पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७३

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गदाधर-गदाधर भट्टाचार्य खोकार कर लिया। इस बरको पाकर वह दुईत गदाधरदास -एक हिन्दी कवि, ब्रजवासी प्रसिद्ध हिन्दी इतिर मतवाला हो गया और थोड़े दिनके बाद इन्द्र- कवि अण्णदासके शिष्य और वल्लभाचार्यके प्रशिष्य । को भगा कर पन्द्रपुरी अपने अधिकारमै कर लिया। क्रमा- गदाधर दीक्षित--एक प्राचीन वैदिक सूत्रभाष्यकार । मुमार समस्त देवताओंको पदच्युत कर भगाने लगा। इनके पिताका नाम वामन था । इनके बनाये हुए हेतिरक्षके इस असा अत्याचारको देख कर समस्त प्राश्वलायन-गृह्यसूत्रभाष्य और पारस्करगृह्यसूत्रभाष्य देवगण विष्णु के निकट उपस्थित हुए और उन्होंने हेतिक पाय जात भयङ्कर अत्याचारको कह सुनाया। विष्णु भगवानने उन गदाधरनदी-ब्रह्मपुत्रको एक शाखा नदी। यह भूटान- पर दया दिखा कर कहा “यदि तुम लोग मुझे एक महास्त्र की गिरिमालासे निकल कर जलपाईगोड़ा और ग्वाल- दो तो में हतिका नाश शीघ्र कर डाम्न ।" इस पर पाड़ा पशिम पार पूर्व हाग्मं विभक्त करती है। इसकी देवतानि समयानुकूल देख गदासुरको वचसी कठिन गति बड़ी हो परिवर्तनशोल्न है। इमी लिये स्थान अस्थिसे बनी हुई गदा विष्णु भगवानको अर्पण कर दी। स्थान पर इमका नाम बदलता गया है। किमीके मतमे विष्णुने गदाक दृढ़ आघातसे हतिरसका विनाश कर यह नदी उत्तरांशमे मङ्गोश, ग्वालपाड़ामें गङ्गाधर तथा डाला। वह गदा उन्हें बहुत अच्छी लगी इस लिये रमक निम्रभागम भी प्राचीन गभ गदाधर नामसे मश- उन्होंने इसे लौटा कर देवताओं को नहीं दिया वर हर है। रामनाई नामको डमको एक शाखा है। गदाधरनाथ एक प्राचीन कवि। अपने हाथमें हो धारण कर लिया, तबहीसे इनका नाम , गटाधरपण्डित चतन्य दंवर्क एक प्रधान अन्सरङ्ग । गदाधर पड़ा । (गयामाहामा ५.) २ गया तीर्थ स्थित दंव- चैतन्यभक्तगण उन्हें भी हाष्टिमे देखते हैं। मूति विशेष । (त्रि.) ३ जो गदा धारण करता हो । गदाधरभट्ट बान्दाप्रदेशके एक प्रमिद हिन्दी कवि । इनके कई एक मस्कृत ग्रन्थकारक नाम- प्रपितामह मोहनभह, पितामह पद्माकर और पिता मिही. १ क्रियाकल्पद्रुम-प्रणेता । २ ग्रहयोगायत लाल ये तीनों कवि थे। किन्त गदाधरन कविता लिख होमादिमिति नामक संस्कृत ग्रन्थके रचयिता । ३ एक कर अपने पिटगणमे उच्चामन लाभ किया था। ये राजा प्राचीन वैद्यक ग्रन्यकार। ४ एक धर्म शास्त्र-सग्रह- भवानीमिक यहां रहते थे। अन्लनरचन्द्रोदय इन्हीं- कार । इन्होंने गदाधरपडति, सम्प्रदायप्रदीप और का बनाया है। नवकगिड़कासूत्रभाष प्रणयन किये हैं। ५ वृहत्ता- गदाधर भट्टाचार्य-संस्कत अध्यापक और विण्यात या रतम्यस्त्रोत्रके रचयिता । ६ भगवसत्त्वदीपिका नाम यिक। ये वारेन्ट्रय णोकं ब्राह्मणवंशीय पण्डित थे। भक्तिशास्त्र के प्रणता । ७ रसिकजोवन नामक संस्कृत इनके पिताका नाम जीवाचार्य रहा। ये पावना जिला- अलकारके रचयिता । ८ विवाहसिहान्सरहस्य नामक के अन्तगत लक्ष्मीचापड़ा नामक ग्राममें रहते थे। विद्या ज्योतिन्य प्रणेता। ८ एक प्रसिद्ध तान्त्रिक । ये राघ- भ्याम करने के लिये नवदीप आकर नैयायिक हरिरामतर्क- वेन्द्र के पुत्र और धोरसिहके पोत्र थे । इन्होंने तन्त्रप्रदोप वागीशर्क विद्यालयमं न्यायशास्त्र अध्ययन किया था। नामक गारदातिलकको टोका की है। १० एक प्राचीन गदाधरक शिक्षा समाप्त न होने पाई थी कि हरिराम- कवि। की मृत्य हो गई। हरिंगमकै ऐसा कोई सयोग्य पुत्र गदावरचक्रवर्ती-काव्यप्रकाशके एक टोकाकार। न था जो पाठशालामें विद्यार्थियोंको पढ़ा सकता । गदाधरतर्काचार्य-रामतर्कालकारके पुत्र, देवीमाहात्मा मृत्य समय उन्होंने अपनी स्त्रोम गदाधरको हो पाठशा- टोकाके रचयिता । राढोय ब्राह्मणोंके निर्दोष कुलपञ्जिका लामें नियुक्त करने कहा था। गदाधर पढ़ानेमें प्रवृत्त नामक कुलग्रन्थमें ए ने यायिक गदाधर भट्टाचार्यका हो गये। किन्तु छात्रगण उनसे पढ़ने में अपनी अनिच्छा नाम पाया जाता है, वे भी रामतर्कालङ्कारके पुत्र होते हैं। प्रगट कर दूमरी दूसरी पाठशाम्खामि अध्ययन करनेके ऐसी हासतमें दोनों एक ही व्यक्ति हो तो असम्भव नहीं। लिये चले गये ।