पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१८६

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१८४ गन्धमादन-गन्धमूल उत्तर केतुमाल और इलाकृतवर्ष के मध्यमें अवस्थित है। णिच णिनि-डी । १ लाक्षा, लाह। २ भूरा नामक यह पर्वत नीम्न और निषध तक विस्त त है। विष्णु-| गन्धट्रया । पुराणके मतमें यह सुमेरु पर्वतके दक्षिण भागमें अव- गन्धमाद्रिका ( मं० स्त्री० ) सुगन्धि द्रवाविशेष । स्थित है। इस पर्व तके जपर जम्मू नामका एक केतु- गन्धमाद्री ( स० स्त्री० ) सुगन्धि द्रवाविशेष । वृक्ष है। इसके पूर्व में चैत्ररथ, दक्षिणमें गधमादन, गळमार्जार ( स० पु० ) गन्धप्रधानो मार्जारः । खट्टाश, पथिममें वैभ्राज और उत्तरमें नंदन नामक चार मनो- | खटास, गधबिलाव। का उपवन हैं। देवगण इन्हीं उपवनों में आनदसे गन्धमार्जारवीर्य ( स० क्ली. ) गन्धमार्जाराण्डोडव विचरण किया करते हैं। गन्धमादन किम्पुरुष, मिड कस्त र्या । खटासी । और चारणगगाके आवासस्थान है। इस पर विद्याधर, गन्धमालती ( स० स्त्री० ) गन्थेन मालतीव । लताविशेष । विद्यारी, किन्नर और किवरीगण सर्वदा विचरण करते इसका गुण गन्धकोकिल जैसा है। हैं। (भारत सन १५८०) “ग कोक्लिया तुल्या विजयाग'धमालती।" ( भावप्रका) विष्णुपुराणका मत है कि इस पर्वत पर महाभद्र गन्धमाला ( म० स्त्री०) क्षुद्ररोगभेद, एक सरहको साधा- नामका एक वृहत् देवभोग्य मरोवर विद्यमान है। रण बीमारी। गधनाची देवा। "चरोद महाभट्र समितीद' म्मामनम् । | गन्धमालिनी (सं० स्त्री०) १ गन्धमाला प्रस्तास्थाः गममाला सरस्वतानि पवार देवभोग्यानि सदा" (पिपुगर) | इनि-डीप । मुरा नामक गन्धद्रवा । महासशिरोमणि "मरोस्यर्थ तणावपच मानस | जनमतानसार विदेश क्षेत्रको नदियों से एक नटी। मात अंतन यथाक्रम" इस वचनसे म्पर है कि गधगन्धमाल्य ( सं क्लो०) गन्धर माल्यच इतरेतरहन्दः । पाटन पर्वत पर मानममरोवर है। एकही मरोवरक | गन्ध और माल्य । दो नाम रखे गये एमा स्वीकार कर विरोध भजन करते | "यदिगमालोकामो भवति सहयादवास्य ग धमाल्य समतिहतः। है। मानममरोवर हिमालय पर्वके उत्तर तिब्वतके मध्यमें (हाम्दोगा सप८२) अवस्थित है। भानम देखो। गन्धमासी ( सं० स्त्री० ) जटामांसी। २ गधमादन पर्व स्थित एक वन। ३ गमादन गन्धमित्र-अयोध्या नगरके एक राजा । इनके पिताका नाम विजयसेन और माताका नाम विजयवतो था। इनके पर्ष सनिवासी एक वानर, जिसने रामचन्द्रजीको लड़ाई में सहायता दी थी। पिता माधु होते समय इनके बड़े भाई जयसेनको राज्य "गमादनवासी च प्रथितो गधमानः ।- ( मागत वन १५०) दे गये थे और इनको युवराज बना गये थे। गधमिलने ४ उड़ीशाके के उभर राज्य के अन्तर्गत एक पहाड़। कर्मचारिया और प्रजावर्गीको भड़का कर जयसेनको यह प्रक्षा० २१ ३८ १२ उ० और देशा• ८५. ३२ राज्य भ्रष्ट कर दिया था और खुद राजा बन गये थे। ५६ पू० पर अवस्थित है। इसकी ऊचाई ३४२८ फुट | पीछे जयसेनने इन्हें फूलोंके साथ जहर सुधा कर मार डाला था । (चाराधनायकांच) ५ भ्रमर, भौंरा। ६ गक । गन्धमुखा ( सं० स्त्री० ) गन्धो मुखे यस्याः, बहुव्री ।। ग्नेय ७ जैनमतानुसार सुमेरु पर्ष तक आसपासके गजदन्त- छुछुन्दर । (त्रि०) २ जिसके मुहमें गध हो। पर्व तोमेंसे एक। गन्धमुण्ड ( स० पु० ) गन्ध मुण्ड यति निवारयति । लता- गम्बमादिनी ( सं० स्त्री० ) गन्ध न माद्यतेऽनया गवमादि- विशेष । गधिया भॉट । इसका पर्याय-नन्दीज, ताम्म- णिनि। १ मदिरा शराब । २ वन्झारु । ३ चौड़ा नामक पाकी, फलपाकी, पोतक, गर्दभाण्ड और क्षिप्रपाकी है। गन्धद्रवा । ४ लाक्षा, लाह, लाख । | गन्धमूल (स.पु.) गन्धप्रधान मुस यसा, बहुव्री। मन्त्रमादिनी ( सं० खो०) गन्धेन मादयति गन्ध-मद कुलननक्ष, पदरकको सरहका एक पौधा ।