पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२००

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५०८ गमनपुर-गभारी समनपुर-बम्बई प्रदेशके महीकान्ताका एक छोटा राज्य, गम्बोल-पञ्जाबके व जिल्ला हो कर प्रवाहित एक नदो, यह कटोमनके सामन्तके अधीन है। ये गायकवाड़ यह अक्षा० ३२. ३७ ३० उ० और देशा० ७१.६ १५ महाराजको १३८) रु. १० पाने ८ पा वार्षिक कर पू०में अवस्थित है। यह नदो अफगानिस्तानमें मङ्गोल जातिके पार्वत्व प्रावासस्थानसे उत्पन हो कर दावाड़ गमना ( अ० पु० ) जाना चलना। अधित्यकामें पूर्व मुख आकर लक्ष्मीनगरके दक्षिण कूरम गमनाक ( फा० वि० ) शोकपूर्ण, दुःखभरा। नदीसे प्रा मिली है। उत्पत्ति स्थानसे मरवत् तहसील गमनागमन ( स० क्ली० ) गमनञ्चागमनञ्च, इतरेतरहन्छ । पर्यन्त यह टोकोनदी नाममे मशहर है। इस नदीका जन्न मामा और आना। सुस्वादु और स्वास्थ्यकर है। तहसोलके निकट कई एक ममनाह (म० 'त्र०) गमनमा अझै योग्यः, ६-तत् । जाने के झरने हैं। नदीके दोनों तौरों की जमीन वालुकामय है, लिये उपयुक्त। इसलिये खेती करनेको विशेष सुविधा नहीं है वर्षा- गमनीय (म त्रि०) गम्य, जाने योग्य। कालमें वृष्टिके ममय इसकी गहराई 8 फटमे अधिक 'ममयिट ( स० पु० ) गम णिच् च । गमक देखो। नहीं रहती है। गमला ( फा० पु. ) एक प्रकारका मट्टी या दूसरे धातुका गम्भन (म त्रि.) गम बाहुलकात् अन् भुगागमय । पात्र । इसमें फलकि पेड़ और पौधे शोभाके लिये रखे गम्भीर, गहरा। जाते हैं। २ लोहे या चीनी मट्टीका बना हुवा एक | "st गम्मन् सौद मात्वा म योऽभिसामोन्मानिशानरः ।" प्रकारका बरतन जिसमें पाखाना फिरत है। (वाजमनेय. १।३०) 'गम्भम् गम्भमि और स्थाने (मोधर) ___३ सैम्लङ्ग देशीय वैश्य जातिभेद । यह मद्यका व्यापार करते हैं। परन्तु बहसमे गमले इस कामको छोड करके गम्भर ( स० क्लो०) गम-विच गम निम्रगतिं विभर्ति अन्य प्रकारके व्यवसायमें भी लग गये हैं। इन्हें वैश्य भृ-अच, ६-तत् । जम्ल, पान। वर्ण माना जाता है। "स्व गभरेषु प्रनिहा (मकर) गमागम (सं० पु०) गमय आगमय, इतरतरहन्द । १ चरा- 'गभरेषु गामेव नीषु । ( साया) चर, मंसार । २ गमनागमन, आना जाना। गम्भार-पञ्जाब प्रदेशका एक पार्वतीय जलस्रोत। यह गमाना (हिं. क्रि०) खोना, गवाना। । । अक्षा० ३०. ५२ उ० और देशा० ७७६ पू०में हिमालय गमार (Eि वि० ) गांवका रहनेवाला । गंवार, देहाती। श्रेलीसे निकल कर उत्तर-पथिमकी ओर बहती हुई गमित ( म० त्रि०) गम णिच त।१ प्रापित, पाया हुत्रा। सुवाथ के सेनिक निवासको प्रतिक्रम करके शतद् नदीमे - २ ज्ञापित, जाना प्रा। ३ अतिवाहित, बिताया मिल गई है। इस नदीको गहराई अल्प होनेके कारण नावके लिये सुविधा नहीं है, किन्तु वर्षाकालमें बहुत गमिन् ( म०वि०) गमनकर्ता, जानेवाला। बाढ़ पा जाती है । सुवायुसे सिमला पहाड़ पर जानेको गमिष्ठ ( म० त्रि०) अतिशयेन गन्ता गम्तृ-इष्ठन् । शीघ्रमे राह पर इस नदीके ऊपर एक पुल निर्मित है। चलनेवाला, जो बह त चल सकता हो। | गम्भारिक (सस्त्री .) गम-विच गम मिनागतिं विभर्ति गमी (अ० स्त्री० ) १ शोकको अवस्था या काल । २ एक भृ-गव ल् टाप प्रत इत्व । गंभारीवृक्ष, गमारीका पेड़। प्रकारका शोक जो किमी मनुष्यके मरने पर किया गम्भारो ( सं० स्त्री०.) गम: गतिभेद विभर्ति प्रण उपप- जाता है । ३ मृत्य , मरण । दसं० गौरादित्वात् डोष । वृक्षविशेष । (Gmelina ar- गम्बात-सिन्धुप्रदे शके ग्वैरपुर राज्यका एक नगर । यहांके borea ) इसका पर्याय-मव तोभद्रा, काश्मरी, मधु- जुलाई कपाससे एक प्रकारके देशी कपड़े का थान प्रस्तुत पणि का, श्रीपर्णी, भद्रपर्णी, काश्मय, मष्णन्तिका. करते है। कृष्णन्ता, होरा, स्निग्धपर्णी, सुभद्रा, कभारी, गोप-