पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२०

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खालसा-खावन्दमौर विधानों को मानते और कुछ पुराने मतके अनुसार खालिक ( स० त्रि) खल- दव, खल-ठक् । चन' स्यादिभा चले जाते। गोविन्दके नये विधामीको माननेवाले ठक् । पा ५॥ ॥१०८ । खसके सदृश-पाजो जैसा। तौबासमा' सम्प्रदायभुता है। परन्तु या प्रभेद पाज- खालिक (प.पु.) स्रष्टा, दुनियाको बमानेवाला। वास उठ गया है। खासमा' शब्द अरबोके खासिस' खालिम (प०वि०) विशुद्ध, स्वरा.बेमेस । का अपना है। इसका पथ पवित्र एवं शुद्ध है। खासी (प्र. वि० ) १ रिक्त, रिता, जो भरा नही। सुसर्ग खासमा कहनमे शुम पवित्र और विशिष्ट २ वे काम, निठा ! ३ व्यर्थ, फिजल । ( क्रि० वि.) व्यक्तिका बोध होता है। सिख रस शब्द का अर्थ कोई ४ पके ले, विमा किमीको मददके । (१०) ५ कोई नाम । देवरहस्यपूर्ण जैसा-मानते हैं । यह भी नान कके पादि खाल ( फा० पु.) मोमा, मामिया, मांकी बहनका अन्य की अशाभक्ति करते है। प्रव गाविन्दकं संस्कृत स्वामी । नियमों पर मोगीका सना दृढ विखास नहीं रहा। खाले ( हिं० क्रि०-वि.) नाचे, तले, गड़े में। खालसा मम्प्रदायके लिये गोविन्दने जो नियम खाल्य कायनि (मं० पु. स्त्रो.) खख्यकाया अपत्यम, बनाये थे, उनमें 'पाल' अर्थात अभिषेकक्रिया हो सब खत्यका-फित्र । खख्यकाका प्रपत्य । से बही है। पहलेको चाल पाज भी जारी सिख धर्म खात्यायनि (म. पु. स्त्री०) खल्या-फिज । खल्याका अवलम्बन करनेसे पहले पात्रको सब बान रखाना पपत्य । पड़ते हैं। दो-एक महीने बाद जब बात बड़े बड़े हो खाव ( हिं० स्त्रो० ) १ शून्य, खालो जगह । २ जहाजमें बास, पाव मी पक कपड़ पान कर उपस्थित होता माल रखने को कोठरी। और उसे एक सलवार, एक बन्दूक,. धनुर्वाण पोर खावन्दमोर-खाबन्ट शाह प्रमोरका एक पुत्र । इनका मासा देना पड़ता है। फिर गुरु और पात्र शबंतसे पमम नाम गयासुद्दीन मुहम्मद-बिन-मोद-उद्दीन हाथ-पांव धोते हैं । इसी शवंतमें चीनी डासके ससवार खावन्द अमीर था। या.,कुरेकी बारसे चलाने का नाम पहल है। इसके किसोका मत है कि इनका जन्म १४७५ ई.को पोछ प्रादिग्रन्यमे पांच लोक पढ़ाये जाते हैं । प्रति गित नगरमें दवा । १४८८०को इन्होंने 'मेजन लोक एक ही निमासमे पदमा पौर कुरोसे वही पानी शफा' नामक फारसी अन्य का सारसंग्रह करके 'समा. मखना पडता है। फिर पाव हाथ जोड़ कर ग्रन्यो सत्-ठल् अखबार' नामक एक सुन्दर अन्य प्रायन वा पुरोहितका दिया रुपा वही पानी पाण करता किया था। इस प्रयके अतिरिश और कर एक पन्य पौर उसे लेकर कपास, मस्तक तथा दाढ़ी मूछमें बनाये यथा १ 'इबोब उशश पार' २ 'मसौर उल मलक' मगाता और कहा करता है-बार 'पखबार उस-पोखबार' ४'दस्त र-उस बजग' ५'मुका- वाज गुरुजीको फतेह ।' गोविन्द गुरु अपने पाप पाँच रिम-उस-प्रखलाक' 'मूसखिव तारीख', ७ 'वास मोगौके साथ मी प्रथासे सिख धर्ममें अभिषिक्त हुए गाफा' दगरायवठल्प सबाव' ८ 'जवाहिरसन-प्रख. थे। फिर उन्होंने परस्परका पदधौत पहल जल पीया बार'। १५२७१ को जन्मभूमि हिरासमें घोर विप्लव था; भी था । स्त्रियां भी इसी प्रकार पहलके पानीसे अभि- इसलिये हिरात छोड़ कर मौलाना सारय उद्दीन पोर पित की जाती है । उन्हें केवल शव उलटो कुगमे । मिर्जा ब्राहीम कानूनी नामक दो विहानों के साथ ये साना पडता है। सिखोंके बच्चों का बहस छोटी । भारतवर्ष पाये। १५७८.को पागरा नगर पाकर अवस्थामी यह पभिषेक एषा करता है। सम्राट् वावरसे इन्होंने भेंट जी और सम्राटसे सम्मान ___मिक, पलित सिक, पजाप चादि देखो। काम किया। तत्पश्चात् जब बाबर वास पर पाक्रमण बासा (•ि वि०) मित्र, नोस।। करने के लिये पाये, तो सावन्दमोर भी समके साथ.थे। खामा (प.सी.) मोसी, मांकी बहन। पावरको मत्यु के बाद इन्होंने मायूके नामानुसार