पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१७८

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गन्ता-गर सं० त्रि.) गमनकर्ता, जानेवाला। होगी। यहां मजिष्ट्रेटको अदालत, अस्पताल, एक हाई मन्तु (सं० त्रि०) गम कर्तरि तुन् । १ पथिक, टोही स्कूल और बहुतसे देशो विद्यालय हैं। अनाज, ६ मामनकर्ता, चलनेवाला । (पु० ) ३ गमन, जामेको गुड़, घी और मिट्टीतेलका व्यापार यहां अधिक होता m, यात्रा, प्रस्थान। है। यहां ताँतके उत्कृष्ट वस्त्र प्रस्तुत होते हैं। मक (सं० वि० ) गम शोलार्थ वृन् । १ गमनशील, गन्ध ( सं० पु० ) घ्राणेन्द्रियग्राह्य गुण, बास, महक, सुगन्ध सवाला । २ प्रातिशील, पानवाला। ३ गमन और सौरभ । प्राचीन आर्य दार्शनिकों का मत है कि पार्ता, जानेवास्ता । केवल पृथ्वी में ही गन्ध है और किसी पदार्थ में नहीं । जल मची (सं० स्त्री० ) १ वृषवहनीय शकट. बैलगाड़ी। प्रभृति तथा दूमर टूमरे पदार्थामें जो गन्ध मालूम पड़ता संगमनकारिणी ली। है वह यथार्थ में उनका गन्ध नहीं, वरन उनके साथ मिश्रित " मुमतौनाशमुचितानि च।" ( याज्ञवला.) पार्थिवांशका है। आधुनिक वैज्ञानिक जल्लमें गन्ध गीरथ (सं० पु.) गन्त्रीरथ व यहा गन्त्रोणां गच्छ बतलात हैं। क्योंकि ऊंट बहुत दूरसे जलका गन्ध मीणा स्त्रीणां गमनाय रथः, ६-तत्। शकट, गाड़ो। पाता है। लमें यही उनका प्रधान प्रमाण है। उन- मन्दिका ( मं० स्त्र') नगरीविशेष, एक नगरका नाम । का कहना है कि यदि जन्नमें गन्ध नहीं रहता तो ऊंट मन्दीकोट-मन्द्राज प्रेमिडेन्सिक कड़ापा जिलाका जम्माल- बहुत दूरस जलका अनुमरण करते हुए वहां तक पहच तालुकका एक प्राचीन दुर्ग। यह अक्षा १४ न सकता। आधुनिक मत ठीक प्रतीत नहीं होता है। ४७. उ. और देशा० ७८ १६ पू० पर समुद्रतलसे १६७० हम लोग विशु दु परिष्क त जलमें किमी प्रकारका गन्य कुट चे पर्वतपर अवस्थित है । दुग के पास हीमें पेवर नहीं पाते हैं। निकटमें जलाशय होनेसे वायु भो भीतर नदी प्रवाहित है। कहा जाता है कि वोमनपालमें हो जाती है। जिस प्रकार वायु बहुदूरस्थित पदार्थ- बाप नामक एक राजा थे। उन्होंने गन्दीकोट नामका का गन्ध लेकर हम लोगांको नासिकाके निकट आ जाती पक ग्राम स्थापित किया और उसी ग्राममें गन्दीकोट और हम लोग उस पदाथ का गन्ध अनुभव कर सकते हैं। मासक. दुर्ग उन्होंका निर्माण किया हुआ है। विजय उसी प्रकार वायु जलके स्पर्शसे शीतल बहने लगती है। कमरके राजा हरिहरने इस किलामें एक मन्दिर बनवाया और तब हम लोग दूरस्थित जलाशयका होना अनुमान था। पूर्व समयमें गोलकुण्डाके सुलतानने इस दुर्ग पर कर सकते हैं। हम लोगोंके जैसे ऊट भी वायुकं हारा पानमन किया था, किन्तु कड़ापाके पठान नवाबने सुल- दूरस्थित जल अनुभव कर उसीका अनुसरण करता जाता तामको पराजित कर दुर्ग अपने अधिकारमें लाया । है। यही प्रमाण ठोक मालूम पड़ता है। वैशेषिक पठान नवाब फतेह नायक हैदरपलीके पिता उस समय दर्शनके उपस्कारप्रणता शङ्करमिश्रका मत है कि गन्ध बहत प्रसिद्ध हो गये थे। मरने के बाद उनके लड़के नित्य तया अनित्य दो भागोंमें बांटा है। पृथ्वीमें जो हेदरने किलाको बहुत कुछ उन्नति की और उसमें अनेक गन्ध है वही नित्य है उसका विनाश कभी नहीं होता सेन्च रहने लगे थे । १७८१ ईमें कप्तान लिटलने है। घणक प्रभृतिके लिये पृथ्वोका गन्ध अनित्य है।। हैदर लड़के टीपूको लड़ाई में हराकर किला अधिकार यह पाक प्रभृतिके कारण यह विनष्ट हो जाता है। कर लिया था। मुक्तावलीकार विश्वनाथ के मतमें ममस्त गन्ध अनित्य गन्देवी-रोदा राज्यके नवमारी प्रान्तमें इसी नामके है। वे नित्य गन्ध स्वीकार नही करते हैं। दार्शनिकी. तासबको प्रधान मदर । यह अक्षा० २०४८ स० और के मतसे यहां गन्ध फिर दो प्रकारका है, सुरभि और देशा० ० २ पू. पर बम्बई, बरोदा और मेण्टल प्रसरभि । इलियारसवेके अस्लमसरसे ३ मील और सूरतसे २८ मील महाभारतमें लिखा है कि गन्ध दश भागोंमें विभक्त है- दक्षिण-पूर्व अवस्थित है। लोकसंख्या सगभग ५८२७ मानिस मधुरोऽस: करमा । "