पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१९

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खारवां-खालसा वशेष देखने से समझ पडता, कि वह एक बहुत | प्रकाययति, खार-छ-पए पृषोदरादिवत् पवार सोपे बड़ी मारत सी । वर्तमान ममरमे बार टका | माधुः। गभनातिका शब्द, गदका रेंकना। एक बड़ा होजाइमके शिलाफसमें लिखा है कि (भागवत ॥१५) १६५८ ई०को विसी ब्राह्मणने उसे बनाया था। नगरके खाजूंर ( सं• क्लो. ) खजूरस्य दम, खजर-पण् । १ मय- मध्यमें जो एक पत्थर गडा, हिन्दू पौर मुससमानों के | विशेष, किसी किस्म की शराब। इसको बनानेवी महलों की सीमा ममझा जाता है। मगरके मध प्रणाली यह -कटहल, पकी खजूर, अदरक और कट जैनों का निवास और एक अन मन्दिर है। मोमससाका रस मिला कर शराब पकाने के तरिकेसे खारवां (हिं. पु०) १ किमी किस्म का रखा। यह पकाने पर जो शराब बनतो खाजार ठरती है। प्रामसे बनमा और मोटे कसे रंगने में सगता है। २ खजूरमद्य, खजूरका शराब। पाजर वातकोपन २ मोटा माल कपडा । यह कामपोमें बहुत बमता है। रुथ, कफन्न, लघु, कषाय, मधुर, य. सुगन्धि पौर खारेजा (हिं. पु.) कुसुमभेद । यह पन्नावमें बहुत सन्द्रियशोधमोतारे। (सन्नत) उपजता और कंटीला रहता है। खारेजाका दाना खाजूरकर्ण ( सं• पु.) खजरकर्ण स्थापत्यम. खर्जरकणे- कोटा पड़ता और किसी काम में नहीं लगता। इसके | अण् । खजूरक ऋषिके अपत्य। गा रङ्गके फूम पाते जो देखने में बहुत मुहाते है। खाजरसुरा (म'• स्त्री.) साजूर देखो। खारलाका हिन्दी पर्याय-कटियारी, बनबरे और खाजू रायण (स'• पु०) खजूरस्थ गोवापत्वं, खुरपाम् । वनकुसुम है। खर नामक ऋषिके गात्रापत्य । खारेपथार-पूना जिलेकी एक पधित्यका। यह परन्धर | स्वावु नेय (सं• वि.) खवु जब दम्, खाज-ठक् । गिरिदुर्गमे १४ मोल पूर्व जेजुरी नामक गांवके पास १ खर्वज सम्बन्धीय । (को०) २ रसासविशेष। एक पर्व में पड़ती है। इस पर बहुत पुराने समयका | (मावमकाय) खंडोवा टेवका मन्दिर है। लोग भक्तिसे इन खंडोवा | खास (हिं. स्त्री.) १ वक, चमड़ा, मनुष पर पादिके देवकी पूजा करते हैं। पूमाके रहनेवालों को विश्वास देखका वहिरावरण। २ अधौड़ी, पाधापरमा। भावी कि वायमें ससवार ले सबको रक्षा करते हैं। धौंकनी । ४ शव, मुर्दा। ५ मिनभूमि, नीचो नमोन्। खंडोवाको मूर्ति के पास उनकी स्त्रो मससावाकी | । साड़ी। अवकाश, खासी जगह । ८ गान्धीये, मा. प्रतिमूर्ति है। गई। (पु.) नासा। खारोद-मध्यप्रदेशके रायपुर बिलेका एक गांव । यह खामत्य ( स. की. ) खलतर्भावः, बसति-चन । श्रीपरिमारायणम-गरसे ३ मील उत्तर पड़ता है। यहां कपालरोग, खोपड़ीको एक बीमारी । यह बासोको सधणखर शिवसि । मन्दिर चे चबूतरे पर मसा देता है। (परक) खड़ा है। इसमें ८३१ चेदि संवत्को एक शिलालिपि खास का (हिं० पु. ) धोंकनी बसानेवासा, जो भाषी मिझो।कोरोई कहता किरनपुरके गजा साम्रा लगाता। ध्यमके भाई पखध्वखने वर मन्दिर बनाया था। यहां बइससे मन्दिरों का ध्वंसावशेष पडा है। एक मन्दिरमें कारखानमा ( हिं० वि०) १ एकाधिकत, जो एकीके पादित्यदेव घोडो पर चले विराज मन्टिर रख लियारमें हो। २ सरकारी। टापौर पत्थरका बना है। करते कि रावणके खासमा-पचाबका सिख सम्प्रदाय । सिख सम्प्रदाय भनाता स्वर पौर दृषण व पते थे। उन्होंके मामा मानकने चनाया था। गोविन्दने नामकी माया नुसार 'सारोद' नाम भी निक्षसा है। रीतिमोतिमें फिर संस्कार किया। इस तरह सिखों में सारि (सं.पु.) खरस्य पदं स्वा-पर्यभार करोति | दो दल हो गये। कुछ कोग गोविन्दके नये साल Vol. VI.5