पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१५४

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गमहास--गणिपिटक एक गणक, पाश्रय कर रहते हो, मरुत् प्रभृति मात | अनुरक्त हो जाती हो, उन्हें पुथली कहते हैं। एवं जो देवता। अपनको सजधज कर युवकों को वशीभूत करतीं और गणहास ( सं० पु.) १ चोर नामक गन्धद्रश्य । (त्रि.) वेश्या वेशमें रहती हैं और यथार्थमें जिनके हृदयमें संभोग २ जो बहुत मनुष्यों को हंमा सके। की इच्छा कभी भी नहीं रहतो तथा धन देनेपर जो सभोके गणहासक, गरजास देखा। प्रति अनुराग करती हैं, उन वेश्याओं को गणिका कहते गणाकान्त ( मंत्रि०) गणेन आक्रान्तः । १ किसी पक्षमें स्थत । २ जिस पर बहुत मनुष्यों ने आक्रमण किया हो। मनुके मतानुसार इनका अन्न खानसे किसी तरहको गणाग्रणी (सं० पु०) गणानां अग्रणीः, ६ सत् । १ गणोश। सहति नहीं मिलती है। वेश्या मन्द देखा। २ यथिका। २ जो वहुतोंसे सम्मानित हो , जो बहुतोंमें श्रेष्ठ गिना | गणिकारिका ( म० स्त्री० ) गणि' गणन करोति। " जाता हो। मदीकै ममीप उत्पन्न वृक्षविशेष, एक गनियारका गणाचल ( मं० पु० ) गणभूयिष्ठोऽचन्तः । कैलाम पर्वत । इसका पर्याय-श्रीपण', अग्निमन्थ, गणिका, जरा, तेजओ- इस पर्वत पर गणदेवता रहते हैं, इसलिये इसका नाम मन्य, ज्योतिष्क, पावक, अरणि, वतिमन्थ, मथन, गिरि- गणाचल पड़ा है। कणि का, अग्निमथन, तर्कारो, वैजयन्तिका, अरणीकेतु, गणाचार्य (मं० पु०) लोकगुरु, शिक्षक । श्रीपर्णी, कर्णिका, नादेयो, विजया, अनन्ता और नदीजा गणाधिप ( मं० पु० ) गणानामधिपः, ६-तत्। १ गणेश। है। इमका गुण-कर, उषण, तिक्त, कफ, वायु, शोथ, २ शिव । ३ गणों के मालिक । पग्निमान्दा, अर्थ, मलवन्ध और श्रमनाशक है। ४ गणाधिप, जैनमतानुसार साधुओंक संघमें जो सबसे गणिकारी (म० स्त्रो. ) पुष्पवृक्षविशेष, गनियारका श्रेष्ठ अथवा वृद्ध और बहुज्ञानी हो। म निॉर्क अधि- | पेड़ । वसन्त कालमें इसके फूल खिन्न कर चारो ओर पति। जैसे, श्रीजिनसेनाचार्य ... म नियोंके संघके सुगन्धित कर देते हैं। गणाधिप थे। ( राजवाति) गणित (म.ली.)१गणन, गण- गणाध्यम (सं० पु० ) १ गणेश । २ शिव । की गति, स्थितिकी गणनामा गणाव (सं० ली.) गणानामत्र, ६-तत् । वह स्वाति क| भागों में विभक्त है।वा ३ अङ्ग अब, वह अब जिस पर बहुतो का अधिकार हो। .. | अवाक्तगणित या वीजक्तगणित या गणाभ्यन्तर ( सं० पु. ) गण: गणार्थोत्सष्टमठधनादिः तेन | ४ जिसकी गणन गणित (वि० अभ्यन्तर उपजीवी, ३-तत्। वह मनुष्य जो मठादिमें गण | गणितेन गणनया' दापयुक्ती अजा उद्देश्यसे दिये हुए धनादिसे प्रतिपालित होता हो, या गणितज्ञ (सं० पु०) गाजा...पहार वह मनुष्य जिसकी रक्षा मन्दिरके धनसे होती हो । गणिताध्याय (सं० पु०) भास्कराचार्य सिद्धान्त भाष्यकार मेधातिथिने ‘गणाभ्यन्तर' शब्दका अर्थ दुसरे शिरोमणिका एक विस्तृत अध्याय । इसमें ग्रहाको मध्य प्रकारसे किया है । उनके मतसे जो मिलकर एक कार्य गति और स्फ टादि विषय अच्छी तरह लिखे गये है। का अनुष्ठान करके जीविका निर्वाह करते, वे ही गण लोलावतो और वीजगणित जान लेने पर इसका मम कहलाते हैं । इस गणके अन्तर्गत चातुर्विद्य ब्राह्मणों को ग्रहण करना सहज है। गणाभ्यन्तर करते हैं। | गणितिन् ( म० त्रि.) हिसाबी, जो हिसाब किताब करता गणि (सं० स्त्रो.) गण-इन् । गणन, गणना, गिनतो। मणिका ( सं० स्त्री०) गणो लम्पटे गण उपपतित्वे नास्ति गणिपिटक (सं० लो० ) जैनो के हादश अङ्ग । १ भाचार पस्याः गण-ठन-टाप् । १ वेश्या, रंडी। मेधातिथिके मत- पत्र, २ सूत्रकत, ३ स्थाना, ४ समवाय, ५ वयाख्या सेको कामिनी सिर्फ संभोगको पच्चासे बहुत मनुष्यों में प्रचप्लि, ६ भास्ट, ७ उपासकधायन, ८ अन्तशशाङ्ग स्थितिको गणना पना, गिनती। २ गों | ३ अशाख । गणित दो या वीजक्तगणित या पाटोगणित और गणित (त्रि०) गण कम णि त। तन गणनया' दधियुक्त अजो गिना गया हो । तिज ( सं० पु०) गाका उपहार । ५ खेतीका फल । नेवाला, जयोतिषो।