पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७१

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गदगद-गदहलोटन २६ एवं' ७५५७° पू०के बीच पड़ता है। इसका क्षेत्र का सप्तभाग लेकर मिलाना चाहिये। दो रसी फन्न ६८८. वर्ग मीन है। लोकसंख्या प्रायः १३७५७३ | दिन सेवन करनेसे मद्यज्वर नाश होता है। (रस निकलेगी। कप्पट पहाड बडा है। उसकी चिकनी मट्टो गदमुरारिइच्छाभेदी-औषधविशेष । पाग, गन्धक, बी. में मोना होता है। जलवायु मयत और स्वास्थ्यकर है। हरिताल, विष, शंठ, पोपल, मिर्च, हरीतकी दम्बल तालाब मींचके लिये ६४००० हजार रुपये लगा लकी, बहेड़ा, मोहाग', इनके समान भागमै उतनी करके बनाया गया है। जयपाल देकर भृङ्गराजके रममें दो प्रहर तक पोसना २ धारवाड जिलेके गदक ताल क का हेड काट र । चाहिये। इसके सेवन करनेमे मत्रिपातादि ममस्त रोग • यह अक्षा० १५.२५ उ. और देशा० ७५३८ पृ० में जाते रहते हैं। . दक्षिण मराठा रेलवे पर अवस्थित है। लोकसंख्या कोई गदयिन्तु ( म० पु० ) १ काम, इच्छा । २ शब्द, भावाज। ३०६५२ है। १८५८. ई०को यहाँ म्य निसपालिटी हुई । त्रि.) ३ कामुक इच्छुक ४ वावदूक, गप्पो। यहां कपाम और सूती तथा रेशमी कपड़ीका बड़ा काम ! गदगना (हिं० वि०) १ परिपक्क होने के निकट आना। है। सूत कातनका एक पुतलोघर भी खुला है। २ जवानोमें अंगोंका भरना। ३ खमें कीचड आदि गदगमें त्रिकूटेश्वर, मरस्वती, नारायण, समिश्वर और आना। रामेश्वर के प्राचीन सुन्दर मन्दिरोंका ध्व'मावशेष विद्य गदरिया--युक्तप्रदेशका मषपालक जातिविशेष । मान है। इसके शिलाफलक पढ़नेमे विदित होता कि कई एक थ णियोंमें बटे हैं । एक अंगोकं मन गदकका पुराना नाम क्रतुक था और वह (८७३-११७०) दृमरी श्रणीके माथ विवाहमें दान ग्रहण नहीं चान्नुयाँ, ( ११६१-८३ ) कलचुरियों, (१०४७१३१०) करते हैं। हम जातिकी विधवा स्त्रियां अपन देकासे होयमल बबाली, (११७०-१३१०) देवगिग्यिादवों और विवाह करती हैं। किन्तु ज्येष्ठ मृत कनिष्ट की विधवारी . (१३३६-१५६५ ई.) विजयगनगर राजाप्राक अधीन विवाह नहीं कर सकते । पाया और फरुखाबाद के अपर- में दम जातिका वाम अधिक है। रहा। १६७३ ई के ममय गदग धारवाडमें बांकापुर मरकारकं एक बड़े जिलकी तरह मिलाया गया। गदसिंह-एक संस्कृत ग्रन्थकार । इन्होंने पनकाथलि. १८१८ ई०को जनरल मुन्रोन इमको घेरा था। शहरमें मञ्जरी नामक एक संस्कृत अभिधान, तत्त्वचन्द्रिका छोटे जजको अदालत, अस्पताल और कई क ल हैं। | नामक किराताजनीयटीका और उभाविवेककी रचना गदगद ( मं की० ) गद्गद भाषण, पुलकित बचन । गदला (फा० वि०) मटमैला, गन्दा। गदचाम ( हि पु० ) हाथोका एक रोग। इसके होनसे पोठ पर घाव हो जाता है। गदहपचोमी । हिं० पु० ) प्रायः १६ मे २५ वर्ष तकनी गदनकरी-वोजापुर जिलेके अन्तर्गत कलादगीका एक | अवस्था । लोगोंका विश्वास है कि इतने दिन मनुष छोटा ग्राम । यह कलादगीसे ८ मील पूर्व वागलकोट अनुभवी रहत तथा उनकी बुद्धि परिपक्क रहती है। भड़क पर अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः चारसौ है । गदहपन ( हि' स्त्री०) मूर्खता, बेवफफो। ग्रामके पास भी पहाड़ पर बहुतसी मसाजद हैं। जो गदहपूरना (हि. स्त्री० ) एक प्रकारका पौधा जो दवावे काममें पाता है। मल्यप्पा ओर उनके लड़के मोनप्पाकी कब्र कही जाती गदहलोट (हिं. स्त्र.) कुश्वीका एक पंच । हैं। अनावृष्टिके समय मनुष्य इम मस्जिद में आ वर्षाक लिये पाराधन करते हैं। गदहलोटन (हिं० पु० ) १ कान्ति दूर करने के लिये तथा गदम (फा. पु०) नाव बांधनके लिये एक प्रकारको प्रमब्रताके लिये गदहका जमीन पर लोटना। २ गदहा लकड़ी, थाम, पुस्ता। लोटनका स्थान । साधारणत: मनुष्योंका विश्वास है कि गदमुरारि ( सं० पु.) ज्वर रोगका औषधविशेष । पारा, एमी जगह पर पांव रखनेसे मनुष्य थक जाते और पांवमें गन्धक, लौह, अन, ताम्र, हिल और सौसक, इन सव | दर्द होने लगता है। Vol. VI. 43 मगही