पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१९५

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गन्धानो-गन्धेन्द्रिय १९३ ३ तत्। प्राभ्यु दायक प्रभृति कर्मी में चन्दन और पुष्प- चोर नामक गन्ध द्रव्य, ५ कुङ्गम, ६ गोरोचन, ७ अटा- माल्य प्रभृति गधद्रव्यों में जो अधिवाम किया जाता है। मामी और ८ कपियुता। उमौका नाम गधाधिधाम है। विण के गन्धाष्टक-१ चन्दन, २ अगुरु, ३ वाला, गन्धानी (म० पु०) सुगन्धशाल । ४ कुड़, ५ कुङ्ग,म, १६ वोरणमूल, ७ जटामम! और गन्धान (सं० पु० ) गन्धशाल, वह धान जिसमें अच्छी ८ मुरा। गंध हो। शिवगन्धाष्टक-१ चन्दन, २ अगुरु, ३ कपूर, गन्धाम्ना ( म० स्त्री० ) गंधयुक्तोऽम्लो रमो यस्या: । ४ तमाल, ५ जल, ६ कुङ्कम, ७ रक्तचन्दन और ८ कुछ। बहुव्रो० । वनवीजपूरक, एक प्रकारके नोबूका पेड़ । गणशगन्धाष्टक -१ स्वरूप, २ चन्द न, ३ चोर, ४ रोचना, गन्धार (सं०१०) १ देशविशेष। गांधार देखा। ५ अगुरु, ६ मृगमद, ७ कम्त गे पार उपर । ( शारदाति. ____"क मौत: सिसोवोग गधारादर्शकास्तथा :- ___ मरुतन्त्रक मतमे चन्दन, अगुरु, कपूर, गोरोचना, (भारत भौम र प.) कुङ्कम, मृगमद और वाला इन आठांको गाणपत्य गन्धा- २ गन्धारदेशके राजा। ष्टक कहते हैं। मांमादिक यूष प्रस्तुत करनमें सुगधिके गन्धारि ( सं० पु०) गंधं ऋच्छति ऋ-इन्, ६-तत् । गंधार लिये आठ गधद्रव्य उममें दिये जाते है। इनको भी देश। गन्धाष्टक कहते हैं। लङ्गानाथके मतमें जातोफन्न (जाय- गन्धारी (सं० स्त्रो०) गांधलेशरूपं गन्ध ऋच्छति । गर्भ- फन्न), ते जपत्र, लवङ्ग, इलायची, दालचोनो, नागकेशर, धारिणी स्त्री, गर्भवतो। सहा गचा गर्भधारिविमा स्त्रीणां ।' मिर्च और मृगनाभि इन मब गधाष्टम कहते हैं। (मक ११२. माधव) गन्धाता ( मं. स्त्री. ) रक्ततुनमी, लाल तुलमी। गन्धान ( मं० पु० ) १ गन्धशाल । २ दण्डालुक, रतालूका “मान 2 लम्बो गनध हा मन+।" (मन नि.) पड़। गन्धि (मं. लो) टणकङ्गम, रोहित घान । गन्धाला ( मं० सी० ) गन्धाय अलति पर्याप्रोति अल्-अच | गधिक (मं० पु०) गन्धोऽम्त्यस्य गन्ध ठन् । १ गन्धक । ततः टाप। वृक्षविशेष, एक पेड़का नाम । २ गन्धवणिक् । गन्धाली (मं० स्त्री०) गन्धस्य पालो अंगी यस्यां, बहवो। गन्धिन् ( मं० त्रि०) प्रशस्तो गन्धोऽस्त्यस्य गध नि। लताविशेष, गंधपसार । इसका पर्याय---प्रमारणी, प्रशस्त गधयुक्त, जिसमें अच्छो ग'ध हो। भद्रपर्णी, गधाख्या, सरणा, कटम्भरा, राजवाला, भद्रवला "आने वन धनारमा मापन नमान्दवन । कटम्भर और सारणी है। इसका गुण-उष्णवोय, वात मनाते मनको बजाम प्रधान पवने"(भारत पात्र ५२०) नाशक, तिता, गुरु, वृष्य, वलसद्धिकर, वात, रता और | गन्धिनो ( मं० स्त्री० ) गधिन-डोप । मुग नामक गध- कफनाशक है। ( भावप्रकाश ) प्रसार यो देखो। द्रव्य। गन्धालीगभ (सं० प.) गन्धाली गन्धर्थ णी गर्ने यस्य. | गन्धिपण' (मं० पु०) गन्धि गन्धयुक्त पण यस्थ, बहुव्रो० । छोटी इलायची । बहुव्रो । मप्तच्छदवृक्ष, मतपण वृक्ष । छतिवनका पेड़ । गन्धाश्मन् ( म० पु०) गन्धयुक्तोऽश्मा शाकपार्थिववत्। गन्धिरम ( म० पु०) गोपक, नौसादर। गन्धक । गन्धिला---जैनमतानुमार विदेहत्रम स्थित एक देश। गन्धाष्टक (म० लो०) गन्धानां गन्धट्रव्याणां अष्टक | गन्धी ( म० पु. ) कम्त रोमृग । ६-तत्। आठ प्रकारके मिश्रित गन्धयोंको गन्धाष्टक | गन्धःन्द्रय ( म० ली० ) गधग्राहक इन्द्रिय शकपार्थि- कहते हैं। तन्त्रमें देवता भेदसे कई प्रकारके गन्धाष्टक वादिवत् समास: । घ्राणन्द्रिय, वह इन्ट्रिय जिमके द्वारा निरूपित हैं। गधका अनुभव हो । इन्द्रिय सम्बन्धक विषयमै दाश- शक्तिगन्धाष्टक-१चन्दन, २भगुरु, ३ | निकाका मतभेद लक्षित होता है। न्यायदशनका मत है Vol. VI. 49