पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गड़गड़ाहट-गड़लवण तक कलचुरियों, १०४७ से १३१० तक होयसल बलाल, गड़बड़ा (हिं• पु०) गत, खत्ता, गड्डा । और १३३६से १५६५ ई० तक विजय नगरके राआनीका गड़बड़ी ( हिंस्त्री०) अव्यवस्था, गोलमाल । गडगमे अधिकार रहा । १६७३ ई०को नसरताबाद गडमान्दारण--वईमान जिलाके जाहानाबाद महकुमाके या धारवाइ जिलेको बझापुर सरकारका प्रधान जिला पन्तगत एक प्राचीन ग्राम । इसका दूमरा नाम विठुरगढ़ था। १८१८ ई०को जनरल मुनगेने गर गको घेर लिया। है। मुमलमानोंके समयमें यहां मृत्तिकानिमित्त एक इसमें अदालत, अस्पताल और विद्यालय वर्तमान हैं। बड़ा गड़ था। यहां इसमाईल गाजी घणि लस्कर नामक गड़गड़ाहट (हिं. स्त्री० ) १ गगड़ानेका शब्द । मुमलमान साधुको कब्र है। स्थानीय मुसलमान पधिवासे २ हुक्का पीनेका शब्द, वह आवाज जो हुक्का पीनसे निक- : माधुको अत्यन्त भक्ति यहाके साथ देखते हैं। खती हो। गडमुक्त खर उत्तर पश्चिमाञ्चलके मेरठ जिलाका एक गडगडी (हिं स्त्रो. ) नगाड़ा, डग्गी। प्राचीन नगर · यह पक्षा. २८' ४७ उ. और देशा' ७८ गड़गूदड़ (हि. पु० ) चिथड़ा लत्ता, फटे पुराने कपड़ेका पू॰में गङ्गाके दक्षिण किमारे बूढीगङ्गा-सङ्गमसे दो टुकड़ा। कोस नोचेमें अवस्थित है। लोकसंख्या प्राय: ७६१६ है। गड़गा--आसामम शिवमागर जिलार्क अन्तर्गत एक बहुतोका कहना है कि यह नगर एक समय प्राचोम प्राचीन नगर और गड़। यह शिवमागर नगरके दक्षिण- हस्तिनापुरका एक महला कह कर प्रसिद्ध था। यहां पर्व और दोखु नदीक तीर पर अवस्थित है। एक ममय मुक्त खर महादेवका मन्दिर है। इन्हीं के नाम पर नगरका यह महोम् राजाओंको राजधानी थी। इसका वसाव. नाम रखा गया है । इसके अतिरिक्त और कई एक पुरातन शेष अबतक भी विद्यमान है। राजा एक कोम सथा ८० सतीस्तम्भक प्रतिवर्ष कात्तिक मानमें विस्त स ईटीकी दीवारोंसे घिग था। प्राजकन उसका एक भारी मेला लगता है। जिसमें एक लाखसे अधिक कुछ चिह दिखाई पड़ता है मनुष्य जुटते है। गडचाँद-बङ्गदेशक अन्तगत बिहुत जिल्लाका एक परगना गायन्त ( सं० मु०) गड-मिच-भाष । मेघ, बादल । इस परगना होकर छोटी गण्डक, बाघमती और लखन- गडरातवा (हिं. पु. ) लोहविशेष, एक तरहका लोहा दायो मदो प्रवाहित हैं। यहां बहुतसी पक्की सड़क है। जो प्राचीन काल मध्य भारतवर्षमे निकलता था। इस परगनाकी अदालत मुजफरपुर है। इसके अन्तर्गत गड़रिया-युक्त प्रदेशको एक जाति । यह भेड़ बकरी पाली सरोफ उद्दीनपुर, धमौर, अकबरपुर और का एक ग्राम और चराते सथा जनके कम्बल पादि बनाते हैं। गड़रिया प्रमिह है। अकबरपुर ग्राममें चामुण्डा देवीका मन्दिर है अपना परिचय सस्त्रियवर्ण जैसा देते हैं। वे कहते है कि गड- जहां प्रतिवर्ष आश्विन माममें एक बड़ा भारी मैला वामो राजवंशियोंका नाम बिगड़ करके गड़रिया हो गया लगता है। है। दूसरोका मत है कि गदाधारी हनुमानके उपासकों गढ़दार (हि. पु. ) मतवाले हाचोके साथ भाला लेकर अथवा भेड. ( गद.) पालनेवालोंको गड़रिया कहा जाता चलनेवाला नौकर, वर नौकर जो बदमाश हाथोके साथ है। इनके बहुतसे भेद मिले हैं। ... गटगट लेकर चलता हो। गड़म 4( म० को०) गड़देशम् लवणं । शाम्बरदेशोत्पब निग पु० ) पतिविशेष, एक बड़ी चिड़िया। सम्र लवण, म भर नमक । इसका पर्याय-एन, पृथ्वीज, गड़प (फा० सी०) पानी या कोचड़म किसी वस्तुके मिरने- गडदेशज, गोइत्य, महारम्भ, साम्पर और सम्बरोद्भव है। का शब्द। इसका गुण- उष्ण, लवण, मलनाशक, दीपन, कफ बात, गड़प्पा (हिं. पु. ) धोखा खानेका स्थान। और अपनाशक तथा कोहपरिकारक है। भाक्मकायके गड़बड़ (हिं सो०)१ असमतल, मचा मोचा।२ अ मतसे इसका गुण-लघु, वातनाशक, पतिपय ठा, भेद- मित, वर जो ठीक समय पर न किया जाता हो। कारक पित्तवर्षक, सोख और कटपाक है।