पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१९२

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१९. - गन्धर्ववधू-गन्धवतो गन्धर्व वध ( सं० स्त्री० ) गन्धव स्य वधुरिव । १ शठी, | गन्धर्वी ( सं० स्त्री० ) गन्धर्व जातित्वात् डीप । १ गन्धर्व कपूर कचूरी। २ चौड़ा नामक गन्धद्रव्य । | जातीय स्त्री। गन्धर्वाणां पत्नी गन्धव -डीष । २ गन्धर्व- गन्धर्व विद्या ( म० स्त्री०) गन्धर्वाणा विद्या, ६ तत् ।। की पत्नी, गन्धर्वको विवाहिता स्त्रो। ३ सुरभीकी कन्या । सङ्गीत, गानविद्या । ४ अश्वजातीय जननी, घोडे मरीखी माता। गन्धर्व विवाह ( म० पु.) गन्धर्व मतानुसागे विवाहः गन्धलता ( सं० स्त्री.) गन्धयुक्ता लता, प्रियङ्ग । .मध्यपदलो। आठ प्रकारक विवाहोंके अन्तर्गत एक गन्धलोलपा ( मं० स्त्री० ) गधन लोलुपा. ३-तत् । मधु- प्रकारका विवाह । कन्या और वरके अभिप्रायमे प्रतित्रा- मक्षिका, मधुमकवी। पाशमें वह हो कर जो विवाह होता है उसीको गान्धर्व - गन्धवत (म. त्रि. ) गांधी विद्यते ऽस्य गध-मतुप मस्य विवाह करते हैं । गान्धव दवा वः । गधयुक्त, जिममें महक हो। गन्धर्व व द ( मं० पु.) गन्धर्षाणां वेदः, ६-तत् । मङ्गीतके | 'गन्धवद रुधि चन्दमाचिता!" (रघु०) मूलगन्य मामव दके उप-वेदविशेष । शौनकोत चरण- | गन्धवती (म० स्त्री० ) गन्धवत्-डीप । १ पृथिवी । २ व्य एक मतमे आयुर्वेद गन्धर्ववेदका उपवंद, यजुर्वेद मत्स्यगन्धा, व्यासको माता, इनका दूसरा नाम मत्यवती का धनुर्व'द, मामय दका गन्धर्व वेद और अथर्व का है। महाभारतमें लिखा है कि जालिककी कन्या मत्स्य- उपवेद शस्त्र शास्त्र हैं। गन्धा अपने पिता आदेशसे यात्रियों को नौका द्वारा नदी गन्धर्व शाका ( सं० स्त्री० ) भार्गी गुल म । पार करती थी। एक दिन जब पराशर मुनि पार हो रहे गन्धर्व मेम-हिन्दीक एक कवि । इनकी कविताका निट | धे तो वे उम कन्याको देख कर मोहित हो उठे एव शन नीचे देते है- मत्स्यगन्धाक शरीरको दुर्गन्धको न महकर उसे सुगन्धयुक्ता "दियो तुमको विसि पटान गायकवपति विक्रमनारंग। बना दिया । उमो दिनसे डमका नाम गन्धवती पड़ा है। राज समाजमों जगन का जोलो धुव गारपदोष। (भारत १६१ १०) ३ सुरा, शराव, मदिरा। ४ नवमल्लिका, तोमों को भरनो भवमएल मध । चमेलीका फल : ५ मुरा नामक गन्धद्रव्य । ६ वायुपुरी, सकल धिय गुणनिधान दासा विचमा काटन जग कम्नेश । गन्दसेन प्रभ ऐमो र दुःख मन्चन । यह वरुणापुरीक उत्तरभागमें अवस्थित है। स रच्या करतार सुरेशा "मां गन्ध ता. रममा पुरों वायोविला क य । गन्धर्षसेना--पटनाके गजा गन्धर्ष दत्तको पुत्री। यह वारणासत्तरे भाग महाभागामि विज॥"(काशी. १३.) ७ गगा। गायनविद्या में बड़ी ही निपुणा थी। इनके गाने और "गङ्गा गन्धवती गौरो गन्धर्व नगरप्रिया ।" (काशो० २६१४८) वीणा बजानिक मामने बड़े बड़े गायक हार मानते थे। ८ पुरी जिलाके अन्तगत पुण्यक्षेत्र भुवनेश्वरके निकट इनकी प्रतिज्ञा थी कि, "जो वीणा बजाने में मुझे परास्त | प्रवाहित एक क्षुद्र नदो । इम नदीक बहुत स्थानों में जल कर देगा, उसीके माथ में विवाह करगी।" न इनको नहीं रहता है, मब समय मनुष्य पंदल पार होत कोई जीत मका और न व्याह ही हुआ । महलके जप- | हैं। पहले इमकी चौड़ाई बहुत अधिक थी । नदी के रसे पचानक पैर फिसल जानसे इनकी मृत्य हुई थी। गर्भ पर हिन्दूराज निर्मित अठारहनालाओंके भग्नावशेष (चाराधनाचाकोष) आज भी देखे जाते हैं। छोटी होने पर भी यह नदी गन्धहस्त ( म० पु० ) गन्धर्ष स्य मृगविशेषस्य हस्तः | हिन्दोंके पवित्र तीर्थ में गण्य है। एकामपुराणमें लिखा पाद इव पत्रमस्य, बह वो० । एरण्डवृक्ष, रेडीका पेड़। गन्धर्ष हस्तक ( म० पु०) गन्धर्षस्य हस्त: पाद इव पत्र- "पुरासी भगवान् रुद्रो घेवशो मतभावनः । मम्य स्वार्थ कन् । एरण्डवृक्ष, रेडीका पेड़ । सश्रुतकामत भूतानाच हितार्याय च गन्धपती नदीम् ॥.. है कि रमसे एक प्रकारका लवण उत्पन्न होता है। वर्ष कूटगिरः पठं सरिदेवा समातमी । गन्धर्वा ( म. स्त्री०)कोकिल. कोयल । प्रचपिको गका शिरोपासनतत्परा