे हमें सन्तुष्ट किया है, उसको पढ़नेवाला | बिलाइकन्द। कोई भी व्यक्ति ऐहिक कीर्ति पविगा, उसका दुःस्वप्रदोष | गज्जल (हि पु०) मीर दूर हो जायेगा, दुःख उसके पास न पहुंच पावेगा और | गजोदर (सं० पु०) गजमा उदरमिवमुदरमसा, वह व्रो । घरमको यह स्वर्गमें जा करके चानन्द उड़ावेगा। प्रात: | दैत्यविशेष, एक असुरका नाम । काल उठ करके जो इस गजक्कत विष्णुस्तवको पाठ | गजीपकुल्या ( स० स्त्री० ) गजप्रिया उपकुल्या पिप्पली. शे करता, उसकी बुद्धि कभी कलषित नहीं होती। भागवत | मध्यपदलो० । गजपिप्पली, गजपीपर, बड़ी पोपर। राध कम स्कन्ध ४र्थ अध्यायने उक्त स्तव लिखित हुआ (मेषतरत्नावली) परन्तु गजोषणा ( स. स्त्री० ) गजापपदा अषण । गजपिप्पली, दी। गजेन्द्रकण ( म० पु० ) गजेन्द्र इव कर्णा यमा । शिव, गजपीपर । ( रात्रनि.) महादव गज्मा (हि.पु.) १ बुलबुलोका समूह। जो पानी, दूधो रो मजन्द्रमड़---बम्बईके धारवार जिलामें रोम सानुकका एक या किसी तरल पदार्थ में उत्पन हो । गाल । २ खवाना: यह महर। यह अक्षा. १५.४४ 8. चौर देशा०, ७५ कोय। संपत्ति, दौलत, धन ! ने उस