पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३७

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गन-गन्नाम गान (स० पु०) गजि-घञ् । १ अवज्ञा, अपमान, अनादर। भी कहते हैं। यहांके अधिवासी जमली हैं और कामन- २ भाण्डागार, कोश, खजाना . ३ खान । ४ गोष्ठह, के मुताबिक न चलनेसे उनका शासन एक विशेष गोशाला, वह स्थान जहां मवेशी रहते हैं। कलेकर हारा किया जाता, जो गवनरका एजण्ट कर- गनजगदल-बङ्गालमें वार्डकाबाद सरकारकै अधीन लाता है। उनके मुकदमौकी अपील हाईकोट और एक महल । (पारम-ई-भकरो) सकौन्मिल गवर्नरको को जाती है। गचभैरव-बम्बई प्रदेशक अमदनगर जिलाके अन्तर्गत गञ्जाम अमली झीलें नहीं है। परन्तु समुद्र किनारे एक प्राचीन ग्राम । यह 'गनिभेरी' नामसे मशहर है। और कभी कभी भ तरी भागमे भी जो बड़े बड़े तालाब यहां हेमाड़पन्थियौंका एक महत् शिवमन्दिर और डम. मोठे और वारी पानोसे भर जाते, सागरम् कहलाते के निकट बहतसे प्राचीन व मावशेष पड़े हैं। हैं। इनमें सबसे ब । चिलका झील उत्तर मोमा पर गच्चन (सं० त्रि.) गजि-गिच-ल्य । १ तिरस्कार, निन्दा। अवस्थित है। "नवे वचनगंज मे सर मग प्रत्यार्थ पाविश्यम् ।" ( माहित्यद ) इस जिलेको ऋषिकुल्या, वंशधाग और लाज ल्या (लो) २ गञ्ज भावे ल्य ट । तिरस्कार, अनादर, तोनों प्रधान नदियोम मिचाईका काम लिया जाता है। निम्दा । यह पूर्व की खाड़ी में जा कर गिरती हैं। महानदी और गञ्जवर (सं० पु० । कोषाध्यक्ष, खजानची। गोटावगे ऋषिकुल्याको महायक नदियां हैं . लाग ल्या गजा (मं० स्त्री०) गञ्ज-टाप । १ हाट लगनेका स्थान, वह पर चिकाकोलके पास एक बढ़िया पुल बधा है। स्थान जहां बाजार लगता हो ।२ मद्यमाण्ड, शराब रखने- गजाम मन्द्राज प्रदेशका एक आर्द्र प्रदेश है। यहां का बरतम । ३ मदिराग्रह, शराबको दुकान । ४ विजया, भाल और लगडभग साधारणत: देख पड़ते और गाँजा । ५ वह स्थान जहाँ चावल, धान रखा जाता हो, भेड़िये, तेंदुए और चौत भी मिलते हैं। पहाड़ियोंक ठेक। उतारमें कई प्रकार हरिण और नीलगायें पायी जाती गजाम - मन्द्राज प्रदेशका उत्तर जिला। यह बङ्गाल- है। जङ्गालो भैसे और जङ्गली सूअर बहुत कम है। को खाडी किनारे पक्षा० १८१२ तथा २०२६. जहली पिका' सामना जङ्गली कुत्त शिकारमें आफत डाल देते हैं। गञ्जाम- और देशा• ८३३० एव ८५ १२ पू०के बोच पड़ता का जलवायु ज्वरप्रद है। यहां जाड़ा बहुत कम पड़ता है। रमका क्षेत्रफल ८३७२ वर्ग मील है । गजाम बरमता है गन्दका अर्थ 'सबका भण्डार' है। देखने में यह सिकोमा ऐतिहासिक दृष्टिमे गाम प्राचीन कलिङ्गका एक लगता है। इसके उत्तर उड़ोसा और देशी राज्य, पूर्व भाग रहा। परन्तु कभी कभी वेगी राज्य इसका दक्षिण समुद्र और पश्चिमको विजगापटम जिला है। गञ्जामका प्रान्त दबा लेता था । ई०से २६० वर्ष पूर्व मौर्य सम्राट अधिकांश पहाडी और पथरीला है। न्तु बीच बीचमें अशोकने दमको विजय किया था। फिर मम्भवतः यह उपत्यकाए और उपजाज मैदान आ गये हैं। यह वेगीवाले आन्ध नृपतियों के हाथ लगा। यह दोनों राज मन्दाजका सबसे सुहावना जिला है। जङ्गली पहाड़ों वश बौद्ध रह । जीगडमें अशोक अपना एक राजशासन- और धने पेड़ों की शोभा देखते ही बनती है। पत्र छोड़ गये हैं। ई० तीसरो शताब्दीको आन्ध, इस पूर्व घाट पहाड़ गजाममें उत्तरसे दक्षिण तक चला प्रान्तमे दरोभूत हुए और कलिङ्गके गानराज उनके स्थान गया है। शृङ्गराज और महेन्द्रगिरिको चोटियां पर आ बैठे। ई० १०वीं शताब्दीके अन्त और ११वीं समुद्रपृष्ठसे प्रायः ५००० फुट ऊंची हैं। परलाकिमेदि शताब्दोक प्रारम्भको चोलीने वेंगी और कसिङ्गके साथ के पीछे दक्षिणको देवगिरि ४५३५ फुट तक उठा है। गञ्जाम्का भो कुछ भाग जीता था। महाराज राजेन्द्र यह पहाड़ गाम जिलेको पहाड़ो और मैदानी दो भागर्मि चोल महेन्द्रगिरि पर अपने विजयके लेखप्रमाण छोड़ बांट देते है। पहाडी भागको गन्नामको एजेम्सो गये है। फिर गाङ्ग राजाओंने ४ शताब्दियों तक यहां