पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२०२

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२.. गम्यादि-गया स्त्री जिसका संभोग शास्त्र विरुद्ध नहीं है। (फक १०॥६६॥३) ८ अन्तरिक्ष, पाकाश । ( 110) सह- "चभि कामा स्त्रिय' यब गम्या राहमि याचितः। ( भारत १८॥२५) | गत प्राणी । (सबा 4110) १० स्वस्थान, पपनास्थाम, गम्यादि (म. ली.) निपासनसे सिद्ध पनि प्रत्ययान्स खास जगह । ( ५ ) ११ प्राण । (शतपथ ब्रा• कई एक शब्द । गमी, पागमी, भावी, प्रस्थायी, प्रति- १॥८॥१० ) १२ गया प्रदेश । (भारत शक्य. १८) १३ असुर- रोधी, प्रतियोधी, प्रतिवोधी, प्रतियायी और प्रतिषधी विशेष, गयासुर। गया देखो। इन मबको गम्यादि कहते हैं। इनके योग होमसे गयदास-एक वैद्यक ग्रन्थकार । द्वितीया-तत्य रुष समाम होता है। गयनाल (हिं. स्त्री० ) एक प्रकारको तोप जिसे हाथौ गयद । हिं० पु० ) १ बड़ा हाथी २ दोहेका दशवां खौंचता है। गजनाल। भेद जिममें १३ गुरु और २२ लघु होते हैं। गयरमपूर-मध्यभारतमें भिल्साके निकट एक स्थान । गय (म. प.)१ रामायण के अनुमार एक बानरका नाम यहां अति प्राचीन मन्दिरका भग्नावशेष देखा जाता रामचन्द्रकी सेनाका एक सेनापति था। है। वहुतीका अनुमान है यह ग्यारहवीं शताब्दी में (भारत ॥९८२ . ) जैनोंसे निर्मित किया गया था। २विर्धान राजाके पुत्र । (भागवत ५।१५७) ३ प्रियव्रत गयल ( फा० स्त्रो०) गमव । वंशीय एक राजाका नाम। ये अत्यन्त उदारचित्त और गयवली (देश. ) एक प्रकारका पेड़ । यह मध्यम आकार धर्मनिष्ठ थे। ( भागवत ५॥१५॥६१४) का होता और अवध, अजमेर, गोरखपुर और मध्य प्रदे- ४ गक राजर्षि, इनके पिताका नाम अमुर्तरय था। शमैं पाया जाता है । इसके फल खाये जाते हैं। छिलका इन्होंने शतवर्ष पर्यन्त केवल प्राकृतिका अवशेष भक्षण कर चमड़ा सिझानके काममें लाया जाता है। इसको लकड़ी अग्निकी उपासना की थी। अग्नि संतुष्ट हो कर खेतोके संगह और गाड़ी बनानके गाममें आती है। वर देनेके लिये उपस्थित हुए, इस पर गयराजने कताञ्जली गयवा ( देश. ) एक प्रकारका मछली जिसे मोहेली भी को कहा-“हुताशन ! यदि मुझ अधमके अपर पाप कहते हैं। सन्तुष्ट हैं, तो मुझे वेदका अधिकार प्रदान कीजिये। मुझे गयशात ( म० पु. ) एक प्रधान वौद्धाचार्य । वेद पढ़नको बहुत अभिलाषा है एवं जिससे मैं धर्मानुसार गयशिरम् ( सं० क्ली० ) गयस्य शिर, ६ तन् । १ गयाके विपुल धनका अधोखर, शत्रु कुम्लका निहन्ता, धनरत्न ब्रा- निकटस्थ पर्वतविशेष, एक पहाड़का नाम जो गयाके अणोंको दान देनमें यत्नवान् तथा सुखी बनूं । वसाही बर समीप है। २ गयासुरका मस्तक । भारत, वन, गया देखें।। प्रदान कीजिये ।" 'एवमस्तु' ऐसा कह कर अग्नि चले ३ अन्तरीक्ष, पाकाश । गये। गयराजने अग्निसे पर पाकर समस्त विपक्षदलोंको गयसाधन (सं० त्रि०) गयमा साधन, ६ तत्। गृहका निर्मूल करते हुये मारी पृथिवीके जपर अपना आधिपत्य साधन जो घरके धनादिको बढ़ाता हो । फैलाया। गयराजको धर्म निष्ठा दिन प्रतिदिन बढ़ने “समौ बरस मानभिः सजता गयसाधनम्।" (सक ) लगी। एक समय इन्होंने एक वृहद् यन्त्रका अनुष्ठान 'गयमाधन गाव साधनम ।' (सायगा ) किया। वैसा यज्ञ और किमी राजाने कभी नहीं किया गयस्फान ( सं० त्रि.) स्थायी वृद्धी अन्तर्भूतण्यर्थात् ल्य द था। उस यन्त्रको सुवर्ग मय वेदोकी लम्बाई ३० योजन | यस्तोप, गयसा धमसा स्फानो वईकः । धन वर्षमा तथा चौड़ाई २६ योजनको बनाई गई थी। इस यन्न | कारक, धनका बढ़ानेवाला। फलसे एक वटवक्ष चिरजोवो इवा जो पक्षयवटसे "गयस्कानो पमोहा (क ) प्रसिहहै। यतकी समाप्ति होने पर ब्रह्म नामका एक 'नयति धनमाम मय थि:' (मायक) सरोवर निर्माण किया गया था। (भारत द्रोण (प.) गया-विहार और उड़ीसा प्रदेशका एक जिला । यह ५ धन, दौम्मत। ६ अपत्य, सन्तान। ७ ग्रह, घर। । अक्षा० २४.१७ तथा २५.१८७० पौर देशा. ८४.