पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७६

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गद्यार-गधका मतसे गद्य चार प्रकारका माना गया है-मुक्तक, वृत्त- उमारकोट तालुकका एक नगर । यहां प्रायः दो हजार गन्धि, उत्कलिकाप्राय पौर च र्णक । समामरहित | मनुथ रहते हैं। गद्य भागको मुक्तक कहते हैं । यथा---गुरुर्व चसि, पृथ- गधड़-बम्बई में काठियावाड़के अन्तर्गत भावनगर राज्यका परसि, अर्जुनो यशमि इत्यादि। वृत्तगधि वह है | शहर । यह भावनगर शहरसे ४२ मोलको दूरीपर अवस्थित जिसमें कहीं कहीं पद्यमा आभाम हो । यथा-- है। लोकसंख्या प्राय: ५३७५ है। हिन्दूधर्मप्रवर्तक "मगरकर.यननिविणभुणदलकुमलोमतकोदमरिचमोटवारोजागरित महजानन्द निर्मित स्वामीनारायगा सम्प्रदायका यह एक सारिनगरः" प्रधान केन्द्र है। यहां चन्दन लकड़ोको गुटिकाको दीर्घ समासयुक्त गद्यको उत्कलिका कहते हैं। माला यर्थष्ट रूपसे बनाई जाती है। जिम उक्त सम्प्रदाय- णक वह है जिसमें छोटे छोटे समाम हो। यथा के अनुयायी पहनते हैं। "गरमागर जगदेकनागर कामिनीमम जमरकन । गधालि-काठियावाड़के गोहलवार प्रान्तक अन्तर्गत एक छन्दोमञ्जरीक मससे गद्य तीन प्रकारका हता है... खुद्र राज्य। यह उजलवा ग्ल मुंशनसे ३॥ कोम पश्चिम- वृत्तक, उत्कलिकाप्राय और वृत्तगन्धि। कठोर अक्षर- में अवस्थित है। लोकसंख्या १५३७ हैं। इन राज्यको शून्य अल्पममासयुक्त गद्यको वृत्तक कहते हैं। यह आमदनी दश हजार रुपया हे और उनमेंसे २०००, रु. बदर्भी रोतिसे रचा जाता है। कहीराक्षर और बहत गायकवाड़ और जूनागसके नवाबका देना पड़ता है बमामयुतको उत्कलिकाप्राय तथा वृत्तकं एकटेशय ककी गधिदूभार - युस प्रदेशमं मुजफ़रनगर जिलाक अन्तगत उत्तगन्धि गद्य कहते हैं। एक ग्राम। यहां दो हजारसे अधिक मनुष्य रहत हैं। काव्यादर्शक मतमे पादलक्षणरहित पदममूहको गद्य जिनमें वलुचि मुमलमानको संख्या अधिक है। यहां कहते हैं गद्य काव्य प्रधानत: दो भागमि विभक्त है, कईएकटेके घर, तीम मजिद और प्रात्यहिक बाजार कथा और आख्यायिका। बाध्य देव । है। चोमो और नमकका व्यवसाय बना अधिक होता ३ मंगीतमें शुद्ध रागका एक भेट । है। इस ग्रामके चारी भोर सुन्दर पवन है गयाण (मं. पु.) परिमाणविशेष। भावप्रकाशक गधिया--दक्षिण काठियावाड़के अन्तर्गत एक क्षुद्र राज्य । मतमे २ जीका एक गुञ्जा, ८ गुण्डाका एक माष और दम राज्यके दो ग्राम दो मामन्तोंक अधीन हैं . लोक- माष या ४८ गुनाका एक गद्याण होता है। संख्या ५२८ है। वार्षिक प्रामदनी प्रायः ४५००, रु. गयाणक (सं० पु०) गद्याण एव स्वार्थ कन् । १ गद्याण। को है उनमेंमें २८५, रु० गायकवाड़ और जूनागढ़के २ लीलावती उक्त परिमाणविशेष। लोलावतीक मतम नवाबको देना पड़ता है। २ जौका एक गुना, ३ गुनाका एक बल्ल, ८ बनका गधीला ( टिप० ) एक जंगली जात । एक धारण भौर २ धारणका एक गद्याणक होता है। गधन्न-काठियावाड़के गोहेलवार प्रान्सके अन्तर्गत एक गद्यात्मक ( म त्रि. ) गद्य में रखा हुआ । रेलपथमे २॥ कोम दूरमें अवस्थित है। गद्रा--१ बम्बई प्रदेश काठियावाड़म गोहेलवार प्रान्सक लोकसंख्या ३६६ है। यह दो मामन्तराजाप्राक अधीन अन्तर्गत एक नगर। यहांको अनसंख्या प्रायः छःजार | | है। यहांको आमदनी तीन हजार रु. है औ उनसे है। यहां फौजदारी अदालत, बालक और बालिकाओं १८.६) रु० कर गायकवाड़ और जूनागढ़के नवाबको के विद्यालय और एक औषधालय है। यहाँ सहजानन्द | देना पड़ता है। प्रतिष्ठित स्वामी नारायण सम्प्रदायका एक प्रधान अखडा गधल ( स० पु० ) एक फलका माम। है। इसी स्थान पर १८३० ई०में सहजानन्दका देहान्त गधका- काठियावाड़के हलार प्रान्तक अन्तर्गत एक छोटा दुपाचा। राज्य । एक करद सामन्तके अधीन यहां छः ग्राम हैं। २ सिन्धु प्रदेशक थर और पार्कर जिला अन्तर्गत यह गजकोटसे पांच कोस पूर्वमें अवस्थित है। राज्यको